मोम की मूर्तियों की अनोखी शिल्पकार... मैडम तुसाद से जुड़ी है आज की कहानी

आज का दिन कला क्षेत्र की ऐसी शख्सियत से जुड़ा है, जिसका नाम आज भी हर कोई जानता है. ये थीं मैडम तुसाद, जिन्होंने मोम की जीवंत मूर्तियां बनाने की ऐसी परंपरा शुरू की, जो आज भी इनकी विरासत के तौर पर दुनिया भर के कई शहरों में तुसाद म्यूजियम के रूप में मौजदू है.

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मैडम तुसाद की बनाई मूर्ति (Getty) मैडम तुसाद की बनाई मूर्ति (Getty)

सिद्धार्थ भदौरिया

  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:44 AM IST

जब भी 'मैडम तुसाद' का नाम सुनते हैं, तो हमारे मन में चमकदार मोम की मूर्तियों का जादुई संसार उभरता है. लंदन, न्यूयॉर्क, दुबई जैसे शहरों में फैले मैडम तुसाद म्यूजियम दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस प्रसिद्ध संग्रहालय का नाम 'मैडम तुसाद' क्यों पड़ा? कौन थीं मैडम तुसाद और उन्होंने मोम की मूर्तियों की दुनिया को कैसे अमर किया? आइए जानते हैं उनकी प्रेरणादायक कहानी.

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कौन थीं मैडम तुसाद?
मैडम तुसाद का असली नाम मैरी ग्रोशोल्ट्ज था. उनका जन्म 1 दिसंबर 1761 को फ्रांस के स्ट्रासबर्ग शहर में हुआ. मैरी का बचपन कठिनाईयों में बीता. उनके पिता की मृत्यु उनके जन्म से पहले ही हो गई थी. उनकी मां उन्हें लेकर एक डॉक्टर फिलिप कर्टियस के पास काम करने चली गईं, जो मोम से मूर्तियां बनाने में माहिर थे. फिलिप कर्टियस ने मैरी को बचपन से ही मोम के साथ काम करना सिखाया. उन्होंने मैरी को इस कला की बारीकियां सिखाईं, और जल्द ही मैरी इसमें निपुण हो गईं.

क्रांति के बीच कला की पहचान
मैरी की पहली मोम की मूर्ति फ्रांस के लेखक वोल्टेयर की थी. उन्होंने फ्रांसीसी क्रांति के दौरान कई प्रमुख हस्तियों की मूर्तियां बनाई, जिनमें लुइस XVI, मेरी एंटोनेट, और रोबस्पियर शामिल थे. क्रांति के दौरान मैरी को मृतकों के चेहरे के नक्शे बनाने का काम भी करना पड़ा, जो दर्दनाक अनुभव था. फ्रांसीसी क्रांति के दौरान , उन्हें तीन महीने तक कैद किया गया था, लेकिन बाद में रिहा कर दिया गया था.  क्रांति के दौरान, उन्होंने कई प्रमुख पीड़ितों के मॉडल बनाए.

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लंदन में बनाया पहला संग्रहालय
1795 में मैरी ने फ्रैंकोइस तुसाद से विवाह किया और उनका नाम 'मैडम तुसाद' हो गया. 1802 में, वह अपनी कला के साथ ब्रिटेन चली गईं. यहां उन्होंने अपने संग्रह को लेकर यात्रा की और अंततः 1835 में लंदन में पहला स्थायी संग्रहालय स्थापित किया. लंदन में खोला गया यह संग्रहालय जल्दी ही लोकप्रिय हो गया. प्रदर्शनी के इस हिस्से में फ्रांसीसी क्रांति के पीड़ित और हत्यारों और अन्य अपराधियों की नव निर्मित आकृतियां शामिल थीं.

ऐसे पॉपुलर हुआ मैडम तुसाद म्यूजियम 
म्यूजियम में प्रसिद्ध लोगों की मोम से बनी मूर्तियों को लगाया गया, जिनमें लॉर्ड नेल्सन , ड्यूक ऑफ वेलिंगटन , हेनरी VIII और क्वीन विक्टोरिया शामिल थे. मैडम तुसाद की शुरुआती व्यावसायिक सफलता ने इसे एक ब्रांड के रूप में स्थापित किया. यहां राजनीति, मनोरंजन, साहित्य, और खेल जगत की मशहूर हस्तियों की मोम की मूर्तियां प्रदर्शित की जाती थीं. सबसे दिलचस्प बात यह थी कि मैडम तुसाद ने खुद उन मूर्तियों को बनाने में योगदान दिया.

मैडम तुसाद की विरासत
मैडम तुसाद ने 1850 में 88 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कहा. लेकिन उनकी बनाई हुई कला आज भी जीवित है. वर्तमान में मैडम तुसाद म्यूजियम दुनिया के 20 से अधिक प्रमुख शहरों में स्थापित हैं. इन संग्रहालयों में हर साल लाखों लोग आते हैं और अपनी पसंदीदा हस्तियों की मूर्तियों के साथ तस्वीरें खिंचवाते हैं.

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क्या खास है मैडम तुसाद म्यूजियम में?
मैडम तुसाद म्यूजियम की खासियत यह है कि यहां हर मूर्ति इतनी सजीव दिखती है कि लोग अपनी आंखों पर यकीन नहीं कर पाते. मोम की हर मूर्ति को बनाने में महीनों लगते हैं, और यह प्रक्रिया अत्यंत बारीकी से की जाती है.

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प्रमुख घटनाएं:

1 दिसंबर को ही विजया लक्ष्मी पंडित का निधन हुआ था. वे भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बहन थीं और संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली अध्यक्ष बनी थीं. 

1 दिसंबर को ही इंग्लैंड के राजा हेनरी I की मृत्यु हो गई थी. वे 66 साल के थे और उन्होंने 35 सालों तक शासन किया था. 

1 दिसंबर  1982 बारह देशों ने मिलकर पहली बार प्रस्तावित अंटार्कटिका संधि को लागू किया, जिसमें इस क्षेत्र को शांति और विज्ञान के लिए संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया.

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