देश में आज हजारों कंपनियां हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि देश की पहली कंपनी कौन-सी थी? देश की पहली कंपनी का शुरुआत में क्या कारोबार था? अब कंपनी का अस्तित्व है या नहीं, अगर है तो फिर अभी कंपनी का क्या कारोबार है? आइए आपको देश की पहली कंपनी के बारे में सबकुछ बताते हैं.
दरअसल सरकारी आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल देश में 28 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड कंपनियां हैं. जनवरी 2025 तक भारत में कुल 28 लाख से अधिक कंपनियां पंजीकृत हैं, जिनमें से लगभग 18.17 लाख (65%) सक्रिय हैं. बाकी में से 35.22% निष्क्रिय हैं, जिनमें 3.61% कंपनियां बंद होने की प्रक्रिया में हैं, और 0.26% निष्क्रिय (डॉर्मेंट) स्थिति में हैं.
आज देश में लाखों की संख्या में कंपनियां
इससे पहले मार्च 2024 तक भारत में कुल 26,63,016 कंपनियां थीं. इनमें से तकरीबन 16,91,495 कंपनियां ऐक्टिवली काम कर रही थीं और बाकी कंपनियां अच्छे से चल नहीं रही थीं. यानी आज की तारीख में हर साल हजारों कंपनियां खुल रही हैं.
अब आइए देश की पहली कंपनी के बारे में विस्तार से जानते हैं. एक हिसाब से कहें तो ईस्ट इंडिया कंपनी (The East India Company) भारत की पहली कंपनी थी, भले ही यह भारतीय न होकर अंग्रेजों की थी. इसी कंपनी ने भारत को गुलामी की बेड़ियां भी पहनाई. एक समय यह कंपनी एग्री, माइनिंग से लेकर रेलवे तक सारे काम करती थी. यह भारत में व्यापार करने वाली पहली संगठित कंपनी थी, जिसने मुगल बादशाह जहांगीर की अनुमति से साल 1613 में सूरत में अपना पहला कारखाना स्थापित किया था.
ईस्ट इंडिया कंपनी के काले कारनामे
बता दें, 17वीं सदी की शुरुआत में यानी सन 1600 ईस्वी के आसपास भारत की जमीन पर पहला कदम रखने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी ने सैकड़ों साल तक देश पर शासन किया. 1857 तक भारत पर इसी कंपनी का कब्जा था, जिसे कंपनी राज के नाम से इतिहास में पढ़ाया जाता है. ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना सन 1600 में 31 दिसंबर को हुई थी. इस कंपनी को बनाने के पीछे एकमात्र उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्यवाद और औनपिवेशीकरण को बढ़ावा देना था. कंपनी मूलत: व्यापार करने के लिए बनाई गई थी, लेकिन उसे कई विशेषाधिकार प्राप्त थे, जैसे युद्ध करने का अधिकार. कंपनी को ब्रिटिश राज ने यह अधिकार अपने व्यापारिक हितों की रक्षा करने के लिए दिया था. इस कारण ईस्ट इंडिया कंपनी के पास ताकतवर सेना भी हुआ करती थी.
मालूम हो कि 1600 के दशक के दौर में साम्राज्यवाद और व्यापार की होड़ में स्पेन और पुर्तगाल का जलवा था. ब्रिटेन और फ्रांस इसमें देर से उतरे थे. लेकिन तेजी से दबदबा बढ़ा रहे थे. पुर्तगाल के नाविक वास्कोडिगामा के भारत आने के बाद यूरोप में बड़ा बदलाव आया. वास्कोडिगामा अपने साथ जहाजों में भरकर भारतीय मसाले ले गया था. यूरोप के लिए भारतीय मसाले अनोखी चीज थी. इन मसालों से वास्कोडिगामा ने अकूत संपत्ति अर्जित की. इसके बाद पूरे यूरोप में भारतीय मसालों की महक पसर गई. भारत की संपन्नता के चर्चों ने भी यूरोपीय साम्राज्यवादी देशों को यहां दबदबा बनाने के लिए प्रेरित किया. ब्रिटेन की ओर से यह काम ईस्ट इंडिया कंपनी ने किया.
भारतीय मसालों पर थी कंपनी की नजर
इस कंपनी को पहली सफलता हाथ लगी थी पुर्तगाल का एक जहाज लूटने से, जो भारत से मसाले भरकर ले जा रहा था. ईस्ट इंडिया कंपनी को उस लूट में 900 टन मसाले मिले. इसे बेचकर कंपनी ने जबरदस्त मुनाफा कमाया. यह उस समय की पहली चार्टेड ज्वाइंट स्टॉक कंपनियों में से एक थी यानी कहें तो अभी के शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों की तरह कोई भी इन्वेस्टर उसका हिस्सेदार बन सकता था. लूट की कमाई का हिस्सा कंपनी के इन्वेस्टर्स को भी मिला. इतिहास की किताबों में बताया जाता है कि लूट से किए गए पहले व्यापार में ईस्ट इंडिया कंपनी को करीब 300 फीसदी का जबरदस्त मुनाफा हुआ था.
भारत में सर थॉमस रो ने मुगल बादशाह से ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए व्यापार का अधिकार हासिल किया. कंपनी ने कलकत्ता (अभी कोलकाता) से भारत में बिजनेस की शुरुआत की और बाद में चेन्नई-मुंबई भी उसके प्रमुख व्यापारिक केंद्र बने.
भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी को सबसे पहले फ्रांसीसी कंपनी डेस इंडेस का मुकाबला करना पड़ा. 1764 ईस्वी की बक्सर की लड़ाई कंपनी के लिए निर्णायक साबित हुई. इसके बाद कंपनी ने धीरे-धीरे पूरे भारत पर अधिकार स्थापित कर लिया. 1857 ईस्वी के विद्रोह के बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने भारत का शासन कंपनी के हाथों से छीनकर अपने हाथों ले लिया. बहरहाल अब यह दुनिया की सबसे अमीर कंपनियों की गिनतियों में कहीं नहीं ठहरती.
अब बन गई है ई-कॉमर्स कंपनी
अब मजेदार है कि भारत को गुलाम बनाने वाली इस ईस्ट इंडिया कंपनी के मालिक भारतीय मूल के बिजनेसमैन संजीव मेहता (Sanjiv Mehta) हैं. भारतीय मूल के संजीव मेहता ने 2010 में 15 मिलियन डॉलर यानी 120 करोड़ रुपये में खरीद लिया. मेहता ने ईस्ट इंडिया कंपनी को खरीदने के बाद इसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बना दिया. अभी यह कंपनी चाय, कॉफी, चॉकलेट आदि की ऑनलाइन बिक्री करती है.
वैसे ईस्ट इंडिया कंपनी के बाद भारत की सबसे पुरानी कंपनी वाडिया समूह (Wadia Group) है. इसकी स्थापना 1736 में लवजी नुसरवानजी वाडिया ने की थी. उस समय, उन्हें ईस्ट इंडिया कंपनी से जहाज और डॉकयार्ड बनाने का ठेका मिला था, जिसके बाद उन्होंने 355 जहाजों का निर्माण किया था. वाडिया समूह की एक सहायक कंपनी बॉम्बे बर्मा ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड 1863 में स्थापित की गई थी और यह भारत की सबसे पुरानी सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनी है.
आजतक बिजनेस डेस्क