भारत में NEET जैसी बड़ी परीक्षा कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं. नीट की परीक्षा दे चुके लाखों छात्र खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. पेपर लीक का कलंक इस परीक्षा की शुचिता पर सवालिया निशान खड़े कर रहा है. ठीक ऐसे समय कई ऐसे वीडियोज भी सोशल मीडिया में आ रहे हैं जिसमें इन परीक्षाओं के अभ्यर्थी विदेशों की शिक्षा-परीक्षा प्रणाली को सराह रहे हैं.
ऐसी ही एक कंप्यूटर बेस्ड परीक्षा है SAT (स्कॉलैस्टिक असेसमेंट टेस्ट) जो अमेरिका में कॉलेजों में प्रवेश के लिए आयोजित की जाती है. इस परीक्षा में सिर्फ अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया से 20 लाख से ज्यादा छात्र हिस्सा लेते हैं. ये परीक्षा साल में 5 से 6 बार कराई जाती है. ये परीक्षा अमेरिका में कॉलेज एडमिशन के लिए कराई जाती है.
हाल ही में भारत सरकार ने संकेत दिया है कि वह भविष्य की परीक्षाओं के लिए अधिक तनाव मुक्त, बहु-सत्रीय, साल में कई बार कंप्यूटर आधारित परीक्षा प्रारूप की ओर कदम बढ़ाने पर विचार कर रही है. इसमें संयुक्त प्रवेश परीक्षा-मुख्य (जेईई-मेन) का भी उदाहरण दिया जा रहा है जो कि साल में दो बार कराई जाती है. सूत्रों के अनुसार एनटीए शैक्षिक परीक्षण सेवा (ईटीएस) जैसी वैश्विक संस्थाओं से सीखने और उनके साथ सहयोग करने पर विचार कर सकती है.
ETS क्यों है इतनी सफल?
अमेरिका में स्कोलास्टिक एप्टीट्यूड टेस्ट (SAT) परीक्षा का आयोजन करने वाली ईटीएस ने परीक्षाओं में शुचिता कायम रखने के लिए इस परीक्षा को खास तरीके से डिजाइन किया है. SAT परीक्षा कॉलेज बोर्ड के स्वामित्व में है और उसके द्वारा प्रकाशित और विकसित किया गया है. यह पहले एडुकेशनल टेस्टिंग सर्विस (ETS)[1] द्वारा विकसित, प्रकाशित किया जाता था और उसीके द्वारा अंक दिए जाते थे लेकिन ETS अब परीक्षा का प्रबंध करता है. सही शब्दों में कहा जाए तो SAT परीक्षा कॉलेज बोर्ड कराता है, जो 6,000 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों से बना एक गैर-लाभकारी संगठन है. एग्जाम के एडमिनिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी ईटीएस को देता है. ईटीएस द्वारा कई इंटरनेशनल एग्जाम जैसे TOFEL आदि भी कराए जाते हैं.
इस टेस्ट की सुरक्षा बहुत व्यापक दृष्टिकोण से तय की गई है. यहां यदि पाया जाता है कि किसी छात्र ने अनुचित लाभ प्राप्त किया या कोशिश की है, तो न सिर्फ उसका टेस्ट स्कोर रद्द किया जाएगा, बल्कि उसे बैन भी किया जा सकता है. बता दें कि यह परीक्षा लगभग तीन घंटे तक चलती है और इसका उद्देश्य यह आकलन करना होता है कि कोई छात्र कॉलेज के लिए तैयार है या नहीं. अमेरिकी कॉलेज लंबे समय से SAT स्कोर पर निर्भर हैं ताकि वे यह तय कर सकें कि किन आवेदकों को प्रवेश देना है और किनको अस्वीकार करना है.
कैसे होती है प्रवेश परीक्षा
अमेरिका में कॉलेजों में स्नातक कार्यक्रमों में दाखिला लेने के लिए SAT (स्कॉलैस्टिक असेसमेंट टेस्ट) और ACT (अमेरिकन कॉलेज टेस्ट) जैसी प्रवेश परीक्षाओं में शामिल होना पड़ता है. पोस्ट-ग्रेजुएशन कार्यक्रमों और विशिष्ट उच्च-स्तरीय पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए GMAT और GRE जैसी विशिष्ट परीक्षाएं भी हैं. इन सब परीक्षाओं का संचालन बहुत पारदर्शी ढंग से कराया जाता है. भारत में इंजीनियरिंग और मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने के लिए जेईई (संयुक्त प्रवेश परीक्षा) और एनईईटी (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) जैसी सामान्य प्रवेश परीक्षाएं उत्तीर्ण करना आवश्यक है.
शिक्षा मंत्री ने क्या कहा
हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने परीक्षा प्रक्रिया में संभावित बदलाव का संकेत देते हुए कहा था कि भारत को अमेरिका के कॉलेजों में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा SAT की तरह एक लचीली और कम तनावपूर्ण परीक्षा प्रणाली की आवश्यकता है. जब 2017 में और उसके बाद 2018 में एनटीए की स्थापना हुई, तो एजेंसी ने ईटीएस के साथ कई चर्चाएं कीं. सरकारी सूत्रों ने संकेत दिया कि परीक्षा सुधार पैनल की सिफारिशों के बाद, संभावित सहयोग की संभावनाओं को तलाशने के लिए ईटीएस और अन्य वैश्विक निकायों के साथ नई चर्चा होने की संभावना है.
कंप्यूटर बेस्ड होंगी परीक्षाएं
यह भी चर्चा है कि सरकार परीक्षाओं को कम तनावपूर्ण और अधिक लचीला बनाने के लिए जेईई-मेन की तरह ही अधिकांश हाई-प्रोफाइल परीक्षाओं को कंप्यूटर-आधारित प्रारूप में बदलने की तैयारी है. इससे कई सत्र और समय संभव हो सकेंगे.
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