गोवा के अरपोरा इलाके में रविवार सुबह नाइट क्लब में लगी भीषण आग ने 25 लोगों की जान ले ली. इनमें 5 पर्यटक और 20 स्टाफ मेंबर शामिल हैं. जिस जगह पर देर रात तक मस्ती माहौल था, संगीत गूंज रहा था, वही क्लब कुछ ही पलों में कब्रगाह बन गया. आग बहुत तेज थी. कई लोग बाहर निकलने का रास्ता नहीं खोज पाए. दम घुटने से उनकी मौत हो गई.
इस हादसे के बाद सरकार, पुलिस और प्रशासन हरकत में आया है. गोवा सरकार ने तीन बड़े अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है. इनमें उस समय पंचायत की डायरेक्टर रहीं सिद्धि तुषार हरलंकर, गोवा स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की तत्कालीन मेंबर सेक्रेटरी डॉ. शमिला मोंटेइरो और अरपोरा-नागोआ गांव पंचायत के तत्कालीन सेक्रेटरी रघुवीर बागकर का नाम शामिल हैं.
इन अधिकारियों पर साल 2023 में बर्च बाय रोमियो लेन नाइट क्लब को शुरू करने की अनुमति देने में भूमिका निभाने का आरोप है. पुलिस ने अरपोरा-नागोआ पंचायत के सरपंच रोशन रेडकर से भी पूछताछ की, जिन्होंने क्लब को ट्रेड लाइसेंस जारी किया था. शुरुआती जांच में सामने आया है कि क्लब में फायर सेफ्टी के नियमों का पालन नहीं किया गया था.
इसी लापरवाही ने आग को इतना भयावह बना दिया कि 25 लोगों को बचने का मौका तक नहीं मिला. प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो आग क्लब के किचन से भड़की थी. हालांकि, बाद में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने खुलासा किया है कि बिर्च बाय रोमियो लेन नाइट क्लब में आग लगने की शुरुआती वजह इलेक्ट्रिक पटाखे जलाना मानी जा रही है.
चश्मदीदों का कहना है कि आग का रूप इतना डरावना था कि लोगों को बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिला. चारों तरफ धुआं ही धुआं फैल गया. हादसे की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर पहुंचीं और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. कई घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका. क्लब के किचन में मौजूद कई लोग आग की लपटों में झुलस गए.
इस हादसे ने कई परिवारों को उजाड़ दिया. झारखंड के रहने वाले नारायण महतो के दो भतीजे इसी क्लब में किचन स्टाफ के तौर पर काम करते थे. दोनों भाइयों की इस आग में जान चली गई. ऐसे ही कई परिवारों के घरों में अब मातम पसरा हुआ है. शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि क्लब में सुरक्षा के लिए जरूरी इंतजाम नहीं थे. वहां फायर अलार्म सिस्टम भी नहीं था.
यह भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या क्लब तय क्षमता से ज्यादा लोगों से भरा हुआ था और क्या फायर डिपार्टमेंट से जरूरी अनुमति ली गई थी. कांग्रेस नेता मानिकराव ठाकरे ने आरोप लगाया कि क्लब के लिए जरूरी कई परमिशन नहीं ली गई थीं. कांग्रेस ने इस हादसे को सरकार की विफलता बताया है. उन्होंने मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत से इस्तीफे की मांग की है.
आम आदमी पार्टी ने भी सरकार को इस हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया है. इसी बीच गोवा पुलिस इस मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. क्लब के मैनेजर को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि मालिक के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. क्लब के मालिक और जनरल मैनेजर के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है.
इस हादसे के बाद मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत मौके पर पहुंचे. उन्होंने इस मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने मजिस्ट्रियल इंक्वायरी के साथ-साथ कई कमेटियों का गठन भी किया है. सीएम ने मुआवजे का ऐलान करते हुए मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपए देने का भरोसा दिया है. घायलों को भी हर संभव सहायता देने की बात कही गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर संवेदना जताई है. पीएमओ की तरफ से मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपए की मुआवजे का ऐलान किया गया है. पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि अधिकांश लोगों की मौत दम घुटने से हुई. गोवा आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सभी होटल, क्लब और बार को अपने फायर सर्टिफिकेट और अनुमतियां अपडेट करने का आदेश दिया है.
सभी प्रतिष्ठानों को सात दिन के भीतर सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट जिला प्रशासन और फायर सर्विस को सौंपने का निर्देश दिया गया है. अरपोरा क्लब अग्निकांड में अब तक 17 शवों का पोस्टमार्टम हो चुका है. छह शव परिजनों को सौंप दिए गए हैं. तीन मृतकों के शवों को हेलिकॉप्टर से झारखंड के रांची भेजा गया है, जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर इस भयावह हादसे का जिम्मेदार कौन है. क्या यह सिर्फ एक दुर्घटना थी या फिर सिस्टम की लापरवाही और अवैध संचालन ने 25 जिंदगियों को मौत के मुंह में धकेल दिया. पुलिस सहित कई एजेंसियां और कमेटियां अपनी जांच कर रही हैं, लेकिन जवाब का इंतजार अब सिर्फ कानून ही नहीं, बल्कि उन परिवारों को भी है जिन्होंने अपने अपने खो दिए हैं.
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