देश में तेजी से इलेक्ट्रिक गाड़ियां बिक रही हैं. अब आपको आसानी से रोड पर इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर से लेकर कारें देखने को मिल जाएंगी. तमाम ऑटोमोबाइल्स कंपनियां में लगातार इलेक्ट्रिक वाहन लॉन्च कर रहे हैं. क्योंकि लोग अब इलेक्ट्रिक गाड़ियों को अपना रहे हैं. मई-2023 में कुल इलेक्ट्रिक 1,57,330 वाहन बिके, जिसमें (टू-व्हीलर, थ्री-व्हीलर, कार, बस और ट्रक) शामिल हैं. जबकि केवल पैसेंजर व्हीकल की बात करें तो पिछले महीने देशभर में करीब 7,443 यूनिट बिके. इससे पहले सबसे ज्यादा मार्च-2023 में 8,805 इलेक्ट्रिक कारें बिकी थीं.
अब आइए बताते हैं, क्या आपको इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदनी चाहिए? दरअसल, वैसे तो महंगे पेट्रोल-डीजल की वजह से हर कोई चाहता है कि वो भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों (Electric Vehicles) से ही चलें. लेकिन कुछ कारण हैं, जिस वजह से ग्राहक इलेक्ट्रिक कार खरीदने का फैसले टाल देते हैं. पहला कारण ये है कि पेट्रोल-डीजल और CNG गाड़ियों के मुकाबले इलेक्ट्रिक गाड़ियां काफी महंगी होती हैं. दूसरा कारण इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर नहीं है. खासकर खासकर चार्जिंग स्टेशनों की कमी और सर्विस सेंटर का नहीं होना है.
हालांकि सरकार कह रही है कि इंफ्रास्ट्रक्चर पर तेजी से काम हो रहा है. जिससे बड़े शहरों में तेजी से इलेक्ट्रिक गाड़ियों की डिमांड बढ़ रही है. इस बीच लोगों को पता चल गया है कि बचत कहां है. फिलहाल भारत में सबसे ज्यादा टाटा की इलेक्ट्रिक कारें बिकती हैं. इलेक्ट्रिक पैंसेजर व्हीकल सेगमेंट में टाटा (Tata Electric Cars) की Nexon EV, Tigor EV और Tiago EV जैसी गाड़ियों की बिक्री करती है. इनमें सबसे ज्यादा डिमांड Tata Nexon EV की है.
सबसे ज्यादा Nexon EV की डिमांड
अगर आप इलेक्ट्रिक कार खरीदते हैं तो फायदे में रहेंगे, या नुकसान का सौदा साबित होने वाला है. इसे एक उदाहरण से समझते हैं. इसके लिए हमने देश में सबसे ज्यादा बिकने वाली Nexon को चुना है. क्योंकि इलेक्ट्रिक और पेट्रोल दो सेगमेंट में इसकी जबर्दस्त डिमांड है. पेट्रोल वाली Nexon की तुलना इलेक्ट्रिक नेक्सॉन (Electric) से करने पर कीमतों में अंतर को देखकर आप हैरान रह जाएंगे. अधिकतर ग्राहक पेट्रोल और इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमतों में अंतर को देखकर इलेक्ट्रिक गाड़ियां लेने का फैसला टाल देते हैं, क्योंकि ग्राहक पेट्रोल के मुकाबले इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए बहुत ज्यादा कीमत चुकाने के पक्ष में नहीं हैं.
इतनी महंगी क्यों इलेक्ट्रिक गाड़ियां?
अभी टाटा की बेस्ट सेलिंग इलेक्ट्रिक कार Tata Nexon EV है, इसके बेस मॉडल (Tata Nexon EV- XM) की शुरुआती कीमत 16.49 लाख रुपये है. नेक्सॉन इलेक्ट्रिक 5 वेरिएंट्स में उपलब्ध हैं. यह कार केवल 9.9 सेकंड में 0-99 km/h की स्पीड पकड़ लेती है. अब पेट्रोल वाली नेक्सॉन की बात करते हैं, इसकी शुरुआती कीमत 7.79 लाख से 14.50 लाख रुपये के बीच है. जबकि दिल्ली में नेक्सॉन (Petrol) की ऑन रोड कीमत साढ़े 8 लाख से शुरू होकर साढ़े 16 लाख रुपये तक जाती है.
अगर इलेक्ट्रिक वाली नेक्सॉन से पेट्रोल वाली नेक्सॉन की तुलना करें तो कीमतों में भारी फर्क दिखता है. Tata Nexon- XM (पेट्रोल) की शुरुआती कीमत 8.90 लाख रुपये है. जबकि इसके इलेक्ट्रिक वेरिएंट Tata Nexon EV- XM की शुरुआती कीमत 16.49 लाख रुपये है. इन दोनों के बीच कीमतों में 7,59,000 रुपये का फर्क है. सेम मॉडल होने के बावजूद पेट्रोल से इलेक्ट्रिक वाली Nexon की कीमत करीब साढ़े 7 लाख रुपये से ज्यादा है. हालांकि इलेक्ट्रिक गाड़ी खरीदने पर केंद्र और राज्य सरकारें सब्सिडी देती हैं, जिससे कीमतें थोड़ी कम हो जाती हैं.
कहां है बचत?
अगर आप Tata Nexon- XM (पेट्रोल) खरीदते हैं, जिसकी एक्स-शोरूम कीमत 8,89,900 रुपये है, जिसका ऑन रोड प्राइस करीब करीब 10 लाख रुपये है. अगर आप रोजाना इस कार करीब 50 किलोमीटर चलते हैं, यानी महीनेभर करीब 1500 किलोमीटर का सफर करते हैं. उदाहरण के लिए पेट्रोल 100 रुपये लीटर है, तो इस हिसाब से महीने का खर्च 8,620 रुपये बैठता है. जो सालभर में 1,03,440 रुपये हो जाता है. पांच साल में यह आंकड़ा 517,200 रुपये हो जाएगा, और 8 साल में कुल 8,27,520 रुपये का पेट्रोल फूंक देंगे. ये कैलकुलेशन 17.4 किमी प्रति लीटर (ARAI माइलेज) के हिसाब से निकाला गया है.
अब बात इलेक्ट्रिक नेक्सॉन की करते हैं, Tata Nexon EV- XM की शुरुआती कीमत 16.49 लाख रुपये है. इस कार चलाने में प्रति किलोमीटर करीब एक रुपये का खर्च आता है. ऐसे में 50 किलोमीटर रोजाना चलने वालों को महीने में केवल 1500 रुपये का खर्च बैठेगा, साल में 18000 रुपये, 5 साल में करीब 90 हजार रुपये और 8 साल 1.26 लाख रुपये होता है.
बचत का फॉर्मूला
ऐसे में पेट्रोल वाली नेक्सॉन से रोजाना 50 किलोमीटर सफर करने पर 5 साल में करीब 5 लाख रुपये और 8 साल में 8 लाख रुपये से ज्यादा पेट्रोल पर खर्च होने वाला है. जबकि नेक्सॉन इलेक्ट्रिक (Nexon EV) से चलने पर 5 साल में 1 लाख से भी कम, और 8 साल में 1.26 लाख रुपये का खर्च आएगा. यानी आठ लाख की पेट्रोल वाली कार लेकर आप अगले 8 साल में उतने ही पेट्रोल पर फूंक देंगे. वहीं 8 साल के बाद दोनों गाड़ियों पर खर्च को जोड़ दें, तो लागत एक समान हो जाएगा. लेकिन वैल्यू उस समय इलेक्ट्रिक कार की ज्यादा रहेगी. क्योंकि 8 साल के बाद पेट्रोल वाली कार की आधी से भी कम रह जाएगी, करीब 4 लाख रुपये. जबकि इलेक्ट्रिक कार की वैल्यू उस समय कम से कम 8 लाख रुपये रहेगी.
ये है एक और विकल्प
दरअसल, पेट्रोल वाली Nexon खरीदने से अभी जो आपको बचत हो रही है, उसे आप अगले 8 सालों में पेट्रोल पर खर्च कर देंगे. बचत का फॉर्मूला ये है कि आप इलेक्ट्रिक कार खरीद कर पेट्रोल पर खर्च होने वाली राशि को हर महीने म्यूचुअल फंड में SIP कर दें. ऊपर दिए गए उदाहरण के मुताबिक हर महीने करीब साढ़े 8 हजार रुपये पेट्रोल पर खर्च होने वाला है. अगर इसे SIP कर देते हैं तो 8 साल में सालाना 12 फीसदी के हिसाब से कुल 13.72 लाख रुपये, और 15 फीसदी रिटर्न के हिसाब कुल 15 लाख 80 हजार रुपये बन जाएगा. यही नहीं, अगर आप 8 साल के बाद पुरानी इलेक्ट्रिक कार को आधी कीमत यानी 8 लाख रुपये में बेच देते हैं और फिर SIP से जमा फंड को मिलाकर एक बेहतरीन कार ले सकते हैं. जबकि पेट्रोल कार खरीदने पर 8 साल के बाद आपका हाथी खाली रहेगा. अब आप खुद फैसला ले सकते हैं तो बेहतर विकल्प कौन है?
कंपनी की मानें नेक्सॉन EV को चलाने के लिए केवल 0.97 रुपये प्रति किमी की लागत आती है, वहीं पेट्रोल नेक्सॉन पर लागत 6.12 रुपये प्रति किलोमीटर आती है. यही नहीं, कंपनी Tata Nexon EV की बैट्री और मोटर (Battery & Motor Warranty) पर 8 साल या फिर 1.6 लाख किलोमीटर तक की वारंटी देती है.
अमित कुमार दुबे