इतिहास रचने वाले IPO का फ्लॉप शो, 15 साल में आए ये 5 बड़े IPO... माहौल बना, लेकिन पैसा नहीं!

5 Biggest IPO: इतिहास देखें तो पिछले 15 साल के 5 सबसे बड़े आईपीओ ने निवेशकों को तगड़ा झटका दिया है. Hyundai के आईपीओ ने एक बार फिर इतिहास दोहराया है. 

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अमित कुमार दुबे

  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 3:21 PM IST

खूब चर्चाएं हुईं, देश का सबसे बड़ा आईपीओ है. कंपनी का नाम भी बड़ा है. लेकिन 'जितना बड़ा आईपीओ, उतना बड़ा ही फ्लॉप शो...'. दरअसल, देश के 5 सबसे बड़े IPO को देखें, तो इसने निवेशकों का दम निकाल दिया. 'ऊंची दुकान... फीके पकवान' जैसा इन आईपीओ का हाल रहा. निवेशकों को लिस्टिंग के दिन ही जो झटका लगा, उससे वो वर्षों बाद भी नहीं उभर पाए. ये पिछले एक-दो साल की बात नहीं है. पिछले 15 वर्षों के दरम्यान देश में हजारों IPO आए. लेकिन अगर इनमें से 5 सबसे बड़े IPO का इतिहास देखें तो ये निवेशकों को चूना लगाने वाले साबित हुए हैं.
  
हमारे देश में जब भी कोई बड़ा आईपीओ खुलता है, तो उसकी खूब चर्चाएं होती हैं. लेकिन हकीकत का सामना लिस्टिंग के दिन और उसके बाद, निवेशकों को होता है. इतिहास देखें तो पिछले 15 साल के 5 सबसे बड़े आईपीओ ने निवेशकों को तगड़ा झटका दिया है. Hyundai के आईपीओ ने एक बार फिर इतिहास दोहराया है. 

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1. Hyundai Motor India IPO
दरअसल, देश के सबसे बड़े आईपीओ हुंडई मोटर इंडिया (Hyundai Motor India) के इश्यू की मंगलवार को शेयर मार्केट में लिस्टिंग हुई थी. बड़ा आईपीओ था, तो निवेशकों को उम्मीदें भी बड़ी थीं. लेकिन इसने लिस्टिंग के दिन ही निवेशकों को निराश कर दिया. इससे पहले भी देश के 4 बड़े IPO का कुल मिलाकर ऐसा ही हश्र रहा था. 

हुंडई मोटर इंडिया का आईपीओ BSE पर इश्यू प्राइस के मुकाबले 29 रुपये के नुकसान के साथ लिस्ट हुआ. इसका इश्यू प्राइस 1960 रुपये था. BSE पर इसकी लिस्टिंग 1.48% गिरावट के साथ 1931 रुपये पर हुई. इस आईपीओ का इश्यू साइज 27,870 करोड़ रुपये था. आखिरी दिन तक यह IPO कुल 2.37 गुना सब्सक्राइब हो पाया था. जितना बड़ा यह आईपीओ था, उसके मुकाबले इसे वह सब्सक्रिप्शन नहीं मिला. रिटेल का हिस्सा तो केवल 50 फीसदी भरा था. 

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क्‍यों फ्लॉप रहा Hyundai का IPO? 
मार्केट जानकारों के मुताबिक, इस आईपीओ का वैल्‍यूवेशन काफी महंगा था. इसके अलावा IPO का पूरा पार्ट OFS था, यानी पूरा पैसा प्रमोटर्स के खाते में गया. ऐसे में निवेशकों ने दांव लगाने का जोखिम नहीं लिया. 

2. LIC IPO 
देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कारपोरेशन ऑफ इंडिया (LIC) के आईपीओ की लिस्टिंग 17 मई 2022 को हुई थी. LIC के IPO को करीब तीन गुना सब्सक्रिप्शन मिला था. इसके जरिए सरकार ने इस एलआईसी में अपनी 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेची थी, जिससे सरकार को 20,557 करोड़ रुपये मिले थे. इस आईपीओ की भी खूब चर्चा हुई थी. तमाम ब्रोकरेज दमदार लिस्टिंग का अनुमान लगाया था. लेकिन इसका भी फ्लॉप शो रहा था.

दरअसल, इस आईपीओ ने भी लिस्टिंग के दिन ही निवेशकों को निराश किया था. इस IPO को भी सबसे बड़ा कहा जा रहा था. क्योंकि इश्यू साइज 20,557 करोड़ रुपये का था. लेकिन लिस्टिंग फीका रहा था. लिस्टिंग के दिन LIC के शेयर BSE पर 81.80 रुपये डिस्काउंट यानी 8.62% गिरावट के साथ 867.20 रुपये लिस्ट हुए थे. इस आईपीओ का प्राइस बैंड 902-949 रुपये प्रति शेयर रखा गया था. इस IPO में घरेलू निवेशकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. क्योंकि LIC की पहुंच देश के कोने-कोने तक है. 

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सुस्त लिस्टिंग के बाद भी शेयर में गिरावट का दौर जा रहा, और शेयर एक साल के अंदर इश्यू प्राइस 949 रुपये के मुकाबले लुढ़कर 530.05 रुपये पर पहुंच गया. फिलहाल LIC के शेयर लिस्टिंग के दो साल बाद भी 919 रुपये के आसपास ट्रेड कर रहा है. 

3. Paytm IPO
पेटीएम (Paytm) की पैरेंट कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड का IPO नवंबर- 2021 में लॉन्च हुआ था. लॉन्च से पहले इस आईपीओ को लेकर जबर्दस्त माहौल था. लेकिन लिस्टिंग के दिन ही निवेशक मायूस हो गए. खराब लिस्टिंग के बाद भी संकट टला नहीं, और शेयर लगातार नीचे लुढ़कते रहे. 
 
 पेटीएम आईपीओ से जुड़ीं कुछ खास बातेंः 
- Paytm आईपीओ का इश्यू प्राइस 2,150 रुपये प्रति शेयर था. 
- इस आईपीओ का इश्यू साइज़ 18,300 करोड़ रुपये था. 
- इस आईपीओ में निवेशकों ने काफी दिलचस्पी दिखाई थी. 
- लिस्टिंग के दिन शेयर 9% डिस्काउंट के साथ 1,950 रुपये पर लिस्ट हुए थे.
 

लिस्टिंग के बाद से शेयरों में और गिरावट आई, यह अभी तक अपने इश्यू प्राइस के आस-पास नहीं पहुंच सका है. Paytm के आईपीओ का प्राइस बैंड 2150 रुपये था, और फिलहाल शेयर 750 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है, यानी इश्यू प्राइस से शेयर करीब 60 फीसदी नीचे है. जबकि एक समय Paytm का शेयर फिसलकर 350 रुपये से नीचे चला गया था.

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नवंबर-2022 में ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट आई थी. जिसमें कहा गया था कि पिछले एक दशक में जितने भी बड़े आईपीओ आए, उनमें सबसे खराब प्रदर्शन पेटीएम का रहा. उस समय Paytm के शेयर अपने इश्यू प्राइस से करीब 80 फीसदी तक टूट चुका था. जबकि इससे पहले साल 2012 में स्पेन के बांकिया एसए (Bankia SA’s) में 82% गिरावट आई थी.  

Paytm का इतिहास
पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा ने कहा था कि पेटीएम के आईपीओ के लिए गलत बैंकर चुना गया था, जिस कारण निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ा. Paytm की शुरुआत करीब 10 साल पहले हुई थी. शुरुआत में कंपनी मोबाइल रिचार्ज प्लेटफॉर्म के रूप में जानी जाती थी, लेकिन 2016 में नोटबंदी के दौरान सीईओ वियज शेखर शर्मा के नेतृत्व में पेटीएम पेंमेट सर्विस आसमान की बुलंदियों पर पहुंच गई.  

4. Coal India IPO
जब भी बड़े आईपीओ की बात होती है तो Coal India का जिक्र होता है. Coal India का आईपीओ नवंबर-2010 में आया था. उस समय ये देश को सबसे बड़ा आईपीओ था. कंपनी ने आईपीओ से 15,475 करोड़ रुपये जुटाए थे. इस आईपीओ का इश्यू प्राइस 245 रुपये था. 

इस सरकारी कंपनी के आईपीओ को शानदार रिस्पॉन्स मिला था, कुल 15.28 गुना सब्सक्राइब हुआ था, और लिस्टिंग भी दमदार हुई थी. पिछले 15 साल में एकमात्र यही एक आईपीओ है, जो साइज में सबसे बड़ा था. लेकिन इसने निवेशकों को निराश नहीं किया. इसकी लिस्टिंग 17.44% प्रीमियम के साथ हुई थी, और उसके बाद भी इसमें तेजी देखी गई. फिलहाल कोल इंडिया का शेयर 470 रुपये पर कारोबार कर रहा है. 

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5. Reliance Power IPO
साल 2008 में Reliance Power का आईपीओ आया था. इसने भी इतिहास रच दिया था. प्रमोटर अंबानी फैमिली होने की वजह से निवेशक इस आईपीओ को लेकर उत्साहित थे. इस आईपीओ का साइज 11,563 करोड़ रुपये का था. मंदी के दौर (साल 2008) में अनिल अंबानी की इस कंपनी को निवेशकों का जोरदार रिस्पॉन्स मिला था. 

रिलायंस पावर का आईपीओ शानदार 73.04 गुना सब्सक्राइब हुआ था. इस आईपीओ की लिस्टिंग 11 फरवरी 2008 को हुई थी. आईपीओ का प्राइस बैंड 450 रुपये था, और लिस्टिंग 21.73% प्रीमियम के साथ 547.80 रुपये पर हुई थी. कुछ दिन के बाद ही इस आईपीओ का भी वही हाल हुआ था. एक शानदार आईपीओ निवेशकों के लिए सिरदर्द बन गया. गिरते शेयर प्राइस से निवेशकों में हाहाकार मच गया था. फिलहाल अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस पावर संकट में है और शेयर सिर्फ 40 रुपये पर ट्रेड कर रहा है, इसका मार्केट कैप 16200 करोड़ रुपये के करीब है. यह शेयर अपने हाई से करीब 82 फीसदी लुढ़क चुका है.

दरअसल, इन सभी बड़े आईपीओ के फ्लॉप होने के मुख्य कारण- ओवर आईपीओ प्राइस, OFS और फिर संकट में कंपनी का कारोबार होना है. जो भी हो, अब निवेशक ऐसे आईपीओ से दूरी बनाने लगे हैं, इसी का ताजा उदाहरण Hyundai Motor India का आईपीओ है, जिसमें आम निवेशकों पैसे लगाने से बचते दिखे, जिससे रिटेल कैटेगरी केवल 50 फीसदी भरा. जानकारों की मानें इन्वेस्टर ऐसे किसी भी इश्यू में दिलचस्पी खो देते हैं, जो कीमत के नीचे खुलता है और फिर लुढ़कने लगता है. 

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क्या होता है IPO?
आईपीओ का फुल फॉर्म है- इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग. आईपीओ का मतलब है कि जब कोई निजी कंपनी पहली बार जनता को अपने शेयर बेचती है, तो इसे आईपीओ कहा जाता है. इस प्रक्रिया के जरिए कंपनी को पब्लिक से फंड जुटाने में मदद मिलती है. आईपीओ के जरिए कंपनी का स्वामित्व निजी से सार्वजनिक हो जाता है.

क्या होता है OFS?
ओएफएस (OFS) का मतलब ऑफर फॉर सेल होता है. इसके जरिए प्रमोटर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचते या घटाते हैं. आमतौर पर जब कोई कंपनी अपना आईपीओ लाती है तो वह ओएफएस के जरिए मौजूदा प्रमोटरों को हिस्सेदारी घटाने या बेचने का मौका देती है. कई बार कंपनियां मिनिमम शेयरहोल्डिंग के नियम का पालन करने के लिए OFS का रास्ता चुनती हैं. इससे प्रमोटर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचते हैं, जिससे प्रमोटर शेयरहोल्डिंग घट जाती है और नॉन-प्रमोटर शेयरहोल्डिंग बढ़ जाती है.

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