एनकाउंटर में ढेर होने से पहले विकास दुबे ने STF के सीओ को सीने पर मारी थी गोली, FIR में खुलासा

बुलेट प्रूफ जैकेट पहनने की वजह से सीओ तेज बहादुर सिंह बाल-बाल बच गए थे. यह खुलासा मुठभेड़ के बाद सीओ तेज बहादुर सिंह की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर में हुआ है.

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एनकाउंटर में मारा गया था विकास दुबे (फाइल फोटो) एनकाउंटर में मारा गया था विकास दुबे (फाइल फोटो)

कुमार अभिषेक

  • लखनऊ,
  • 15 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 3:49 PM IST

  • तेज बहादुर सिंह की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर में हुआ खुलासा
  • विकास ने एसटीएफ के सीओ तेज बहादुर सिंह को सीने पर गोली मारी थी

गैंगस्टर विकास दुबे तो एनकाउंटर में मारा गया, लेकिन उसकी मुठभेड़ से जुड़े राज धीरे-धीरे खुल रहे हैं. आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाते समय हुए एनकाउंटर में मार गिराया गया था. इस एनकाउंटर के दौरान विकास दुबे ने एसटीएफ के सीओ तेज बहादुर सिंह को सीने पर गोली मारी थी. लेकिन बुलेट प्रूफ जैकेट पहनने की वजह से वह बाल-बाल बच गए थे. यह खुलासा मुठभेड़ के बाद सीओ तेज बहादुर सिंह की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर में हुआ है.

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दरअसल, पिछले दिनों दबिश देने गई पुलिस टीम पर विकास दुबे और उसके साथियों ने घेर कर फायरिंग की थी. इस हमले में एक सीओ और दो सब इंस्पेक्टर सहित कुल 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे. इस हत्याकांड को अंजाम देने के बाद विकास दुबे फरार हो गया था. वारदात के 6 दिन बाद उसे उज्जैन से गिरफ्तार किया गया था.

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इसके बाद यूपी एसटीएफ की टीम मध्य प्रदेश के उज्जैन से विकास दुबे को लेकर कानपुर आ रही थी. कानपुर से लगभग 25 किलोमीटर पहले वह गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई जिसमें पुलिस के जवानों के साथ विकास दुबे बैठा था. गाड़ी पलटने के बाद विकास दुबे एक पुलिसकर्मी की पिस्टल लेकर गाड़ी के पिछले दरवाजे से बाहर निकला और फरार होने की कोशिश करने लगा.

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जब तक पुलिस टीम उसका पीछा कर उसे पकड़ पाती विकास दुबे ने पुलिस की पिस्टल से ही पुलिस के जवानों पर फायरिंग कर दी. इस दौरान विकास दुबे को पकड़ने के लिए उसका पीछा कर रहे सीओ के सीने पर गोली लगी. यह तो सीओ तेज बहादुर सिंह का सौभाग्य था कि बुलेट प्रूफ जैकेट पहनने की वजह से उनको कोई नुकसान नहीं हुआ और उनकी जान बच गई.

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इस वजह से पुलिस टीम बदल रही थी विकास दुबे की गाड़ियां

एसटीएफ के सीओ तेज बहादुर सिंह द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में इस बात का भी जिक्र है कि उज्जैन से कानपुर लाते समय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विकास दुबे की गाड़ियां भी बदली जा रही थी. जिस गाड़ी का हादसा हुआ उसका नंबर UP 70 AG 3497 है. इस गाड़ी में इंस्पेक्टर रमाकांत और कॉन्स्टेबल प्रदीप कुमार के बीच में विकास दुबे को बैठाया गया था.

इसके साथ ही साथ एसटीएफ के जवान दो अन्य गाड़ियों में बैठे थे और दोनों गाड़ियां विकास दुबे वाली गाड़ी से उचित दूरी बनाकर चल रही थी. दुर्घटना के बाद विकास दुबे इंस्पेक्टर रमाकांत की पिस्टल लेकर फरार हुआ था. एफआईआर में इस बात का भी जिक्र है कि जब पुलिस टीम विकास दुबे को लेकर कानपुर की तरफ आ रहे थी, उसी समय बाराजोर टोल प्लाजा को क्रॉस करने के बाद बारिश शुरू हो गई थी और कानपुर नगर लगभग 25 किलोमीटर बाकी रह गया था. उसी दौरान गाय और भैंसों का एक झुंड भागता हुआ सड़क पार करने लगा, इसी दौरान पुलिस की गाड़ी सड़क पर पलट गई.

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