IDF ने 7 अक्‍टूबर हमले के मास्‍टरमाइंड का घर किया तबाह, ID कार्ड बरामद, सिर पर एक करोड़ का इनाम

गाजा में इजरायली सेना का सैन्य अभियान अपने शबाब पर है. आईडीएफ द्वारा की जा रही गोलीबारी और बमबारी में हमास के आतंकियों की कमर टूट रही है. इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई है. इजरायली सेना ने 7 अक्‍टूबर हमले के मास्‍टरमाइंड का घर तबाह कर दिया है. लेकिन इस हमले में उसके मारे जाने की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है.

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गाजा में इजरायली सेना का सैन्य अभियान अपने शबाब पर है. गाजा में इजरायली सेना का सैन्य अभियान अपने शबाब पर है.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 5:33 PM IST

इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. लगातार अंतरराष्ट्रीय समुदाय के द्वारा मिल रहे दबाव के बावजूद इजरायल गाजा में पीछे हटने का नाम नहीं ले रहा है. इजरायली सेना द्वारा की जा रही गोलीबारी और बमबारी में हमास के आतंकियों की कमर टूट चुकी है. इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है. इजरायली सेना ने 7 अक्‍टूबर हमले के मास्‍टरमाइंड का घर तबाह कर दिया है. इस हमले में उसके मारे जाने की अभी तक पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन उसका आईडी कार्ड बरामद किया गया है.

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हमास के मिलिट्री विंग 'अल कासिम' के मुखिया मोहम्‍मद डाएफ को 7 अक्टूबर को इजरायल में हुए खौफनाक हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है. इस हमले के बाद इजरायल ने उसके सिर पर 10 लाख अमेरिकी डॉलर यानी की करीब एक करोड़ रुपए का इनाम रखा था. उसके बाद से ही उसकी तलाश की जा रही है. इसी बीच आईडीएफ ने दावा किया है कि उसने उसका घर हवाई हमले में ध्वस्त कर दिया है. इजरायल डिफेंस फोर्सेस के अधिकारियों को मो. डाएफ का पहचान पत्र भी मिला है, जो कि हिब्रू और अरबी भाषा में है.

आईडीएफ ने अपने हमले में कई आतंकवादियों के मारे जाने का भी दावा किया है. उसके मुताबिक, हमास के हेडक्वार्टर के रूप में कार्यरत एक इमारत को बमबारी में नेस्तनाबूद कर दिया गया. इजरायली सेना के जवानों ने पहले फर्जी फायरिंग की ताकि आतंकी उस इमारत के अंदर जाकर छुप जाएं. उसके बाद इजरायली एयरफोर्स को उस इमारत पर हमले के लिए इशारा किया गया. इस बमबारी में सभी आतंकी मारे गए. इसी तरह गाजा के अल-शती के इलाके में तीन आतंकवादियों पर सीधे हमले करके खत्म कर दिया गया.

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इजरायल ने गाजा में सैन्य अभियान का किया विस्तार

पिछले ढाई महीने से हमास के सफाए में जुटे इजरायल अब मध्य गाजा में अपने सैन्य अभियान का विस्तार करने जा रहा है. उसकी सेना ने मध्य गाजा के अल-बुरेजी रिफ्यूज़ी कैंप में रह रहे लोगों को दक्षिण की तरफ जाने को कहा है. इजरायली सैनिकों का दावा है कि इस इलाके में हमास का ठिकानों हो सकता है. इसे तबाह करना जरूरी है. आईडीएफ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अल-बुरेजी रिफ्यूज़ी कैंप में रह रहे लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए तत्काल डेयर अल-बलाह में शरण लेनी चाहिए.

इजरायली आदेश के बाद बड़ी तादाद में फिलिस्तीनी सुरक्षित जगहों पर जाते दिखे हैं. इसी बीच एक शरणार्थी हार्टम अली ने कहा, ''हम कहां जाएं? ऐसा कोई क्षेत्र नहीं बचा जहां बमबारी न हुई हो. हमारे घरों पर बमबारी की गई है. जैसा कि आप देख सकते हैं, हर कोई भाग रहा है. हम कहां जाएं? महंगाई, बमबारी, कब्ज़े के कारण हमारा जीवन नहीं चल पा रहा है. इसकी वजह से चैन बैठने के लिए हमारे पास कोई जगह नहीं है. हम बर्बाद हो गए हैं. हम कहां जाएं? बहुत हो गया, अब हम पर रहम करो.''

कौन है मोहम्मद डाएफ, क्यों माना जाता है खूंखार

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हमास की मिलिट्री ब्रिगेड 'अल कासिम' की कमान मोहम्मद डाएफ के कंधों पर है. उसको बहुत ही खतरनाक कमांडर माना जाता है. वो मिलिट्री विंग का संस्थापक सदस्य है, लेकिन साल 2002 में सालेह शेहदा की इजरायल द्वारा हत्या के बाद इसे इसकी कमान सौंपी गई थी. डाएफ का जन्म साल 1965 में गाजा के एक शरणार्थी शिविर में हुआ था. उस वक्त इसका नाम मोहम्मद दीब इब्राहिम अल-मसरी था. इसके पिता और चाचा ने भी गुरिल्ला युद्ध लड़ा है. एक इस्लामिक विश्वविद्यालय से पढ़ाई के बाद हमास का सदस्य बन गया.

1996 बम धमाकों में 50 लोगों की मौत का जिम्मेदार

इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद लंबे समय से डाएफ की जान के पीछे पड़ी हुई है. कई बार इसे जान से मारने की कोशिश कर चुकी है. साल 2014 में हुए एक जानलेवा हमले में ये बाल-बाल बचा था. लेकिन इसकी पत्नी और बच्चे की मौत हो गई थी. साल 1996 में 50 इजरायली नागरिकों की मौत का जिम्मेदार 1996 में हुए एक बम धमाके में 50 से ज्यादा इजरायली नागरिक मारे गए थे. इसके लिए डायफ को जिम्मेदार बताया गया था. जेल से निकलने के बाद वो पूरी तरह समर्पित होकर हमास के लिए काम करने लगा.

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सुसंगठित संगठन जैसे काम करता है 'अल कासिम'

इजरायल में हुए हमले का खौफनाक प्लान मोहम्मद डाएफ के नेतृत्व में 'अल कासिम' के लड़ाकों ने बनाई थी. इसे इज अल-दीन अल-कसम ब्रिगेड के नाम से भी जाना जाता है, जिसकी स्थापना साल 1991 में की गई थी. इसे गाजा में सक्रिय सबसे बड़ा और सबसे सुसज्जित समूह माना जाता है. इसने इजराइल के खिलाफ कई बड़े युद्ध लड़े हैं. 'अल कासिम' एक सुसंगठित संगठन की तरह काम करता है. जिस तरह किसी देश की आर्मी काम करती है, वैसे ही इसके आतंकी भी अपनी योजनाओं को अंजाम देते हैं. 

7 अक्टूबर को इजरायल पर ऐसे हुआ था हमला

इसके लिए पूरी विंग को चार प्रमुख यूनिट में बांटा गया है. इसमें मिसाइल, एयरबॉर्न, ड्रोन और इंटेलीजेंस यूनिट शामिल है. हर यूनिट को समय-समय पर मुश्किल से मुश्किल ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि वो किसी भी परिस्थिति में लड़़ाई कर सके. मिसाइल यूनिट तो बहुत ही कुशल है. लेकिन इस बार के जंग के लिए एयरबॉर्न और ड्रोन यूनिट को खास तैयार किया गया था. हमास ने जब इजरायल पर हमला किया तो हैंग ग्लाइडर और पैराग्लाइडर से आतंकियों को हमला करते देखा गया था. ये सभी एयरबॉर्न यूनिट के आतंकी थे. इन सभी को एयरफोर्स फाल्कन स्क्वाड्रन बैज के साथ देखा गया था. इन्होंने वन-पर्सन और टू-पर्सन पैराग्लाइडर का इस्तेमाल किया था. इस हमले में सैकड़ों लोग मारे गए थे.

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गाजा में 2.5 महीने से जंग में 20000 की मौत

इजरायल और हमास के बीच पिछले दो महीने से जंग जारी है. इस लड़ाई में अब तक 20 हजार फिलिस्तीनी मारे गए हैं, जबकि 50 हजार घायल हुए हैं. मरने वालों में 70 फीसदी से ज्यादा महिलाएं और बच्चे हैं, जिस पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चिंता जाहिर की थी. सिक्योरिटी काउंसिल के सदस्यों को संबोधित करते हुए गुटेरेस ने कहा था कि गाजा में सार्वजनिक व्यवस्था पूरी तरह तहस नहस हो गई हैं. मानवीय सहायता भी पूरी तरह ठप होने का ख़तरा पैदा हो गया है. इसे तुरंत रोका जाना जरूरी है.

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