Jaun Elia Birth Anniversary: क्या पूछते हो नाम-ओ-निशान-ए-मुसाफ़िरां जौन...पढ़ें मशहूर शायरी

Jaun Elia Birth Anniversary: जॉन एलिया उर्दू के मशहूर शायरों (Urdu Shayar) में से एक हैं. जौन एलिया भारत और पाकिस्तान के विभाजन के खिलाफ थे लेकिन विभाजन के बाद जौन भी पाकिस्तान चले गए थे. वह यूपी के अमरोहा के रहने वाले थे.

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Jaun Elia Nazm [ स्रोतः Social Media ] Jaun Elia Nazm [ स्रोतः Social Media ]

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:15 PM IST
  • विभाजन के बाद जौन पाकिस्तान चले गये थे
  • 8 नवंबर, 2004 को उनकी मृत्यु हो गई

Jaun Elia Birthday Special: आज उस शायर का जन्मदिन है, जिसकी शायरी हिंदुस्तान और पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में शायरी पसंद करने वालों के दिलों में धड़कती है. जिनका जन्म तो हिंदुस्तान में हुआ लेकिन मौत पाकिस्तान में. आज उर्दू के जाने माने शायर जौन एलिया (Jaun Elia) का जन्मदिन है. जौन का जन्म 14 दिसंबर, 1931 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में हुआ था.

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वे भारत और पाकिस्तान के विभाजन के खिलाफ थे लेकिन विभाजन के बाद जौन भी पाकिस्तान चले गये थे. जिसके बाद वे एक बार अमरोहा आए तो उन्होंने ये शेर लिखा -

जाने कहां से आए हैं जाने कहां के थे, 
ऐ जान-ए-दास्तां तुझे आया कभी ख़्याल 

वो लोग क्या हुए जो तिरी दास्तां के थे ,
हम तेरे आस्तां पे ये कहने को आए हैं 

वो ख़ाक हो गए जो तिरे आस्तां के थे , 
मिलकर तपाक से न हमें कीजिए उदास 

ख़ातिर न कीजिए कभी हम भी यहां के थे , 
क्या पूछते हो नाम-ओ-निशान-ए-मुसाफ़िरां 
जौन अपने हिन्दोस्तां में आए हैं हिन्दोस्तां के थे.

जौन अपने काले चश्में, लंबे बाल और अपनी तीखी शायरियों के लिए मशहूर थे. पाकिस्तान में रहते हुए उन्हें गंगा, यमुना और अमरोहा की याद आती रही. उन्होंने लिखा....

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मत पूछो कितना ग़मगीन हूं, गंगा जी और यमुना जी,
ज्यादा तुमको याद नहीं हूं, गंगा जी और यमुना जी.

अपने किनारों से कह दीजो आंसू तुमको रोते हैं,
अब मैं अपना सोग-नशीं हूं, गंगा जी और यमुना जी.

अब तो यहां के मौसम मुझसे ऐसी उम्मीदें रखते हैं,
जैसे हमेशा से मैं तो यहीं हूं, गंगा जी और यमुना जी.

अमरोहा में बान नदी के पास जो लड़का रहता था,
अब वो कहां है? मैं तो वही हूं, गंगा जी और यमुना जी.

इसके अलावा भी उनके कई शेर बहुत प्रसिद्द हैं, इनमें से कुछ हैं....

- इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊं
वगरना यूं तो किसी की नहीं सुनी मैंने 


- मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस 
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं


- बहुत नज़दीक आती जा रही हो 
बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या  

उनके लिखे प्रमुख संग्रह में - यानी, शायद, गुमान प्रमुख हैं. जौन की मृत्यु 8 नवंबर, 2004 को पाकिस्तान में हुई. 

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