अयोध्या अब आध्यात्मिकता का केंद्र बन चुका है, जिसके कारण धार्मिक पर्यटन यहां की सरकार के लिए कमाई का मुख्य साधन बन गया है. मंदिर में आने वाले पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है. यह संख्या अक्टूबर 2025 के मध्य तक 22 करोड़ से ज्यादा हो गई है, जो 2024 के 16.44 करोड़ के आंकड़े से काफी अधिक है. पर्यटकों की बढ़ती रुचि के कारण इस मंदिर शहर में रियल एस्टेट की मांग भी तेजी से बढ़ी है.
2019 के बाद शहर के रियल एस्टेट सेक्टर में जबरदस्त तेजी आई है, मंदिर क्षेत्र के पास जमीन की कीमतें 5 से 10 गुना बढ़ गई हैं. वहीं शहर के बाहरी इलाकों में कीमतें 4 से 8 गुना बढ़ गई हैं. रियल एस्टेट की कीमतों में यह बढ़ोतरी राम मंदिर के उद्घाटन और बाकी विकास कार्यों के कारण हुई है, जिसने अयोध्या को उत्तर प्रदेश में एक बहुत बड़ा धार्मिक पर्यटन केंद्र बना दिया है.
यह भी पढ़ें: "रियल एस्टेट में खूब पैसा लगाते हैं बॉलीवुड स्टार्स, किराये से करते हैं करोड़ों की कमाई"
राम मंदिर के उद्घाटन के बाद से, अयोध्या रियल एस्टेट निवेश के लिए एक खास जगह बन गया है. आवासीय और व्यावसायिक दोनों सेक्टरों में बड़ी बढ़ोतरी देखी गई है. बड़े पैमाने पर हो रहे बुनियादी ढांचे के विकास और बढ़ते पर्यटन के कारण संपत्ति के मूल्यों में तेज बढ़ोतरी हुई है.
अयोध्या के आवासीय बाजार में, खासकर राम मंदिर के पास के क्षेत्रों में, प्लॉट की कीमतें कई गुना बढ़ गई हैं, जबकि फैजाबाद रोड और रायबरेली रोड जैसे बाहरी इलाकों में अभी भी अधिक मध्यम दरें उपलब्ध हैं. Omaxe और The House of Abhinandan Lodha जैसे रियल एस्टेट खिलाड़ियों ने पहले ही यहां अपने आवासीय प्रोजेक्ट शुरू कर दिए हैं.
वहीं, व्यावसायिक बाजार में बढ़ते पर्यटन और राम पथ और अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे ने होटलों, खुदरा और कार्यालयों के लिए व्यावसायिक स्थानों की मांग को बढ़ा दिया है. प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों में कीमतें कई गुना बढ़ी हैं, क्योंकि ताज और रेडिशन जैसे बड़े होटल चेन राम मंदिर के पास शुरू होने वाले हैं. घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के आगामी महीनों में भारी संख्या में आने की संभावना को देखते हुए कई अन्य होटल चेन भी अयोध्या के बाजार में प्रवेश की योजना बना रही हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार ने बुनियादी ढांचे में सुधार और शहरी विकास की कई परियोजनाएं शुरू की हैं, जिससे अयोध्या एक फलते-फूलते आवासीय और व्यावसायिक केंद्र के रूप में अपनी अपील बढ़ा रहा है. सरकार टियर-2 शहरों में रियल एस्टेट के उभरते गंतव्य अयोध्या में किफायती आवास को भी बढ़ावा दे रही है, इसी क्रम में, अयोध्या विकास प्राधिकरण ने पिछले साल दिसंबर में लखनऊ-अयोध्या हाईवे के पास 600 आवासीय प्लॉट वाली वशिष्ठ कुंज योजना शुरू की थी, जिसके चरण 2 का पंजीकरण भारी मांग के कारण हाल ही में बढ़ाया गया था.
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद (UPAVP) भी अयोध्या में एक आधुनिक, पर्यावरण-अनुकूल ग्रीन फील्ड टाउनशिप विकसित कर रहा है. रियलिस्टिक रियल्टर्स के क्षेत्रीय निदेशक मोहित बत्रा ने कहा- 'टियर-2 शहरों के विकास के रुझान को देखते हुए, अयोध्या का रियल एस्टेट मामला भारत की अगली विकास लहर से पूरी तरह मेल खाता है.' उन्होंने जोर देकर कहा कि निवेशकों को अयोध्या को सिर्फ मंदिर के आस-पास का 'शॉर्ट-टर्म' खेल नहीं, बल्कि एक लंबी अवधि की शहरी कहानी के रूप में देखना चाहिए, जहां बेहतर बुनियादी ढांचा, आध्यात्मिक पर्यटन और प्लॉट वाली जमीन की मांग मिलकर इसे एक मजबूत टियर-2 माइक्रो-मार्केट बना रहे हैं.
होम एंड सोल की चेयरपर्सन साक्षी कटियाल ने कहा- "निवेशक अयोध्या को केवल एक धार्मिक स्थल के रूप में नहीं देख रहे हैं, बल्कि इसे टियर-2 आर्थिक विकास की एक उभरती हुई कहानी मान रहे हैं. कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि विकास में तेजी आने के साथ, अयोध्या अब उत्तर प्रदेश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 1.5% का योगदान दे रहा है. यह बड़ा आर्थिक उछाल एनआरआई और बड़ी संस्थागत कंपनियों के बीच गूंज रहा है, जो आमतौर पर भावना के बजाय निवेश पर रिटर्न (ROI) देखते हैं."
(ये आर्टिकल पहले बिजनेस टुडे पर पब्लिश हुआ है. जिसे असीम थपलियाल ने लिखा है)
aajtak.in