बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जयंती आज, PM मोदी समेत इन नेताओं ने किया याद

Bal Gangadhar Tilak Jayanti and Chandrashekhar Azad Jayanti: आजादी आंदोलन के दोनों स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद और बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई को हुआ था. बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के छोटे से गांव मंजरेगांव में हुआ था. वहीं, चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के भावरा में हुआ था.

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आजादी के स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जयंती आज आजादी के स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जयंती आज

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 12:09 PM IST

ब्रिटिश शासन की नींव हिला देने वाले आजादी के आंदोलन के दो स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद और बाल गंगाधर तिलक की आज जंयती है. उनकी जयंती पर देश दोनों वीर सपूतों को सलाम कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दोनों स्वतंत्रता सेनानियों की जयंती पर उन्हें नमन किया है.

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पीएम मोदी ने बाल गंगाधर तिलक को नमन करते हुए ट्वीट में लिखा, 'पूर्ण स्वराज की मांग से विदेशी हुकूमत की नींव हिलाने वाले देश के अमर सेनानी लोकमान्य तिलक को उनकी जन्म-जयंती पर कोटि-कोटि नमन. आजादी के आंदोलन में उनके साहस, संघर्ष और समर्पण की कहानी देशवासियों को सदा प्रेरित करती रहेगी.'

वहीं चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर उन्हें याद करते हुए पीएम मोदी ने ट्वीट में लिखा, 'देश के महान सपूत चंद्रशेखर आजाद को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन. मातृभूमि की रक्षा के लिए उनके बलिदान की कहानी देशवासियों को सदैव प्रेरित करती रहेगी.'

पीएम मोदी के अलावा अमित शाह ने भी दोनों स्वतंत्रता सेनानी को याद करते हुए ट्वीट किया 'लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जी की जन्म जंयती पर उन्हें नमन करता हूं. स्वराज के अधिकार के लिए तिलक महाराज ने क्रांति की लौ प्रज्ज्वलित की जिससे आजादी की लड़ाई को एक नई दिशा मिली. उन्होंने अपने जीवन का एक-एक क्षण मातृभूमि को समर्पित कर युवा क्रांतिकारियों को एक वैचारिक शक्ति प्रदान की. स्वतंत्रता आंदोलन के बीच तिलक महाराज ने गणेश उत्सव और छत्रपति शिवाजी के महोत्सवों जैसे अनेक त्योहारों को सार्वजनिक रूप से मनाना आरंभ किया जिससे लोगों में आत्मविश्वास का भाव जागृत हुआ. भारतीय इतिहास के निर्माण में उनका योगदान युगों-युगों तक स्मरणीय रहेगा.' 

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एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'अंग्रेजों को उन्हीं की भाषा में जवाब देने वाले चंद्रशेखर आजाद जी ने अपनी शर्तों पर जीवन जिया और देश के लिए प्राणों की आहुति दे दी. वे निर्भीक साहस और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक हैं. उनकी युवाओं को प्रेरित करने की क्षमता व शौर्यगाथा देश के स्वतंत्रता इतिहास में चिरस्मरणीय रहेगी. ऐसे महान क्रांतिवीर की जंयन्ती पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि देता हूं.'

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लोकमान्य तिलक और आजाद को याद करते हुए लिखा राष्ट्रभक्ति को समर्पित आपका शौर्य, त्याग व समर्पण समस्त देशवासियों की प्रेरणा है. उन्होंने ट्वीट किया, 'अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन मां भारती को परतंत्रता से मुक्त कराने के संकल्प को समर्पित कर दिया.' वे भगत सिंह जी आदि अनेक क्रांतिवीरों की प्रेरणा बने. आज उनकी जयंती पर शत-शत नमन करता हूं. राष्ट्रभक्ति को समर्पित आपका शौर्य, त्याग व समर्पण समस्त देशवासियों की प्रेरणा है.'

लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक (Lokmanya Bal Gangadhar Tilak)
बाल गंगाधर तिलक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक थे. उनका जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में हुआ था. तिलक ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को जनमत से जोड़कर उसे एक लोकप्रिय और स्वयंसेवी आंदोलन बनाने में बड़ी भूमिका निभाई. उन्हें "लोकमान्य" के उपाधि से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है "लोकप्रिय व्यक्ति". तिलक ने समाज सुधार की दिशा में काम किया और विशेष रूप से महिला शिक्षा, सती प्रथा और बाल विवाह को समाज से उखाड़ने के लिए संघर्ष किया. उन्होंने एकीकृत महाराष्ट्र की राजनीति को बढ़ावा दिया और स्वराज के लिए लोगों को प्रेरित किया. 1 अगस्त 1920 को विश्वासघाट येरेंद्र कोल्हापुर में उनके द्वारा स्थापित गणपति विश्वासघाट पर निधन हुआ था.

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चंद्रशेखर आज़ाद (Chandrashekhar Azad)
चंद्रशेखर आज़ाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के भावरा में हुआ था. 1921 में ही चंद्रशेखर आज़ाद सुचारू रूप से आज़ादी की लड़ाई में कूद गए थे. आज़ाद बाद में हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के मेंबर भी बन गए. काकोरी कांड समेत अंग्रेज़ों को मात देने वाली कई अन्य गतिविधियों में चंद्रशेखर आज़ाद की अहम भूमिका थी. 27 फरवरी, 1931 को जब अंग्रेज़ चंद्रशेखर आज़ाद को ढूंढ रहे थे, तब उन्होंने खुद को गोली मार ली थी क्योंकि उनका प्रण था कि अंग्रेज़ कभी उन्हें ज़िंदा नहीं पकड़ पाएंगे.

 

 

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