यूनिटेक में फंसा है आशियाना, किस प्रोजेक्ट के किस टावर में कैसे मिलेगा फ्लैट?

यूनिटेक ने अपनी वित्तीय चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए एक नई रणनीति अपनाई है. अब कंपनी प्लॉटेड प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता देगी, क्योंकि इन परियोजनाओं में विकास की लागत कम होती है और मुनाफा अधिक हो सकता है.

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यूनिटेक के फ्लैट बायर्स परेशान यूनिटेक के फ्लैट बायर्स परेशान

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 15 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 5:12 PM IST

यूनिटेक ग्रुप के मैनेजमेंट से हर किसी का सवाल वही है 'आखिर हमें अपना आशियाना कब मिलेगा'? लेकिन अब कंपनी ने हर प्रोजेक्ट की पूरी होने की संभावित तारीख टावरवाइज अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी है. दरअसल, यूनिटेक के 7 राज्यों में 11 अलग अलग लोकेशंस पर 74 प्रोजेक्ट्स हैं. इनमें सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट्स हरियाणा और उत्तर प्रदेश में हैं. 

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कब दूर होंगी बायर्स की मुश्किलें?


यूनिटेक के दिल्ली-NCR में सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट्स हैं, जिनमें गुरुग्राम, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कई प्रोजेक्ट्स अटके हुए हैं. इन्हें पूरा करने के लिए कंपनी को फंड्स की जरुरत है. यूनिटेक के ज्यादातर प्रोजेक्ट्स में बायर्स 85% तक भुगतान कर चुके हैं, जबकि प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए जितनी रकम चाहिए वो उनके बकाया 15% से पूरी नहीं होगी. इसकी वजह है कि 85% रकम ढांचा बनने तक ग्राहकों से वसूल ली जाती है, जबकि तब तक प्रोजेक्ट में कुल खर्च का महज 40-50% ही इस्तेमाल होता है. इसके बाद प्रोजेक्ट के इंटीरियर में 50% और एक्सटीरियर में भी 10% पैसा खर्च होता है. कंपनी की समस्या ये है कि सभी प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए 12 हजार करोड़ रुपए की जरुरत है जबकि केवल 2800 करोड़ रुपए ग्राहकों से मिलने की उम्मीद है. 

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यूनिटेक के सामने फंड्स की समस्या


यूनिटेक ने फंड की कमी का हल निकालने की कोशिश के तहत तय किया है कि अब वो पहले प्लॉटेड प्रोजेक्ट्स बेचेगी, क्योंकि इनको डेवलप करने में खास रकम खर्च नहीं होगी और इनका दाम भी ज्यादा मिल सकता है. इसके बाद इस रकम से वो फ्लैट्स को पूरा करेगी और फिर बाजार कीमत पर बेचेगी. इससे कंपनी को फंड की दिक्कत से निजात मिलने की उम्मीद है. इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा में जमीन का पैसा बकाया होने की वजह से अथॉरिटी रजिस्ट्री को मंजूरी नहीं दे रही है.

इससे यूनिटेक के फ्लैट्स के दाम दूसरे प्रोजेक्ट्स के मुकाबले कम हैं. ऊपर से बैंक से लोन मिलना भी मुश्किल हो रहा है, जिससे ग्राहकों के लिए इन फ्लैट्स को खरीदना आसान नहीं है. ऐसे में प्लॉट्स की बिक्री जल्द होने से कंपनी के पास फंड्स मुहैया हो सकते हैं. इस रकम के अलावा कंपनी के कुछ प्रोजेक्ट्स में सरप्लस फंड होने की संभावना है, जिसे घाटे वाले प्रोजेक्ट्स के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.  

24 से 36 महीने में फ्लैट्स मिलेंगे


गुरुग्राम में 10 साल की देरी के बाद कुछ प्रोजेक्ट्स पर काम शुरू हुआ है. नोएडा में 1115 बायर्स को तो मई-जून तक फ्लैट्स की डिलीवरी की उम्मीद है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से नोएडा में 3 प्रोजेक्ट्स से अतिक्रमण हटाने का काम पुलिस की मदद से किया गया है. साथ ही, अधूरे प्रोजेक्ट्स के कमजोर स्ट्रक्चर को मजबूत करने का काम भी शुरू हो गया है. इससे बायर्स को उम्मीद है कि जल्द ही उनके सपनों का घर तैयार हो जाएगा. स्ट्रक्चर की मजबूती के लिए यूनिटेक के बोर्ड ने IIT रुड़की से NCR, IIT मद्रास से चेन्नई-बेंगलुरु, जाधवपुर यूनिवर्सिटी से पूर्वी भारत के कुल मिलाकर 78 टावर्स, 23 बेसमेंट्स का टेस्ट कराया है. इसके बाद इनके सुझाव के आधार पर यहां मजबूती का काम किया जा रहा है.

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बायर्स का इंतजार खत्म होगा!


2020 में NHAI के पूर्व चेयरमैन युद्धवीर सिंह मलिक के नेतृत्व में यूनिटेक की कमान नए बोर्ड को सौंपी गई थी. युद्धवीर सिंह मलिक कहते हैं, हम फंड की कमी को दूर करने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं. प्लॉट्स की बिक्री और दूसरे रास्तों से फंड्स का इंतजाम करके हम प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. बायर्स को जल्द ही उनका आशियाना मिलेगा. लेकिन बायर्स अभी भी सतर्क हैं. क्योंकि 24 से 36 महीने में फ्लैट्स मिलने का वादा तो कंपनी ने किया है, लेकिन पिछले अनुभवों के बाद भरोसा बनाना मुश्किल हो रहा है. अगर कंपनी अपनी योजना पर कामयाब रही तो हजारों परिवारों का सपना साकार हो सकता है.

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