बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड में 20 साल की सजा काटने के बाद चार महीने जेल से रिहा हुए कॉन्ट्रैक्ट किलर सुखदेव यादव उर्फ पहलवान की सड़क हादसे में मौत हो गई है. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के तुर्क पट्टी इलाके में एक सड़क हादसे में उसकी जान चली गई. सुखदेव अपने दो साथियों के साथ बाइक से जा रहा था. सामने से आ रही कार ने टक्कर मार दी. उसके दोनों साथी गंभीर रूप से घायल हैं.
इस हादसे में घायल हुए लोगों की पहचान विजय गुप्ता और भागवत सिंह के रूप में हुई है. दोनों का एक स्थानीय अस्पताल में इलाज चल रहा है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया, "हादसे में शामिल कार को हमने जब्त कर लिया है. मंगलवार शाम सूचना मिली थी कि एक महिंद्रा स्कॉर्पियो और मोटरसाइकिल में जोरदार भिड़ंत हुई है. तीन लोग घायल हुए हैं, जिनमें एक व्यक्ति की हालत गंभीर बताई जा गई थी.''
स्थानीय लोगों ने बताया कि हादसे के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई. चश्मदीदों ने बताया कि स्कॉर्पियो विपरीत दिशा से आ रही थी और टक्कर के बाद कुछ दूरी जाकर रुक गई. ग्रामीणों ने दौड़कर उसको रोका और उसके यात्रियों को बाहर निकाला. थोड़ी ही देर में पुलिस भी पहुंच गई और घायलों को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया. लेकिन डॉक्टरों ने सुखदेव यादव को मृत घोषित कर दिया.
सुखदेव यादव का नाम देश के सबसे हाई-प्रोफाइल मर्डर केस में से एक नीतीश कटारा हत्याकांड से जुड़ा रहा. 23 साल के बिजनेस एग्जीक्यूटिव नीतीश कटारा पूर्व सांसद डी.पी. यादव की बेटी और विकास यादव की बहन भारती यादव के साथ रिलेशनशिप में थे. लेकिन परिवार इस रिश्ते के खिलाफ था. इसी नाराजगी में विकास यादव और उसके चचेरे भाई विशाल यादव ने साल 2002 में नीतीश का अपहरण कर लिया.
तीन दिन बाद बुलंदशहर के पास पुलिस को उसका जला हुआ शव मिला था. इस हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर दिया था. इस कांड को अंजाम देने में विकास और विशाल के साथ सुखदेव की भूमिका बहुत अहम थी. उसे ही नीतीश की हत्या की सुपारी दी गई थी. उसने विकास और विशाल के साथ मिलकर इस वारदात को किया था. दिल्ली की एक फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने 2008 में विकास और विशाल को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
सुखदेव यादव भी अपहरण और हत्या की साजिश में शामिल पाया गया. कोर्ट ने उसे 20 साल की सजा सुनाई थी. दिल्ली हाई कोर्ट ने साल 2014 में इस सजा को बरकरार रखा. दो साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी विकास यादव और विशाल यादव की सजा पर मुहर लगाते हुए बिना किसी छूट के 25 साल की कैद की पुष्टि कर दी. वहीं सुखदेव यादव को तय अवधि यानी 20 साल की सजा दी गई थी.
सजा पूरी होने के बाद सुखदेव यादव ने पैरोल के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दी, लेकिन वह खारिज हो गई. इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि सुखदेव पहले ही 20 साल की जेल की सजा पूरी कर चुका है और उसे रिहा किया जाना चाहिए. दिल्ली सरकार ने विरोध करते हुए कहा कि जब तक सरकार रिमिशन (छूट) नहीं देती, तब तक रिहाई संभव नहीं.
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि जब सजा एक तय समय के लिए दी गई हो, जैसे इस मामले में 20 साल, तो रिमिशन की जरूरत नहीं होती. कोर्ट ने आदेश दिया कि सजा पूरी हो चुकी है, इसलिए सुखदेव की रिहाई में कोई बाधा नहीं है. हालांकि, नीतीश कटारा की मां ने अगस्त 2024 में सुखदेव की रिहाई का खुलकर विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि यह फैसला उनके बेटे की आत्मा के साथ अन्याय है.
इसके बावजूद कानून के मुताबिक सुखदेव यादव को रिहा कर दिया गया था. लेकिन शायद किस्मत को कुछ और मंजूर था. जेल से बाहर निकले कुछ ही महीनों के बाद ही वही सुखदेव, जिसने कभी किसी की जान ली थी, अब खुद सड़क पर मौत का शिकार बन गया. पुलिस ने उस कार को जब्त कर लिया है. लेकिन ड्राइवर मौके से फरार है. इस मामले में अभी तक औपचारिक शिकायत नहीं दी गई है.
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