उत्तर प्रदेश के शामली में सामने आया एक हत्याकांड रिश्तों, सोच और पितृसत्तात्मक मानसिकता की सबसे खौफनाक तस्वीर पेश करता है. यहां एक महिला ने अपने पति का हाथ बंटाने और बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए घर से बाहर काम करने की इच्छा जताई. यही फैसला उसके और दो बेटियों की मौत का कारण बन गया.
यह कहानी उस वक्त सामने आई, जब शामली के एक घर के अंदर पुलिस की मौजूदगी में खुदाई शुरू हुई. घर के आंगन में मजदूर गड्ढा खोद रहे थे. जैसे-जैसे गड्ढा गहरा होता गया, वहां मौजूद पुलिसकर्मियों, रिश्तेदारों और ग्रामीणों की बेचैनी भी बढ़ती गई. करीब पांच फुट गहराई पर खुदाई के दौरान वह डरावना सच सामने आया.
गड्ढे से एक के बाद एक तीन शव बाहर निकाले गए. दो शव 14 साल की आफरीन और 10 साल की सहरीन के थे. तीसरा शव उनकी मां ताहिरा का था. तीनों पिछले छह दिनों से लापता थे. जिस गवाह के बयान पर यह खुदाई हो रही थी, उसकी बात सच साबित हो चुकी थी. इस भयानक सच ने सबका दिल दहला दिया.
शामली के एसपी एनपी सिंह के मुताबिक, आरोपी फारुख ने पूछताछ में जो कहानी बताई, वह दिल झकझोर देने वाली है. फारुख शादी-समारोह में रोटी बनाने का काम करता है. इस तरह वो अपने परिवार का पेट पालता था. 18 साल पहले उसकी शादी ताहिरा से हुई थी. दोनों के पांच बच्चे थे. तीन बेटियां और दो बेटे.
काम करने की इच्छा बनी मौत की वजह
समस्या तब शुरू हुई जब घर की माली हालत लगातार बिगड़ती चली गई. बच्चों की पढ़ाई तक छूट गई. इसी हालत को देखते हुए नवंबर के पहले हफ्ते में ताहिरा ने अपने पति से बाहर जाकर काम करने की इच्छा जताई. वह चाहती थी कि परिवार की जिंदगी बेहतर हो सके. लेकिन फारुख को यह बात नागवार गुजरी.
उसे लगा कि उसकी इज्जत पर चोट पहुंची है. इसी बात पर दोनों के बीच झगड़ा हुआ. गुस्से में ताहिरा अपने मायके चली गई. यह पहली बार था, जब वह बिना नकाब और बुर्का पहने घर से बाहर निकली थी. वो मायके में करीब एक महीने तक रही. इस दौरान फारुख का गुस्सा और बढ़ता गया. उसने खौफनाक साजिश रच डाली.
सेप्टिक टैंक के बहाने खुदवाया गड्ढा
दिसंबर के पहले हफ्ते में फारुख खुद ससुराल गया और ताहिरा को वापस घर ले आया. लेकिन घर लाने से पहले वह दो तैयारियां कर चुका था. उसने घर के अंदर सेप्टिक टैंक के बहाने एक गहरा गड्ढा खुदवा लिया था. इसके साथ ही कैराना से एक अवैध कट्टा भी खरीद लाया था. अब वो मौके का इंतजार करने लगा.
गोली की आवाज से खुली बेटी की आंख
आठ दिन तक उसने सब कुछ सामान्य रहने दिया. 9 और 10 दिसंबर की रात उसने ताहिरा को मारने का फैसला कर लिया. जैसे ही उसने ताहिरा पर गोली चलाई, बराबर के कमरे में सो रही उसकी 14 साल की बेटी आफरीन की नींद खुल गई. इसी दौरान घर में शोर सुनकर 10 साल की सहरीन भी जाग गई.
दोनों बेटियों ने अपनी आंखों से पिता को मां की लाश के पास खड़ा देखा. फारुख को डर हुआ कि उसका राज खुल जाएगा. इसी डर में उसने एक-एक कर दोनों बेटियों को भी गोली मार दी. घर में मौजूद बाकी तीन बच्चे गोली की आवाज के बावजूद नहीं जागे. फारुख ने जाकर देखा और यह तय किया कि उन्हें नहीं मारेगा.
तीनों हत्याओं के बाद फारुख ने पहले से तैयार गड्ढे में पत्नी और दोनों बेटियों की लाशें डाल दीं और ऊपर से मिट्टी भर दी. अगली सुबह जब बच्चे मां और बहनों के बारे में पूछने लगे, तो उसने झूठ बोल दिया कि वे नाना-नानी के घर गई हैं. दिन बीतते गए. ताहिरा के मायके वालों से कोई संपर्क नहीं हुआ तो उन्हें शक हुआ.
दर्ज कराई गुमशुदगी की रिपोर्ट
इसके बाद ताहिरा के पिता ने गांव के प्रधान की मदद से पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस की पूछताछ में आखिरकार फारुख टूट गया और उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया. फारुख के खुलासे के बाद पुलिस मजदूरों को लेकर घर पहुंची और खुदाई करवाई. ताहिरा और उसकी दो मासूम बेटियों की लाशें बरामद हुईं.
इस घटना के बाद पूरा गांव हैरान है. हर किसी के मन में एक ही सवाल है कि क्या एक महिला का काम करना और नकाब उतारना इतना बड़ा जुर्म हो सकता है कि उसकी कीमत तीन जिंदगियों से चुकाई जाए. मियां-बीवी के बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर होने वाले तनाव अक्सर जानलेवा साबित हो रहे हैं.
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