भारत को आत्मनिर्भर बनाने वाली सड़क, सीधे रूस तक होती है कनेक्ट

यह रूट इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (International North-South Transport Corridor) यानी INSTC के नाम से जाना जाता है. यह रूट 7,200 किलोमीटर लंबा है. यह कॉरिडोर सेंट्रल एशिया (Central Asia) और भारत के बीच व्यापार के खर्च को पारंपरिक रूट की तुलना में कम से कम 30 फीसदी सस्ता कर देता है.

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भारत से रूस को जोड़ने वाला रूट (Photo: Indian Embassy, Iran) भारत से रूस को जोड़ने वाला रूट (Photo: Indian Embassy, Iran)

सुभाष कुमार सुमन

  • नई दिल्ली,
  • 16 जून 2022,
  • अपडेटेड 8:24 PM IST
  • रूस और यूरोप से भारत को जोड़ता है कॉरिडोर
  • समय के साथ होगी पैसे की भी बचत

बदलती वैश्विक परिस्थितियों में ग्लोबल ट्रेड (Global Trade) का महत्व भी बदला है. यह व्यापार बिना किसी व्यवधान के होता रहे, इसके लिए अन्य देशों के साथ संबंधों के साथ ही सुरक्षित ट्रेड रूट जरूरी हो जाता है. भारत के लिए भी अब एक ऐसा ही ट्रेड रूट तैयार हुआ है, जो देश को व्यापार के मामले में आत्मनिर्भर बनाने वाला साबित हो सकता है. इस ट्रेड रूट के कारण भारत सड़क मार्ग से ईरान (Iran), रूस (Russia) समेत कई देशों से जुड़ गया है.

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इतना लंबा है ट्रेड कॉरिडोर

ईरान की सरकारी शिपिंग कंपनी ने इसी रूट के जरिए हाल ही में रूस से भारत के लिए माल डिस्पैच किया है. यह रूट इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (International North-South Transport Corridor) यानी INSTC के नाम से जाना जाता है. यह रूट 7,200 किलोमीटर लंबा है. यह कॉरिडोर सेंट्रल एशिया (Central Asia) और भारत के बीच व्यापार के खर्च को पारंपरिक रूट की तुलना में कम से कम 30 फीसदी सस्ता कर देता है. इसके अलावा नया रूट समय की भी बचत कराता है.

कम हुआ ट्रेड का समय (Photo: Sputnik)

पारंपरिक रूट से कम लगेगा समय

अगर यह रूट नहीं होता तो रूस से यह सामान स्वेज नहर के रास्ते आता और इसे 16000 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती. पहले इसे St. Petersburg से समुद्र के रास्ते कैस्पियन सागर स्थित पोर्ट सिटी अस्त्राखान लेकर जाना होता. इसके बाद माल ईरान के उत्तरी बंदरगाह अंजाली तक पहुंचता. वहां से माल को सड़क मार्ग से फारस की खाड़ी में स्थित दक्षिणी बंदरगाह बंदर अब्बास तक लाया जाता. तब माल फिर समुद्री मार्ग से नवी मुंबई के लिए रवाना होता. पारंपरिक मार्ग से माल को रूस से भारत आने में 45-60 दिन लगते, जबकि नए रूट से माल 25 दिन में भारत पहुंच जाएगा.

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इन देशों से होकर गुजरता है रास्ता

INSTC रूट ट्रांसपोर्ट इंटरनेशनॉक्स रूटियर्स (TIR) कंवेंशन पर हस्ताक्षर करने वाले देशों से होकर गुजरता है. इस रूट का एडमिनिस्ट्रेशन इंटरनेशन रोड ट्रांसपोर्ट यूनियन करता है. इसका लक्ष्य एकल कस्टम डॉक्यूमेंट पर माल की मल्टीमॉडल ढुलाई को संभव बनाना है. यह कॉरिडोर भारत को ईरान और सेंट्रल एशिया से जोड़ता है. इस परियोजना में भारत के अलावा ईरान, रूस, अजरबैजान, आर्मेनिया, कजाखस्तान, बेलारूस, तुर्की, ताजिकिस्तान, किर्गिजस्तान, ओमान, यूक्रेन और सीरिया जैसे देश शामिल हैं. इसकी संकल्पना भारत, रूस और ईरान ने मिलकर सितंबर 2000 में तैयार की थी. इस कॉरिडोर को बाल्टिक, नॉर्डिक और आर्कटिक क्षेत्रों तक बढ़ाया जा सकता है.

इन देशों से गुजरता है रूट

सड़क से कनेक्ट हुए भारत और यूरोप

INSTC का वेस्टर्न कॉरिडोर जून 2021 में बनकर तैयार हुआ, जो भारत को यूरोप से कनेक्ट करता है. यूनाइटेड नेशंस इकोनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड दी पैसिफिक इसके ईस्टर्न कॉरिडोर पर काम कर रहा है. यह कॉरिडोर चीन को सेंट्रल एशियाई कंट्रीज से होते हुए रूस और यूरोप से कनेक्ट करेगा. भारत भी इस कॉरिडोर का हिस्सा है. इस कॉरिडोर से मौजूदा ट्रेड पार्टनर कंट्रीज पर भारत की निर्भरता कम होगी. इसके अलावा व्यापार में समय के साथ पैसे की भी बचत होगी.

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