सैलरी रोकने का आदेश, अनुशासनात्मक कार्रवाई... शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस पर सख्त हुई योगी सरकार

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार (Yogi government) ने सरकारी स्कूलों के सभी शिक्षकों और कर्मचारियों की हाजिरी को लेकर आदेश जारी किया है. इस आदेश के बाद शिक्षकों ने ऑनलाइन हाजिरी का विरोध शुरू कर दिया है. इस पूरे मामले को लेकर विपक्ष ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं.

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शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस पर सरकार सख्त. (Photo Source: META AI) शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस पर सरकार सख्त. (Photo Source: META AI)

अभिषेक मिश्रा

  • लखनऊ,
  • 12 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 9:08 AM IST

उत्तर प्रदेश में गुरुवार से डिजिटल अटेंडेंस (digital attendance) को लेकर सरकार सख्त है. इसको लेकर जारी आदेश में कहा गया है कि तीन दिन तक ऑनलाइन हाजिरी (online attendance) दर्ज न कराने वालों का वेतन रोक दिया जाएगा. डिजिटल अटेंडेंस दर्ज न कराना विभागीय आदेश की अवहेलना मानी जाएगी. ऐसी स्थिति में अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी.

उन्नाव में बीएसए ने आदेश जारी किया है कि तीन दिन तक डिजिटल हाजिरी दर्ज न कराना विभागीय निर्देशों की अवहेलना मानी जाएगी. ऐसे में अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. ऐसे शिक्षकों का मानदेय और वेतन अगले आदेश तक रोक दिया जाएगा. बाराबंकी-उन्नाव में डिजिटल अटेंडेंस न लगाने पर शिक्षकों का वेतन रोकने का आदेश दिया गया है.

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इससे पहले प्रदेश सरकार ने शिक्षकों को 11 जुलाई से अनिवार्य रूप से डिजिटल अटेंडेंस (digital attendance) दर्ज कराने का आदेश दिया. सरकार के इस आदेश के खिलाफ शिक्षकों ने मोर्चा खोल दिया है. शिक्षकों के कई संगठन इसका विरोध कर रहे हैं. शिक्षकों ने सरकार के आदेश को अव्यवहारिक बताया है. यूपी के कई जिलों में शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया. कई संगठनों से जुड़े शिक्षकों ने जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी सौंपा. 

यह भी पढ़ें: हाथ में काली पट्टी बांधकर शिक्षक कर रहे डिजिटल अटेंडेंस का विरोध, देखें वीडियो

आदेश लागू होने के पहले दिन यानी 8 जुलाई को मात्र दो फीसदी शिक्षकों ने ही डिजिटल अटेंडेंस लगाई थी. उन्नाव-बाराबंकी के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ने ऐसे शिक्षकों का वेतन या मानदेय रोकने की सिफारिश की है.

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शिक्षकों के विरोध को देखते हुए आज शुक्रवार को सभी खंड शिक्षा अधिकारियों और शिक्षा समन्वयकों की बैठक बुलाई गई है. बैठक के बाद विभाग आगे की स्थिति पर फैसला लेगा. राज्य सरकार इस कदम से शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने को कोशिश में है. शिक्षकों और कर्मचारियों को रोजाना अपनी डिजिटल अटेंडेंस लगाने और किसी भी तरह की लापरवाही न बरतने के आदेश दिए हैं.

माना जा रहा है कि इस तरह की सख्ती से शिक्षा क्षेत्र में अनुशासन और कार्यप्रणाली में सुधार होगा और सकारात्मक बदलाव आएंगे. वहीं इस मामले पर राजनीति भी तेज हो गई है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं.

यह भी पढ़ें: यूपी में Digital Attendance पर तकरार, शिक्षकों के विरोध के बाद भी शिक्षा विभाग ने नहीं पलटा फैसला

कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि शिक्षकों की ऑनलाइन हाजिरी की बजाय आला अधिकारियों, बीएसए, सचिवों की ऑनलाइन हाजिरी चेक करनी चाहिए, तब उन्हें समस्या का पता चलेगा. उन्होंने कहा कि शिक्षकों की समस्याओं और हाजिरी के अलावा उन पर पड़ने वाले अन्य बोझ के बारे में भी सरकार को निर्णय लेना चाहिए.

यूपी में प्राइमरी शिक्षकों की हाजिरी को लेकर मचे बवाल पर सपा नेता फखरुल हसन चांद ने कहा कि यह शिक्षकों पर अत्याचार है. दूरदराज के इलाकों से आने वाले शिक्षकों की स्थिति में यह संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को सबसे पहले स्कूलों की हालत सुधारनी चाहिए, जहां कभी बच्चों से घास कटवाई जाती है तो कभी मिड-डे मील के नाम पर घोटाला होता है. यह मनमानी का एक तरीका है.

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शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस को लेकर चल रहे विवाद के बीच शिक्षाविद् और प्राथमिक शिक्षा विशेषज्ञ मीनाक्षी बहादुर ने कहा कि डिजिटल अटेंडेंस शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि भले ही इसे व्यावहारिक नहीं कहा जा रहा है, लेकिन इससे न केवल समय की बचत होती है, बल्कि स्कूल की व्यवस्था को बनाए रखने में भी मदद मिलती है. शिक्षकों को राहत देने के लिए पहले से शेड्यूलिंग की जा सकती है और अगर डिजिटल तरीके से अटेंडेंस की जाती है तो उनका प्रशासनिक काम और भी पारदर्शी तरीके से हो सकता है.

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