Movements of Mahatma Gandhi: देश की आजादी का जिक्र आते ही दिमाग में आने वाला पहला नाम भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का होता है. एक ऐसा नाम जिसे न किसी पहचान की जरूरत है और न किसी व्याख्यान की. देश से विदेश तक अपना लोहा मनवाने वाले गांधी की चाह और मेहनत ने भारतवासियों को 250 साल की अंग्रेजी हुकूमत से आजादी दिलवाई. गांधी जी ने गोपाल कृष्ण गोखले के अनुरोध पर 1915 में देश वापसी की और देश को आजाद करवाने का प्रण लिया.
गांधी के आंदोलनों ने कांग्रेस (Congress) को जमीन से जोड़ा
गांधी के आंदोलनों ने ही एलीट क्लास के संगठन से पहचानी जाने वाली कांग्रेस को जमीन से जोड़ा. वो गांधी के आंदोलन ही थे, जिन से कांग्रेस के प्रति आम जनता में यकीन पैदा हुआ. लोगों को ये एहसास होने लगा कि कांग्रेस द्वारा चलाए गए आंदोलन उन्हें गुलामी की बेड़ियों से आजादी दिला सकते हैं. गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में अपनाए सत्याग्रह आंदोलन का भारत में इस्तेमाल किया. जिसका इस्तेमाल उनके कई आंदोलनों में देखने को मिलता है. हम आपको बता रहे हैं महात्मा गांधी के वो आंदोलन जिन्होंने लोगों में जोश भरा और देश प्रेम को जगाया.
> चंपारण सत्याग्रह आंदोलन Champaran Satyagraha Movement: गांधीजी के नेतृत्व में बिहार के चंपारण जिले में सन 1917 में एक सत्याग्रह हुआ. इसे चंपारण सत्याग्रह के नाम से जाना गया. गांधी के नेतृत्व में भारत में किया गया यह पहला सत्याग्रह आंदोलन था. महात्मा गांधी ने भारत में सत्याग्रह का पहला सफल प्रयोग किसानों के आंदोलन में ही किया था. ये आंदोलन नील की खेती करने वाले किसानों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ था. ये आंदोलन बहुत सफल रहा था.
> खेड़ा आंदोलन Kheda Movement: ये आंदोलन भी किसानों से जुड़ा आंदोलन था. जब गुजरात का एक गांव खेड़ा बाढ़ की चपेट में आ गया था तो स्थानीय किसानों ने शासकों से कर माफ करने की अपील की थी. इस पर गांधी ने एक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया और किसानों ने करों का भुगतान न करने का संकल्प लिया. किसानों ने सामाजिक बहिष्कार की भी व्यवस्था की. जिसके बाद 1918 में सरकार ने अकाल समाप्त होने तक राजस्व कर के भुगतान की शर्तों में ढील दे दी थी.
> रॉलेट एक्ट का विरोध Rowlatt Act: तेज होते आंदोलनों से आजादी की उठती आवाज को दबाने के लिए अंग्रेजों द्वारा 1919 में रॉलेट एक्ट लाया गया था. इसे काले कानून के नाम से भी जाना जाता है. इस कानून में वायसरॉय को प्रेस को नियंत्रित करने, किसी भी समय किसी भी राजनीतिज्ञ को अरेस्ट करने के साथ ही बिना वांरट किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देने का प्रावधान था. गांधी के नेतृत्व में पूरे देश ने एक सुर में इसका विरोध किया.
> असहयोग आंदोलन Non Cooperation Movement: कांग्रेस और गांधी के नेतृत्व में 1920 में असहयोग आंदोलन चलाया गया. गांधी जी का मानना था कि ब्रिटिश राज में उचित न्याय मिलना असंभव है इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से राष्ट्र का सहयोग वापस लेने की योजना बनाई, जिसे असहयोग आंदोलन का नाम दिया गया. इस आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक नई जान फूंकी.
> नमक सत्याग्रह Salt Satyagraha Movement: नमक सत्याग्रह को दांडी मार्च या दांडी सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है. साल 1930 में अंग्रेज सरकार ने जब नमक पर कर लगा दिया तो महात्मा गांधी ने इस कानून के खिलाफ ये आंदोलन छेड़ा. इसमें गांधी समेत 78 लोगों के द्वारा अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्रतटीय गांव दांडी तक पैदल यात्रा (390किलोमीटर) की गई. 12 मार्च को शुरू हुई यात्रा 6 अप्रैल 1930 तक यानी 24 दिन चली, जब नमक हाथ में लेकर नमक विरोधी कानून भंग करने का आह्वान किया गया.
> दलित आंदोलन Dalit Movement: देश में फैले छुआछूत के विरोध में महात्मा गांधी ने 8 मई 1933 से छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की थी. यह आंदोलन पूरे देश में इस तरह फैला कि देश में काफी हद तक छुआछूत खत्म हो गई. इससे पहले 1932 में गांधी ने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना भी की थी.
> भारत छोड़ो आंदोलन Quit India Movement: महात्मा गांधी ने 1942 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के बॉम्बे सेशन भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. ये आंदोलन ही अंग्रेजी हुकूमत की ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ. इस आंदोलन के कारण भारत छोड़ कर जाने के लिए अंग्रेजों को मजबूर किया गया. इस आंदोलन के बाद ही देश में आजादी की नींव पड़ी.
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