भारत की पहला स्वदेशी वैक्सीन यानी कोवैक्सीन को अमेरिका में भले ही आपातकालीन मंजूरी नहीं मिली हो लेकिन भारत बायोटेक ने इस वैक्सीन के निर्माण से जुड़े सभी डाटा जनरेशन और डाटा ट्रांसपेरेंसी को लेकर सभी कमिटमेंट को पूरा किया है. भारत बायोटेक ने वैक्सीन से जुड़ी सभी रिसर्च स्टडीज को सार्वजनिक किया है.
कोवैक्सीन के फेज-1, फेज 2 और फेज 3 के आंशिक ट्रायल को भारत ने पूरी तरह से देखा और परखा है. स्वदेशी वैक्सीन कंपनी ने सेफ्टी के सभी मानकों को पूरा करने के लिए पहले ही इस बारे में नौ रिसर्च स्टडीज पब्लिश किए हैं. इस स्टडी में बताया गया है कि कोवैक्सीन कितनी सुरक्षित और असरदार है.
भारत बायोटेक ने कहा कि जुलाई में तीसरे चरण ट्रायल्स के फाइनल आंकड़ों को सार्वजनिक कर दिया जाएगा. कंपनी के मुताबिक तीसरे चरण के ट्रायल का डेटा सबसे पहले सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) में जमा किया जाएगा. इसके बाद इसे पीयर रिव्यूड जर्नल्स में प्रकाशित किया जाएगा. फिर जुलाई के दौरान इसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा. कोवैक्सीन को जनवरी में ही इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दे दी गई थी लेकिन उस वक्त अभी उसके तीसरे चरण के ट्रायल चल ही रहे थे.
भारत बॉयोटेक में कोविड-19 टीकों के परियोजना प्रमुख रेचेस इल्ला ने ट्विटर पर लिखा कि अब तक कोवैक्सीन के नौ प्रकाशन हुए हैं और फेज-3 ट्रायल के प्रभाव के बारे में 10वां प्रकाशन होगा.
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इल्ला ने कहा कि निष्पक्ष बने रहने के लिए, भारत बायोटेक/आईसीएमआर कोई डाटा हासिल नहीं कर सकते. हमारे सेवा प्रदाता आईक्यूवीआईए ने अंतिम सांख्यिकीय विश्लेषण शुरू कर दिया है. सीडीएससीओ (जुलाई) को प्रभावशीलता और दो महीने की सेफ्टी सौंपने के बाद तुरंत प्री-प्रिंट सर्वर तक पहुंचने की उम्मीद है. पीयर रीव्यू में दो-चार महीने लगते हैं.
ट्वीट के मुताबिक तीसरे चरण के परीक्षण में करीब 25,800 लोगों ने हिस्सा लिया है. इसी बीच, भारत बॉयोटेक की संयुक्त प्रबंध निदेशक सुचित्रा इल्ला ने ट्विटर पर लिखा कि कोवैक्सीन करीब 28 शहरों के निजी अस्पतालों में पहुंच चुका है.
कोवैक्सीन एक इनएक्टिव टीका है जिसमें मृत वायरस होता है. तीसरे चरण के ट्रायल्स के प्रारंभिक आंकड़ों से पता चलता है कि कोवैक्सिन 81% प्रभावी है.
मिलन शर्मा