जो दुनिया को धमाकों से डराता है, उसी दहशतगर्द के घर के बाहर धमाका हो गया. वो दहशतगर्द है हिंदुस्तान को सबसे ज्यादा जख्म देने वाला लश्कर-ए-तैयबा का चीफ हाफिज सईद. लाहौर में उसके घर के बाहर धमाका हुआ है. बताया जा रहा है कि एक गाड़ी में 20 किलो विस्फोटक भरकर उसके घर के पास धमाका किया गया. हालांकि हाफिज सईद के घर के पास एक पुलिस चौकी भी है. अब पाकिस्तान इस धमाके के जरिए ये बताना चाहता है कि वो आतंक को बढ़ावा नहीं देता और ना ही आतंक फैलाता है, बल्कि वो खुद आतंकवाद का शिकार है
धमाके में 'विदेशी हाथ' का राग
आतंकी हाफिज सईद के घर के बाहर ब्लास्ट ही हुआ है. लाहौर में धमाके की ये तस्वीरें भी असली हैं. जोहर टाउन में घायल भी सच में धमाके से ही जख्मी हुए हैं. जो लोग मरे हैं उन्हें सच में मारा गया है. लेकिन पाकिस्तान जो कहानी दुनिया को बताना चाह रहा है वो असल में सवालों के घेरे में है. क्योंकि इस धमाके के पीछे पाकिस्तान बेशक विदेशी हाथ का राग अलाप रहा है, मगर शक के दायरे में वो खुद है. लेकिन अब सवाल ये कि आखिर पाकिस्तान खुद से खुद पर हमला क्यों कराएगा.
FATF के रडार पर है 'आतंक का एक्सपोर्टर'
तो सुनिए इसके पीछे एक बहुत मुनासिब वजह है. और वो वजह है कि एक अरसे से पाकिस्तान का नाम एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में हैं. और अपनी आर्थिक साझेदारियों को पूरा करने के लिए एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में उसका नाम रुकावट बन रहा है. वो छटपटा रहा है. इसलिए उससे बाहर निकलने के लिए मुमकिन है कि उसने खुद ही धमाके का ये पूरा खेल रचा हो. इस धमाके के लिए आतंकी हाफिज़ सईद के घर को इसलिए चुना गया हो ताकि ऐसा लगे कि ये धमाका किसी और ने नहीं बल्कि उसके पड़ोसी मुल्क ने कराया है.
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सोची समझी साजिश या दिखावा?
मुमकिन है कि धमाके की ये स्क्रिप्ट बहुत सोच समझकर लिखी गई हो. इसलिए धमाके के बाद पाकिस्तानी सियासत में जो प्रतिक्रिया हुई वो भी रियल जैसी हुई. इसका अंदाज़ा आप ऐसे लगाइये कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस धमाके के फौरन बाद भागे-भागे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज़ इंटेलिजेंस यानी आईएसआई के हेडक्वॉर्टर पहुंचे और यहां एक हाई लेवल की मीटिंग कर धमाके का राज़ जानने की कोशिश की.
पाकिस्तान ने फिलहाल मामले की जांच बेशक काउंटर टेरिरज़्म डिपार्टमेंट के हवाले कर दी हो, लेकिन जानकारों की मानें तो ये सब पाकिस्तान के दिखावे के सिवाय कुछ भी नहीं. असल में वो खुद पर से आतंकवाद का एक्सपोर्टर होने का टैग हटाने के साथ-साथ खुद को आतंकवाद का विक्टिम यानी शिकार दिखाना चाहता है और ये सारी सिलसिला-ए-वारदात उसी की कड़ी है.
धमाके की इंटेंसिटी
पहले धमाके की इंटेंसिटी को अच्छी तरह समझ लेना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है. क्योंकि यही वो बात है, जिससे बारूद का गुबार छंटने के साथ-साथ ब्लास्ट के मास्टरमाइंड का चेहरा उभर सकता है. तफ्तीश में अब तक सामने आई बातों पर यकीन करें तो इस धमाके में करीब 30 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया. धमाके को एग्जीक्यूट करने के लिए विदेश में बनी चीजें काम में ली गई. ये धमाका कितना ख़ौफनाक था, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस जगह पर ये ब्लास्ट हुआ, वहां करीब चार फीट गहरा और आठ फीट चौड़ा गड्ढा बन गया.
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ब्लास्ट में हुई मौतों और ज़ख्मी लोगों का आंकड़ा तो अपनी जगह पर है लेकिन चश्मदीदों की मानें तो धमाके के करीब सौ वर्गफुट के दायरे में एक भी शीशा सलामत नहीं बचा. विस्फोट वाली जगह से बॉल बेयरिंग, कील और अन्य विस्फोटक सामग्री मिली है. जिनका इस्तेमाल आम तौर पर बम बनाने में किया जाता है. जबकि ये माना जा रहा है विस्फोटक को एक कार के भीतर रख कर उसे हाफिज सईद के घर के सामने खड़ा कर दिया गया और फिर रिमोट कंट्रोल के जरिए कार को उड़ा दिया गया.
सीसीटीवी कैमरे की फुटेज अहम
अब पाकिस्तान धमाके में विदेशी चीज़ों के इस्तेमाल की कहानी सुना कर ईशारों ही ईशारों में बेशक अपने दुश्मन मुल्कों पर इल्ज़ाम मढ़ने की लाख कोशिश करे, लेकिन धमाके वाली जगह के हालात और वहां से सामने आई एक सीसीटीवी फुटेज अपने-आप में पाकिस्तान हुकूमत की पोल खोलने के लिए काफी है. हालांकि इस फुटेज को भी जांच का हिस्सा बनाया गया है.
भारी सुरक्षा के बीच रहता है हाफिज सईद
पाकिस्तान में आतंकी सरगना हाफिज़ सईद को कैसी और कितनी सिक्योरिटी मुहैया है, ये जान लेने से इस साज़िश को समझना आसान हो सकता है. अनिगनत बेगुनाहों के खून से अपने हाथ रंगनेवाला हाफ़िज पाकिस्तान के लिए इतना अज़ीज़ है कि उसकी हिफ़ाज़त के लिए पर्सनल सिक्योरिटी गार्ड्स के साथ-साथ पाकिस्तानी पुलिस से लेकर पाकिस्तानी रेंजर्स और यहां तक कि आर्मी के जवान तक तैनात रहते हैं. और तो और इस राउंड द क्लॉक सिक्योरिटी कवर का असेस्टमेंट पाकिस्तान की खुफ़िया पुलिस भी लगातार करती रहती है. ऐसे में अगर कोई हाफ़िज़ सईद के बिल्कुल घर की दहलीज़ पर आकर बम फोड़ कर चला जाए, तो यकीनन इसके पीछे विदेशी हाथ होने का बात ज़रा मुश्किल लगती है. और यही वजह है कि पाकिस्तान के जानकर और दुनिया भर के टेरर एक्सपर्ट इस धमाके के पीछे पाकिस्तान का अंदरुनी हाथ ही देखते हैं.
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कार पार्क होने के 30 मिनट बाद धमाका
धमाकेवाली जगह से सामने आई एक वीडियो क्लिप में नीले रंग का सलवार सूट पहने एक शख्स एक कार हाफ़िज़ सईद के घर से बमुश्किल डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर पार्क करता हुआ दिखाई देने की बात सामने आई है. ये ठीक वही जगह है, जहां हाफ़िज़ सईद की हिफाज़त के लिए पाकिस्तान सरकार ने बाकायदा एक पुलिस चौकी तक बना रखी है. इसके बावजूद कार पार्क भी हो जाती है और उसके निकलने के आधे घंटे बाद इसी कार में धमाका भी हो जाता है, तो फिर शक होना लाज़िमी है. इसी बीच धमाके में जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें से एक का ताल्लुक आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा से भी बताया जा रहा है, जो अपने-आप में काफ़ी कुछ कहता है. इन सबके पीछे पाकिस्तान की एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने की बौखलाहट साफ दिखाई देती है.
FATF के सामने जवाब देना पाक के लिए मुश्किल
दरअसल, इन दिनों FATF में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने या फिर उसे ब्लैक लिस्ट करने के मसले की समीक्षा चल रही है. पाकिस्तान अगर एफएटीएफ़ की ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है, तो उसे विदेशों से मिलनेवाली फंडिंग के साथ-साथ और भी कई फ्रंट पर भारी चोट लग सकती है. ऐसे में वो खुद को आतंकवाद का पीड़ित बताना चाहता है और इसका आरोप अपने किसी पड़ोसी या दुश्मन मुल्क पर मढ़ना चाहता है.
पाक सेना की संदिग्ध भूमिका
पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान बरसों से आतंक की पनाहगाह बना हुआ है. पाकिस्तान में बैठकर हाफिज सईद हिंदुस्तान के खिलाफ साजिश रचता है और उसे पाकिस्तान के हुकमरानों की शह मिली हुई है. हाफिज सईद की आतंकी साजिशों को अमलीजामा पहनाने में पाकिस्तान सेना भी मदद करती है. दहशतगर्दों की ट्रेनिंग हो या उन्हें हथियार मुहैया कराना. ये सारे काम पाकिस्तानी सेना की मदद से ही होते हैं. यही नहीं सेना आतंकियों को घुसपैठ करने में भी मदद करती है.
पाकिस्तानी सियासत की ऑक्सीजन है आतंकवाद
पाकिस्तान में सत्ता पर काबिज रहने के लिए कश्मीर राग अलापना जरूरी हो जाता है. कश्मीर मुद्दे पर हर मोर्च पर मात खाने वाले पाकिस्तान ने आतंकवाद की राह चुन ली. इमरान खान अपनी कुर्सी सहेजने की कोशिश में आतंकी सरगनाओं के सामने नतमस्तक हो चुके हैं. बाजवा आईएसआई और पीओके में आतंकी कैंपों की देखरेख कर रहे है. हाफिज सईद भी पाकिस्तान की सियासत का एक अहम मोहरा बन चुका है. यही वजह है कि सीजफायर के बावजूद पाकिस्तान भारत में आतंकी साजिशें रचने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है. पाकिस्तान से मौत का सामान अब ड्रोन के जरिये हिंदुस्तान भेजा जा रहा है.
शम्स ताहिर खान