DLF कैमेलियास के नाम पर 12 करोड़ की ठगी, हाई प्रोफाइल प्रॉपर्टी फ्रॉड सिंडिकेट का भंडाफोड़

गुरुग्राम की सबसे महंगी लग्ज़री हाउसिंग सोसायटी DLF कैमेलियास के नाम पर 12 करोड़ रुपए की बड़ी ठगी सामने आई है. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस हाई-प्रोफाइल प्रॉपर्टी फ्रॉड का खुलासा करते हुए एक संगठित गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया है.

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लग्ज़री घर का सपना दिखाकर करोड़ों हड़पे, अब तक 200 करोड़ की लूट. (Photo: X/@CrimeBranchDP) लग्ज़री घर का सपना दिखाकर करोड़ों हड़पे, अब तक 200 करोड़ की लूट. (Photo: X/@CrimeBranchDP)

aajtak.in

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  • 28 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:50 PM IST

दिल्ली पुलिस ने बड़े हाई प्रोफाइल प्रॉपर्टी फ्रॉड रैकेट का पर्दाफाश किया है. इस रैकेट ने गुरुग्राम की अल्ट्रा-लग्ज़री हाउसिंग सोसायटी DLF कैमेलियास के नाम पर 12 करोड़ रुपए की ठगी की थी. इस मामले में मास्टरमाइंड समेत पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गयाहै. आरोपी जाली बैंक ऑक्शन डॉक्यूमेंट्स और फर्जी सेल सर्टिफिकेट के जरिए लोगों को ठगते थे.

डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस आदित्य गौतम ने बताया कि यह मामला 13 जून को सामने आया था, जब एक पीड़ित ने शिकायत दर्ज कराई. उसने बताया कि गुरुग्राम स्थित DLF कैमेलियास में एक लग्जरी प्रॉपर्टी को बैंक नीलामी में खरीदे जाने का दावा कर उससे करोड़ों रुपए वसूले गए. शिकायतकर्ता को दिखाए गए सभी दस्तावेज बाद में पूरी तरह फर्जी पाए गए.

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दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की जांच में सामने आया कि आरोपी खुद को MG लीजिंग एंड फाइनेंस का प्रतिनिधि बताकर पीड़ित को यह भरोसा दिलाते रहे कि बैंक ऑक्शन में खरीदी गई प्रीमियम प्रॉपर्टी का तुरंत ट्रांसफर कराया जाएगा. इसी भरोसे में अगस्त से अक्टूबर 2024 के बीच पीड़ित ने RTGS और डिमांड ड्राफ्ट के जरिए कुल 12.04 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए.

पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि सेल सर्टिफिकेट, ऑक्शन रसीद, मॉर्गेज डॉक्यूमेंट और अलॉटमेंट लेटर सभी जाली थे. बैंक से पुष्टि होने के बाद पूरे फर्जीवाड़े की परतें खुलनी शुरू हुईं. जांच में यह भी सामने आया कि ठगी की पूरी रकम एक प्रोप्राइटरशिप फर्म के बैंक अकाउंट में जमा कराई गई. इसके बाद में कई अकाउंट्स के जरिए पैसों को घुमाया गया.

इस तरह पैसों के सही ठिकाने की असली पहचान छिपाई गई. इसे एक सुनियोजित मनी सर्कुलेशन और लॉन्ड्रिंग नेटवर्क बताया जा रहा है. मुख्य आरोपी मोहित गोगिया काफी समय तक फरार रहा. दिल्ली-NCR, भोपाल और मुंबई में कई जगहों पर छापेमारी के बाद टेक्निकल सर्विलांस और मैनुअल इंटेलिजेंस के जरिए उसे ऋषिकेश-देहरादून रोड से गिरफ्तार किया गया.

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मोहित गोगिया ने पूछताछ में अपने साथियों के नाम उजागर किए, जिसके बाद क्राइम ब्रांच ने अभिनव पाठक, भरत छाबड़ा, विशाल मल्होत्रा और सचिन गुलाटी को भी गिरफ्तार किया. पुलिस के मुताबिक, ये सभी आरोपी ठगी की रकम के ट्रांसफर, फर्जी डॉक्यूमेंट तैयार करने और पैसे निकालकर आगे पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रहे थे.

जांच में यह भी सामने आया कि गिरोह के तार कई राज्यों से जुड़े हैं. शुरुआती अनुमान के मुताबिक, यह सिंडिकेट अब तक 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी को अंजाम दे चुका है. पुलिस ने ठगी की रकम से खरीदी गई दो लग्जरी कारें भी बरामद की हैं, जिनका इस्तेमाल आरोपी पायलट और एस्कॉर्ट गाड़ियों के तौर पर कर रहे थे.

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