Sydney Bondi Beach Attack: ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में बॉन्डी बीच हमले का 25 वर्षीय गुनहगार नवीद अकरम अब होश में आ चुका है. इसी के बाद ऑस्ट्रेलियाई पुलिस ने उसे अस्पताल में ही गिरफ्तार किया है. नवीद अकरम ने अपने पिता साजिद अकरम के साथ मिलकर रविवार को सिडनी के बॉन्डी बीच पर हमला किया था, जिसमें 15 लोगों की जान चली गई, जबकि 40 से ज्यादा लोग जख्मी हुए. ये पिछले 30 सालों में ऑस्ट्रेलियाई धरती पर हुआ सबसे घातक आतंकी हमला था. अब पुलिस ने नवीद पर कुल 59 आरोप लगाए गए हैं. चलिए जान लेते हैं इस पूरे खौफनाक गोलीकांड की पूरी कहानी.
सिडनी में मौजूद बॉनीरिग इलाका है. सिडनी के जिस बोन्डी बीच पर संडे को शूटआउट हुआ उससे करीब 40 किलोमीटर दूर. गूगल से ली गई एक तस्वीर इसी साल जून की है. उस तस्वीर में सिल्वर कलर की एक कार दिखाई दे रही है. वो कार शूटआउट में शामिल साजिद अकरम के घर के बाहर खड़ी है. सिल्वर कलर की वही कार 14 दिसंबर यानी संडे की शाम को बोन्डी बीच के ठीक बाहर उस फुटब्रिज के बिल्कुल करीब पार्क है, जिस फुटब्रिज पर खड़े होकर साजिद अकरम और उसके बेटे नवीद अकरम ने करीब 50 राउंड गोलियां चलाईं, जिनमें 16 लोगों की मौत हो गई और 35 से ज्यादा घायल हो गए.
न्यू साउथ वेल्स के काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट के एक सीनियर अफसर ने ऑस्ट्रेलियाई मीडिया को बताया है कि दोनों बाप बेटे 13 अगस्त को ही बॉनीरिग अपने घर से इसी कार में 6 लाइंसेसी बंदूक और दर्जनों राउंड कारतूस के साथ निकल गए थे. घर से निकलते हुए बाप बेटे ने घरवालों से कहा था कि वो वीकेंड पर फिशिंग करने यानी मछली पकड़ने जा रहे हैं. घर से निकलने के बाद ये दोनों 13 दिसंबर की रात कैमसी के साउथ वेस्ट इलाके में एयर-बीएनबी के एक होटल में रुके थे. वो जगह बोन्डी बीच से 20 किलोमीटर की दूरी पर थी. दोनों बाप बेटे कैमसी से शाम को इसी सिल्वर कलर की कार में निकलते हैं और सीधे बोन्डी बीच पहुंचे.
शाम का वक्त और मच गया हाहाकार...
काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट के मुताबिक दोनों ने बोन्डी बीच की रेकी पहले से कर रखी थी. इसीलिए वो कार को फुटब्रिज के करीब खड़ी करते हैं और सीधे फुटब्रिज पर पहुंच जाते हैं. फुटब्रिज से चारों तरफ सबकुछ साफ दिखाई देता है. क्योंकि ये थोड़ी ऊंचाई पर है. असल में इस फुटब्रिज का इस्तेमाल अमूमन लोग बोन्डी बीच तक पहुंचने के लिए करते हैं.
शाम हो चुकी थी. यहूदियों के रौशनी के त्योहार था. यानी फेस्टिवल ऑफ लाइट का ये पहला दिन था. लिहाजा बड़ी तादाद में हर साल की तरह यहूदी समुदाय के लोग जगह पर इकट्ठे थे. और ये बात दोनों बाप-बेटे पहले से जानते थे. फुटब्रिज पर पहुंचते ही दोनों बाप बेटों ने अचानक लंबी बंदूक बाहर निकाली और बस लोगों की तरफ उसका मुंह तान कर ट्रिगर दबाना शुरू कर दिया. दोनों का मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों को मार डालना था. दोनों कार में कुल छह बंदूक लेकर यहां पहुंचे थे और कार बिल्कुल फुटब्रिज के करीब खड़ी थी. उनकी कार के पीछे की तरफ पार्किंग है. और उस पार्किंग में भी बहुत सारी कारें पार्क थीं.
शूटर को कैसे चकमा दिए अहमद?
जिस वक्त दोनों बाप बेटे अंधाधुंध निहत्थे और बेकसूर लोगों पर गोलियां चला रहे थे, ठीक उसी वक्त इनमें से एक शूटर के ठीक पीछे कार की ओट में एक शख्स अपनी कजिन के साथ खड़ा था. दोनों वहां कॉफी पी रहे थे. उस शख्स का नाम है- अहमद अल अहमद. 44 साल के अहमद ने जैसे ही शूटर को देखा, सबसे पहले खुद को कार की ओट में पूरी तरह छुपाने की कोशिश की. जिस जगह कार के पीछे अहमद खड़े थे, वहां से बस चंद कदम की दूरी पर शूटर था. जो लगातार गोलियां चला रहा था. खुशनसीबी से जहां अहमद खड़े थे, उस जगह से शूटर का पीठ दिखाई दे रहा था. यानी शूटर अहमद को नहीं देख पा रहा था.
बस, इसी एक मौके का अहमद ने फायदा उठाने की सोची. हालांकि खतरा बहुत ज्यादा था. अगर शूटर की नजर जरा सी भी अहमद पर पड़ जाती, तो बंदूक का रुख अहमद की तरफ होता. लेकिन अहमद ने ठान लिया कि वो निहत्थे ही इस शूटर का सामना करेंगे और उसे दोबचने की कोशिश करेंगे. इसी के बाद वो दबे कदमों तेजी से अचानक कार की ओट से बाहर निकलते हैं और इससे पहले कि शूटर उन्हें देख पाता, उसे पीछे से इस तरह जकड़ लेते हैं कि वो बंदूक का ट्रिगर दबा ही नहीं सकता था. शूटर को चंगुल में लेने के बाद अचानक पीछे की तरफ गिरता है और अब बंदूक अहमद के हाथों में थी.
इस बीच शूटर अब खड़ा हो चुका था और पीछे की तरफ चल रहा था, तभी अहमद दो बार शूटर के पैर का निशाना लेकर गोली चलाते हैं. शायद एक गोली शूटर के पैर में लगी थी. इस बीच जब अहमद शूटर की तरफ उसे दबोचने के लिए भागे, तभी उनके पीछे-पीछे उनकी कजिन भी दौड़ती हुई आई थी. शूटर से बंदूक छीनने के बाद अब वही बंदूक अहमद के हाथ में थी और अहमद को अंदाजा था कि आस-पास पुलिस भी है. उसे लगा कि कहीं पुलिस उसे ही शूटर समझ कर गोली ना मार दे. इसीलिए अब उसने एक हाथ बंदूक थामा और दूसरा हाथ हवा में उठा कर पुलिस को ये इशारा देने लगा कि वो शूटर नहीं है.
एक दूसरे कैमरे में दिखता है कि जब शूटर पीछे की तरफ जा रहा है, तब एक और शख्स जिसके हाथों में शायद कोई पत्थर था, वो शूटर की तरफ फेंकता है. इसके आगे होता ये है कि शूटर वापस उसी फुटब्रिज की तरफ चल पड़ता है, जहां दूसरा शूटर अब भी निहत्थे लोगों पर गोलियां चला रहा था. जिस शूटर को अहमद ने दबोचा, उसका नाम नवीद अकरम है. और जो शूटर फुटब्रिज पर गोलियां चला रहा था, वो नवीद का बाप साजिद अकरम था.
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अब ये एक दूसरे कैमरे की तस्वीर सामने आई. वो तस्वीर ड्रोन की है. जिसमें आस-पास के पूरे इलाके के साथ-साथ इस फुटब्रिज की तस्वीर को भी रिकॉर्ड किया गया है. जहां एक शूटर जमीन पर पड़ा नजर आ रहा है. ये वही शूटर है जिसके पैर में अहमद ने गोली मारी थी. दूसरा शूटर यानी साजिद अकरम अब भी गोलियां चला रहा था, पर फिर थोड़ी देर बाद ही वो भी फुटब्रिज पर गिर पड़ता है. न्यू साउथ वेल्स पुलिस उसे गोली मार चुकी थी.
अगर अहमद अल अहमद अपनी जान पर खेल कर नवीद को शिकंजे में ना लेता, तो कई बेगुनाहों की जान जा सकती थी. हालांकि जब अहमद ने शूटर नवीद से उसकी बंदूक छीन ली, तो पैर में गोली खाने के बाद भी नवीद अपने बाप के पास फुटब्रिज तक पहुंच चुका था. बेटे को घायल देख तब तक बाप यानी साजिद अकरम ने अहमद की तरफ गोली चला दी. अहमद के कंधे पर कुल चार गोलियां लगीं. अहमद घायल हो कर वहीं एक पेड़ की ओट में गिर पड़े. बाद में अहमद को पुलिस न्यू जॉर्ज हॉस्पिटल ले गई. जहां अहमद की सर्जरी हुई. फिलहाल अहमद की हालत खतरे से बाहर है. सोमवार को घायल अहमद से मिलने खुद ऑस्ट्रेलिया के प्राइम मिनिस्टर एन्थनी अल्बनीज हॉस्पिटल पहुंचे. उन्होंने अहमद अह अहमद को ऑस्ट्रेलिया का सच्चा हीरो बताया.
पूरी दुनिया हीरो की तरह छाए अहमद
न्यू साउथ वेल्स जिसके तहत सिडनी शहर आता है, उसके प्रीमियर क्रिस मिंस ने भी अहमद से अस्पताल में मुलाकात की और सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाल कर अहमद को रियल लाइफ हीरो बताया. उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि अगर अहमद ने बहादुरी ना दिखाई होती, तो बहुत सी और जानें जा सकती थी. यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अहमद अल अहमद की इस बहादुरी की तारीफ की. अपनी इसी बहादुरी की वजह से अहमद एक ही दिन में पूरी दुनिया में हीरो बन गए. सोशल मीडिया से लेकर दुनिया भर की मीडिया में अहमद की बहादुरी की तारीफ हो रही है.
यहां तक कि अहमद की मदद के लिए गो-फंड-मी पेज तक शुरू हो गया. जिसमें लोग अब तक 1.4 मिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर यानी लगभग 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर जो कि भारतीय करंसी में लगभग 9 करोड़ रुपये बैठता है, डोनेट कर चुके हैं. अहमद अल अहमद 2006 में सीरिया से आस्ट्रेलिया आए थे. उस वक्त सीरिया गृह युद्ध से घिरा हुआ था. लिहाजा रिफ्यूजी के तौर पर उन्हें आस्ट्रेलिया ने शरण दी थी. बाद में उन्हें आस्ट्रेलिया की नागरिता मिल गई. अहमद की तीन और छह साल क दो बेटियां हैं. सिडनी आने के बाद अहमद ने फल की एक दुकान खोली और उसी से परिवार का गुजारा चल रहा था.
'किसी पर ज़ुल्म होते नहीं देख पाते...'
अभी दो महीने पहले ही अहमद के मां-बाप भी सीरिया से आस्ट्रेलिया अपने बेटे यानी अहमद के पास आए थे. अहमद के मां-बाप ने मीडिया से बाचतीच में बताया कि अहमद कभी किसी पर जुल्म होते नहीं देख पाते. उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है कि कौन किस धर्म या देश का है. वो किसी की भी जान बचाने के लिए अपनी जान तक दाव पर लगाने से पीछे नहीं हटते. और यही उन्होंने सन्डे को पौंडी बीच पर किया.
इस बीच न्यू साउत वेल्स की काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट ने अपनी जांच बी तेज कर दी है. अभी तक की जांच से ये सामने आया है कि साजिद अकरम और उसका बेटा नवीद पिछले महीने ही फिलिपींस में मिलिट्री स्टाइल ट्रेनिंग लेने गए थे. फिलिपींस 90 के दशक से ही इस्लामिक मिलिटेंस के लिए हॉट स्पॉट बना हुआ है. काउंटर टेररिज्म डिपार्टमेंट के मुताबिक दोनों बाप-बेटे 1 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया से फिलिपींस पहुंचे थे. 27 दिन तक फिलिपींस में रहने के बाद दोनों 28 नवंबर को वापस सिडनी आए थे.
फिलिपींस की ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के प्रवक्ता डाना सैंडोवल ने बताया है कि साजिद अकरम भारतीय पासपोर्ट पर फिलिपींस आया था, जबकि नवीद अकरम के पास ऑस्ट्रेलिया का पासपोर्ट था. इस बीच एक खबर ये भी आ रही है कि साजिद अकरम भारत के ही हैदराबाद का रहने वाला था और 1998 में वो ऑस्ट्रेलिया गया था. ये भी दावा किया जा रहा है कि साजिद 2022 में आखिरी बार भारत आया था.
उधर, तेलंगाना पुलिस ने ये दावा किया है कि जब तक साजिद भारत में था, उसके खिलाफ यहां कोई भी आपराधिक मामला नहीं था. डिपार्टमेंट के मुताबिक नवीद अकरम ऑस्ट्रेलिया में प्रो इस्लामिक स्टेट नेटवर्क से जुड़ा हुआ है. खास तौर पर उसकी नजदीकी ऑस्ट्रेलिया में मौजूद एक जेहादी मौलाना विसाम हद्दाद से थी. हालांकि हद्दाद ने अपने वकील के जरिए एक बयान जारी कर ये सफाई दी है कि बोन्डी बीच पर हुए शूटआउट से कोई लेना-देना नहीं है.
14 दिसंबर 2025, शाम 6.47 मिनट
आर्चर पार्क, बोंडी बीच सिडनी, आस्ट्रेलिया. संडे के दिन यहूदियों का रौशनी का त्यौहार हनुक्का था. 8 दिन और 8 रात तक मनाए जाने वाले इस फेस्टिवल ऑफ लाइट का पहला दिन था. इसी त्यौहार को मनाने के लिए कई यहूदी बोंडी बीच के करीब आर्चर पार्क में इकट्ठा हुए थे. पार्क में घास वाली जगह पर ये कार्यक्रम चल रहा था. जहां अचानक शाम 6 बजकर 47 मिनट पर त्योहार मनाने आए यहूदियों में पर अंधाधुंध गोलियां चलने लगीं थी. ये शूटआउट का मामला था. हमलावर थोड़ी सी ऊंचाई पर थे. और लोग नीचे की तरफ.
कुछ पल में ही लोगों को अहसास हो चुका था कि गोलियां एक नहीं बल्कि दो तरफ से चल रही हैं. यानी शूटर दो थे. हमलावर लोगों को निशाना लेकर अंधाधुंध गोलियां चला रहे थे. हर कोई अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहा था. बीच पर पुलिस वाले भी थे. तब तक शूटआउट की खबर पुलिस हेडक्वार्टर तक भी पहुंच चुकी थी. पुलिस फोर्स भी अब बीच के लिए रवाना हो चुकी थी. पुलिस ने मौके पर पहुंच कर दो तरफ से हमलावरों को घेरने की कोशिश की.
तभी इसी बीच एक शख्स पीछे की तरफ से खुद को छुपाता हुआ जान पर खेल कर एक शूटर के करीब पहुंचता है और अचानक उसे इस तरह पीछे से दबोचता है कि कि शूटर कुछ कर नहीं पाता. इसके बाद वही शख्स उससे उसका हथियार छीन लेता है. उस शख्स का नाम अहमद अल अहमद है. हालांकि अपने एक साथी को इस तरह बेबस देख दूसरा शूटर अचानक अहमद पर गोली चला देता है. गोली उसके कंधे और गर्दन पर लगती है.
उधर, न्यू साउथ वेल्स पुलिस की कार्रवाई शुरू हो चुकी थी. पुलिस ने हमलावरों को दोनों तरफ से घेर लिया. इसके बाद शूटआउट में उनमें से एक मारा गया, जबकि दूसरे को गोली लगने के बाद घायल हालत में गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन तब तक दोनों शूटर 50 राउंड गोली चला कर 15 लोगों की जान ले चुके थे. जबकि 35 लोग घायल हो चुके थे.
(आज तक ब्यूरो)
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