कौन थीं नीरजा भनोट? जिन्होंने अपनी जान देकर 360 लोगों को बचाया

7 सितंबर 1964 को चंडीगढ़ में जन्मीं नीरजा भनोट का बचपन भी आम लड़कियों की तरह ही बीता था. पत्रकार पिता की लाडली नीरजा खूबसूरत और चुलबुली थीं. आज उनकी पुण्यत‍िथ‍ि पर आइए जानते हैं इस बहादुर लड़की के बारे में.

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Neeraja Bhanot Neeraja Bhanot

aajtak.in

  • नई द‍िल्ली ,
  • 07 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 12:12 PM IST
  • नीरजा भनोट जन्म द‍िवस, बहादुर लड़की जो बन गई दुनिया के ल‍िए म‍िसाल
  • ससुराल से म‍िली थी प्रताड़ना, बनाया अपना करियर, मॉडल‍िंग में रही ह‍िट
  • जानिए- कैसे आतंकवादियों से बचाई थी 360 लोगों की जान

उस वक्त नीरजा की उम्र महज 23 साल थी. वो भी एक आम लड़की की तरह दिल खोल कर जीने वाली लड़की थी. उसे राजेश खन्ना के गाने पसंद थे. बस आम लड़कियों से कुछ अलग था तो वो था उनका जज्बा, हिम्मत और हौसला. शायद तभी इतनी कम उम्र में वो 'हीरोइन ऑफ हाईजैक' बन गई.

माता पिता ने रखा लाडो नाम

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नीरजा का जन्म 7 सितंबर 1963 को चंडीगढ़ के एक पंजाबी परिवार में हुआ था. उनके पिता हरीश भनोट पत्रकार और मां रमा भनोट गृहणी थीं.उनके माता-पिता ने जन्म से पहले ही तय कर लिया था कि अगर उनके घर बेटी का जन्म हुआ तो वे उसे 'लाडो' कहकर बुलाएंगे. उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई चंड़ीगढ़ के सैकरेड हार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल (Sacred Heart Senior Secondary School) से की, लेकिन बाद में उनका परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया. उन्होंने ने मुंबई के बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल से अपनी आगे की पढ़ाई की और मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई की.

पढ़ाई-लिखाई के बाद 

साल 1985 में एक बिजनेसमैन के साथ नीरजा की अरेंज मैरिज हुई. शादी के बाद वो अपने पति के साथ खाड़ी देश चली गईं. जहां उन्हें दहेज के लिए यातनाएं दी जाने लगीं. नीरजा इन सबसे इतना तंग आ गईं कि शादी के दो महीने बाद ही मुंबई वापस आ गईं और फिर वापस ससुराल नहीं गईं. मुंबई लौटने के बाद उन्होंने कुछ मॉडलिंग कॉन्ट्रेक्ट पूरे किए और उसके बाद पैन एम एयरलाइन्स ज्वाइन किया. इस दौरान उन्होंने एंटी-हाईजैकिंग कोर्स भी किया.

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बनीं टॉप मॉडल, किए 22 एड 

फिर नीरजा को मॉडलिंग असाइनमेंट मिला जिसके बाद उनके मॉडलिंग करियर की शुरुआत हुई. नीरजा अभिनेता राजेश खन्ना की बहुत बड़ी फैन थीं और अक्सर उनके डायलॉग बोला करती थीं. उन्होंने लगभग 22 विज्ञापनों में काम किया था. 

ज्वाइन की फ्लाइट अटेंडेंट की नौकरी 

नीरजा ने जब फ्लाइट अटेंडेंट की जॉब के लिए 'पैन एएम' में अप्लाई किया तब वह एक सक्सेसफुल मॉडल थीं. साल 1985 में उन्होंने पैन एएम के लिए अप्लाई किया और सेलेक्शन के बाद उन्हें फ्लाइट अटेंडेंट के तौर पर ट्रेनिंग के लिए मियामी और फ्लोरिडा भेजा गया लेकिन वो वापिस पर्सर के तौर पर आईं. पैन एएम के साथ- साथ ही नीरजा मॉडलिंग भी कर रही थीं.

जब आतंकवादियों से हुआ सामना 

5 सिंतबर 1986 को यानी नीरजा के 23वें जन्मदिन से केवल 2 दिन पहले को पैन एएम की फ्लाइट 73 में सीनियर पर्सर थीं, ये फ्लाइट मुंबई से अमेरिका जा रही थी लेकिन पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट पर इसे 4 हथियारबंद लोगों ने हाईजैक कर लिया. इस फ्लाइट में 360 यात्री और 19 क्रू मेंबर्स थे. जब आतंकियों ने प्लेन हाईजैक किया तब नीरजा की सूचना पर चालक दल के तीनों सदस्य यानी पायलट, को-पायलट और फ्लाइट इंजीनियर कॉकपिट छोड़कर भाग गए.

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 ये चारों आतंकवादी चाहते थे कि फ्लाइट को साइप्रस ले जाया जाए जहां वो कैद फिलिस्तीनी कैदियों को मुक्त करवा सकें. ये आतंकी अबू निदान ऑर्गेनाइजेशन के थे और अमेरिकी लोगों को नुकसान पहुंचा रहे थे. प्लेन हाईजैक करने के कुछ समय बाद उन्होंने एक अमेरिकी को प्लेन के गेट पर लाकर गोली मार दी. आतंकियों ने नीरजा को सभी पैसेंजर्स के पासपोर्ट इकट्ठे करने को कहा जिससे वो यह पहचान सके कि कौन से यात्री अमेरिकी हैं.

ऐसे बचाई जान 

प्लेन को हाईजैक करने के 17 घंटे बीतने के बाद आतंकियों ने यात्रियों की हत्या करनी शुरू कर दी. नीरजा ने हिम्मत दिखाते हुए इमरजेंसी गेट खोल दिया और उन्होंने पैसेंजर्स को वहां से निकालना शुरू किया. जिस समय वो तीन बच्चों को विमान से बाहर सुरक्षित निकालने की कोशिश कर रही थीं उसी वक्त एक आतंकवादी ने उन पर बंदूक तान दी. मुकाबला करते हुए नीरजा वहीं शहीद हो गईं.

नीरजा की बहादुरी ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हीरोइन ऑफ हाईजैक के रूप में मशहूर कर दिया. नीरजा ने लगभग 360 लोगों की जान बचाई थी. नीरजा की याद में एक संस्था नीरजा भनोट पैन एम न्यास की स्थापना की गई है. जो महिलाओं को उनके साहस और वीरता के लिए सम्मानित करती है.

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 भारत सरकार ने इस काम के लिए नीरजा को बहादुरी के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया. नीरजा यह पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की महिला रहीं. इतना ही नहीं, नीरजा को पाकिस्तान सरकार की तरफ से 'तमगा-ए-इंसानियत' और अमेरिकी सरकार की तरफ से 'जस्टिस फॉर क्राइम अवॉर्ड' से भी नवाजा गया.

कहा करती थी नीरजा, 'अपना काम करो और अन्याय बर्दाश्त नहीं करो'

एक इंटरव्यू में बात करते हुए नीरजा के भाई अनीश भनोट ने कहा कि नीरजा हमेशा कहा करती थी कि अपना काम करो और अन्याय बर्दाश्त नहीं करो. यही बात इस वक्त मैं आपसे कह सकता हूं. नीरजा सबसे कम उम्र में 'अशोक चक्र' पाने वाली शख्स‍ियत हैं. उनकी बाहुदरी के लिए नीरजा को पाकिस्तान सरकार ने 'तमगा-ए-इंसानियत' का अवार्ड दिया. आपको बता दें, नीरजा पर भारत ही नहीं पाकिस्तान, US को भी गर्व है. साल 2016 में उनकी बहादुरी को लेकर एक फिल्म 'नीरजा' बनी. जिसमें उनकी भूमिका को सोनम कपूर ने अदा किया था. 

 

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