12वीं कॉमर्स के बाद क्या पढ़ना फायदेमंद? इन ग्रेजुएट लेवल और प्रोफेशनल कोर्सेस के बारे में जानें

12वीं करने के बाद छात्रों के सामने एक बड़ी चुनौती होती है. इंटर करने के बाद छात्रों को ग्रेजुएशन या प्रोफेशनल कोर्स में से किसी एक को चुनना होता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कॉमर्स के स्टूडेंट 12वीं के बाद ग्रेजुएशन और प्रोफेशनल कोर्स में क्या ऑप्शन होते हैं.

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Courses After 12th for Commerce Students Courses After 12th for Commerce Students

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 2:03 PM IST

Bihar Board Result 2024: कक्षा 10वीं के बाद सभी स्टूडेंट इच्छानुसार साइंस, कॉर्मस या आर्ट्स में से कोई एक विषय चुनते हैं. इन्हीं के आधार पर 12वीं के बाद डिप्लोमा, डिग्री, सर्टिफिकेट कोर्स करना प्रिफर करते हैं. अगर आप कॉमर्स के छात्र हैं तो आपके पास करियर बनाने के लिए कई ऑप्शन हैं. 12वीं के बाद ग्रेजुएशन कोर्स के साथ-साथ प्रोफेशनल कोर्स करके भी आप अच्छी सैलरी पा सकते हैं. आइए जानते हैं के 12वीं कॉमर्स के बाद छात्रों के सामने क्या-क्या ऑप्शन खुले हुए हैं.

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12वीं के बाद कॉमर्स फील्ड में कर सकते हैं ये ग्रेजुएशन कोर्स

बैचलर ऑफ कॉमर्स
12वीं के बाद कॉमर्स में ग्रेजुएशन करना चाहते हैं तो बीकॉम एक अच्छा ऑप्शन है. इस डिग्री की मदद से आप अकाउंटिंग फाइनेंस, गुड्स अकाउंटिंग, अकाउंट्स, ऑपरेशंस, टैक्सेशन समेत कई फील्ड में अपना करियर बना सकते हैं. 

  • बैचलर ऑफ कॉमर्स (ऑनर्स)

इसमें स्टूडेंट्स मार्केटिंग मैनेजमेंट, अकाउंटिंग और फाइनेंशियल मैनेजमेंट, इंटरनेशनल ट्रेड एंड फाइनांस, ई कॉमर्स, बैंकिंग या ह्यूमन एंड रिसोर्स मैनेजमेंट में से कोई एक विषय चुन सकते हैं. बीकॉम में ऑनर्स की पढ़ाई करने से आपके पास कॉर्मस के हर विषय में पुख्ता जानकारी होगी. इस विषय में ऑल राउंडर बनने के लिए यह कोर्स बेस्ट है.

  • बीकॉम- एकाउंटिंग एंड फाइनांस

12वीं के बाद आप बैचलर ऑफ कॉमर्स इन अकाउंटिंग एंड फाइनेंस भी कर सकते हैं. फाइनेंस के छेत्र में नौकरी पाना चाहते हैं तो यह कोर्स बेस्ट है. इसकी अवधि बाकी ग्रेजुएशन कोर्स की तरह तीन साल की ही है. इस डिग्री से आप किसी भी कंपनी के फाइनेंस और अकाउंटिंग डिपार्टमेंट में नौकरी पा सकते हैं. अगर आप बिजनेस करना चाहते हैं तो एकाउंटिंग एंड फाइनेंस की पढ़ाई आपके वहां भी काम आएगी. 

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  • बीकॉम- बैंकिंग एंड इंश्‍योरेंस

बैचलर ऑफ कॉमर्स (बैंकिंग एंड इंश्योरेंस) एकेडमिक और प्रोफेशनल डिग्री दोनों हैं. यह तीन साल का ग्रजुऐशन प्रोग्राम है. इसमें वित्त, बैंकिंग, लेखांकन, बीमा कानून और बीमा नियमों सहित अन्य क्षेत्रों की पढ़ाई कराई जाती है. अगर आप बैकिंग के फील़्ड में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो यह कोर्स चुन सकते हैं. अगर आपने बैंकिंग एंड इंश्‍योरेंस की पढ़ाई की हुई होगी तो बैंक से जुड़े एग्जाम निकालना भी आपके लिए आसान हो जाएगा.

कॉमर्स के छात्रों के पास 12वीं के बाद यह कोर्स करने का भी ऑप्शन

अगर आप कॉमर्स के छात्र हैं तो कई ऐसे फील्ड हैं जहां आपके लिए करियर बनाना आसान हो जाएगा. 12वीं के बाद ग्रेजुएशन करने के अलावा आप चार्टर्ड अकाउंटेंसी (सीए), कंपनी सेक्रेटरी (सीएस), और कॉस्ट एंड मैनेजमेंट अकाउंटेंसी (सीएमए) में प्रोफेशनल सर्टिफिकेट कोर्स हासिल कर सकते हैं. आइए इसके बारे में डिटेल में जानते हैं. 

चार्टेड उकाउंटेट (Chartered Accountant)

सीए का काम फाइनेंशियल डेटा मेनेज करना, प्रॉफिट-लॉस का अनुमान लगाना, बैलेंस शीट मेनटेन करना आदि होता है. चार्टर्ड अकाउंटेंट के सिलेबस में अकाउंटिंग, टेक्सेशन और फाइनेंशियल मेनेजमेंट जैसे विषय शामिल हैं. चार्टर्ड अकाउंटेंट व्यवसाय जगत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वित्तीय विशेषज्ञता प्रदान करते हैं और कानूनों और विनियमों का अनुपालन करने में मदद करते हैं. 

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चार्टर्ड अकॉउंटेंंट (CA) करने के लिए अभ्यर्थी के पास 12वीं की डिग्री होनी चाहिए. 12वीं के बाद अगर आप चार्टर्ड अकाउंटेंट का कोर्स करना चाहते हैं तो इसके लिए 5 साल का समय लगेगा. ग्रेजुएशन के बाद इस कोर्स की अवधि साढ़े चार साल हो जाती है, इसमें आपकी ग्रेजुएशन फाइन आर्ट्स के अलावा किसी भी विषय में हो सकती है.

12th के बाद सीए बनने के लिए तीन एग्जाम से गुजरना पड़ता है. 12वीं के बाद उम्मीदवार को सबसे पहले पहले सीए फॉउंडेशन का एग्जाम देना होता है. फाउंडेशन एग्जाम के चार महीने बाद सीए इंटरमीडिएट एग्जाम पास करना होता है. इसके बाद 2.5 साल से 3 साल तक बाद फाइनल कोर्स के लिए आवेदन करना होता है जिसकी अवधि 2 साल की होती है. अगर आपने फाइन आर्ट्स के अलावा किसी भी अन्य विषय में ग्रेजुएशन की हुई है तो सीए फाउंडेशन एग्जाम आपको नहीं देना है. 

कंपनी सचिव (Company Secretary)

कंपनी सचिव (Company Secretary) एक सलाहकार होता है. जो कंपनी के लीगल, फाइनेंनशियल और सरकारी नियमों पर सुझाव और सलाह देता है. सीएस के सिलेबस में उम्मीदवारों को लीगल, फाइनेंशियल और शासन मामलों की पढ़ाई कराई जाती है. इसमें कॉर्पोरेट लॉ, सिक्योरिटी लॉ, कैपिटल मार्केट, कैपिटल गवर्नेंस की जानकारी दी जाती है. इसके बाद कैंडिडेट किसी बड़ी कंपनी, फर्म या किसी अन्य संस्थान में सीएस की नौकरी करने योग्य हो जाते हैं. 

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सीएस बनने के लिए उम्मीदवार के पास 12वीं की मार्कशीट होनी चाहिए. 12वीं के बाद कैंडिडेट फाउंडेशन, एग्जीक्यूटिव और प्रोफेशनल एग्जाम देकर सीएस बन सकता है. अगर कैंडिडेट ने बी.कॉम या बी.कॉम एलएलबी से ग्रेजुएशन की हुई है तो फाउंडेशन एग्जाम देना अनिवार्य नहीं है. इस पूरे कोर्स की अवधि 3 से 5 साल तक की होती है. 

CMA (Certified Management Accountant)

कॉस्ट अकाउंटेंसी सीए से मिलता-जुलता कोर्स है. 12वीं के बाद भी स्टूडेंट्स ICWA का कोर्स कर सकते हैं. इसके लिए 12वीं पास स्टूडेंट्स को पहले फाउंडेशन कोर्स करना होता है. भारत में चार्टर्ड अकाउंटेंसी का एग्जाम उम्मीदवारों के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) द्वारा आयोजित की जाती है. इसी तरह भारतीय कंपनी सचिव संस्थान (ICSI) कंपनी सीएस के कर्मचारियों, एग्जाम और रिजल्ट का रेगुलेशन करती है.

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