RPSC की बड़ी कार्रवाई: RAS इंटरव्यू में फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र वालों पर कसा शिकंजा

राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने RAS भर्ती परीक्षा–2024 में फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्रों के जरिए नौकरी पाने की कोशिशों पर सख्त एक्शन शुरू कर दिया है. आयोग ने बताया कि RAS-2023 की तरह इस बार भी इंटरव्यू से पहले मेडिकल बोर्ड द्वारा गहन जांच की जाएगी.

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फर्जी दस्तावेज पकड़े जाने पर धारा 89 और 91 के तहत भारी जुर्माना, दो साल तक की जेल और अन्य सख्त कार्रवाई की जाएगी. (Photo: rpsc.rajasthan.gov.in) फर्जी दस्तावेज पकड़े जाने पर धारा 89 और 91 के तहत भारी जुर्माना, दो साल तक की जेल और अन्य सख्त कार्रवाई की जाएगी. (Photo: rpsc.rajasthan.gov.in)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 03 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:36 PM IST

राजस्थान लोक सेवा आयोग ने आरएएस भर्ती परीक्षा-2024 के साक्षात्कार में फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्रों के जरिए नौकरी हथियाने वालों पर शिकंजा कस दिया है. आयोग ने स्पष्ट किया है कि आरएएस-2023 की तरह ही इस बार भी साक्षात्कार से पहले दिव्यांग अभ्यर्थियों की मेडिकल बोर्ड के जरिए 'सर्जिकल स्ट्राइक' जैसी सघन जांच की जाएगी. आयोग के रडार पर विशेष रूप से 'लो-विजन' और 'हार्ड हियरिंग' (कम सुनाई देना) श्रेणी के अभ्यर्थी हैं, क्योंकि पिछली जांचों में सबसे अधिक गड़बड़ी इन्हीं मामलों में मिली थी.

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 'सक्रिय यूडीआईडी' कार्ड रखना अनिवार्य
आयोग सचिव ने बताया कि केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के द्वारा 24 नवंबर 2025 को जारी नए सर्कुलर के तहत, अब किसी भी दिव्यांग अभ्यर्थी को लाभ तभी मिलेगा जब उसके पास 'सक्रिय यूडीआईडी' कार्ड होगा. जिनके पास पुराने प्रमाण-पत्र हैं, उन्हें भी पोर्टल के जरिए पुनः सत्यापन करवाना अनिवार्य होगा. यह कदम प्रमाण-पत्रों के दुरुपयोग को जड़ से खत्म करने के लिए उठाया गया है.

सख्त कानूनी कार्रवाई के आदेश
फर्जीवाड़ा रोकने के लिए आयोग ने 'दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016' का कड़ा पहरा बैठा दिया है. यदि कोई अभ्यर्थी फर्जी प्रमाण-पत्र के साथ पकड़ा जाता है, तो उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई होगी. जानकारी के अनुसार धारा 89: पहली गलती पर 10,000 रु और बाद में 50,000 रु. तक का जुर्माना , धारा 91: धोखाधड़ी से लाभ लेने पर 2 साल की कैद और 1 लाख रु. तक का जुर्माना शामिल है.

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415 छात्रों को किया गया आजीवन आयोग
आयोग की सख्ती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फर्जी दस्तावेजों और गलत तथ्यों के चलते अब तक विभिन्न परीक्षाओं के 524 अभ्यर्थियों को डिबार किया जा चुका है. इनमें से 415 को तो आजीवन आयोग की किसी भी परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा. शेष 109 अभ्यर्थियों को एक से पांच वर्ष तक के लिए डिबार किया गया है. जांच में यह भी सामने आया है कि कई लोग फर्जी प्रमाण-पत्रों के आधार पर पहले से ही सरकारी नौकरी कर रहे हैं. आयोग ने ऐसे कर्मचारियों और उन्हें प्रमाण-पत्र जारी करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए संबंधित विभागों और चिकित्सा निदेशालय को पत्र लिखा है.

क्या होता है डिबार 
डिबार (Debar) का मतलब होता है-किसी व्यक्ति या संस्था को प्रतिबंधित करना, बैन करना, या किसी अधिकार/कार्य से बाहर कर देना. सीधे-साधे शब्दों में डिबार किसी को किसी काम में हिस्सा लेने से रोक देना. किसी को किसी गतिविधि, पद, परीक्षा, संस्था या अवसर से आधिकारिक रूप से बाहर कर देना—इसे ही डिबार करना कहते हैं.

कहां-कहां यह शब्द इस्तेमाल होता है?

1. परीक्षाओं में
नकल करते पकड़े गए छात्र को डिबार कर दिया गया. अब वह अगली परीक्षा नहीं दे सकेगा.

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2. सरकारी ठेकों में
किसी कंपनी को घोटाले के बाद डिबार किया गया. वह सरकार से कॉन्ट्रैक्ट नहीं ले सकेगी.

3. संस्थानों में
नियम तोड़ने पर सदस्य को डिबार किया जाता है. उसके अधिकार खत्म कर दिए जाते हैं.

4. खेल में
खिलाड़ी को नियम तोड़ने पर प्रतियोगिताओं से डिबार कर दिया गया.

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