जॉब, एक्‍सपोर्ट और ग्रोथ... 50% टैरिफ भारत की अर्थव्‍यवस्‍था को कैसे करेगा प्रभावित? जानिए डिटेल

अमेरिका का 50 फीसदी टैरिफ भारत पर लागू हो चुका है. ऐसे में कई इकोनॉमिस्‍ट भारत की अर्थव्‍यवस्‍था पर टैरिफ ग्रोथ को लेकर अलग-अलग अनुमान लगा रहे हैं. आइए जानते हैं टैरिफ से भारत की अर्थव्‍यवस्‍था पर क्‍या असर होगा.

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टैरिफ से भारत की अर्थव्‍यवस्‍था कैसे प्रभावित होगी? (Photo: PTI, Pixabay) टैरिफ से भारत की अर्थव्‍यवस्‍था कैसे प्रभावित होगी? (Photo: PTI, Pixabay)

आजतक बिजनेस डेस्क

  • नई दिल्‍ली,
  • 28 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:32 PM IST

भारतीय इकोनॉमी दुनिया में तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्‍यवस्‍था है, लेकिन अब एक्‍सपर्ट्स अनुमान लगा रहे हैं कि ट्रंप के 50% टैरिफ से इकोनॉमी ग्रोथ प्रभावी हो सकता है. अमेरिका का भारत पर 50 फीसदी टैरिफ 27 अगस्‍त से प्रभावी हो चुका है, जिसका मतलब है कि भारत से अमेरिका जाने वाले समानों पर 50 फीसदी का शुल्‍क लिया जाएगा.  

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भारत पर टैरिफ ऐसे समय में लागू किया गया है, जब वित्त वर्ष 2024-25 में अर्थव्‍यवस्‍था की ग्रोथ 6.5% है. हाल ही में पीआईबी ने भी भारत की ग्रोथ को लेकर कुद आंकड़े पेश किए थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की GDP 2024-25 में 6.5 फीसदी से बढ़ेगी, जो अर्थव्‍यवस्‍थाओं में सबसे ज्‍यादा है. भारत की अर्थव्‍यवस्‍था स्थिर और आत्‍मविश्‍वास भरी ग्रोथ से बढ़ रही है और दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्‍यवस्‍था के तौर पर उभरा है. 

टैरिफ से बदल सकती है भारत की ग्रोथ
लेकिन अब टैरिफ लागू होने से भविष्य की तस्वीर बदल सकती है. इकोनॉमिस्‍ट का दावा है कि ट्रंप के इस टैरिफ से जॉब, इकोनॉमी ग्रोथ और एक्‍सपोर्ट में गिरावट आएगी. भारत के निर्यात 60 अबर डॉलर तक प्रभावित हो सकते हैं और अमेरिका के लिए निर्यात में 70 फीसदी की गिरावट भी आ सकती है. 

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निर्यात और क्षेत्रीय प्रभाव 
DBS बैंक के सीनियर इकोनॉमिस्‍ट राधिका राव ने रॉयटर्स को बताया कि भारत का अमेरिका को एक्‍सपोर्ट GDP का 2.3 फीसदी है, फिर भी एक्‍स्‍ट्रा 25  फीसदी टैरिफ लागू होने के बाद इसका प्रभाव असमान होगा. उन्‍होंने आगे कहा कि वैकल्पिक बाजारों की तलाश, बहुपक्षीय और द्विपक्षीय व्‍यापार समझौतों के माध्‍यम से व्‍यापार और न‍िवेश संबंधों को मजबूत करने जैसे अन्‍य कोशिश भी महत्‍वपूर्ण होंगे. 

उन्‍होंने कहा कि जिन एक्‍सपोर्ट पर सबसे ज्‍यादा असर पड़ सकता है, उनमें कपड़ा, ऑटो कंपोनेंट, रत्न और आभूषण और दवाइयां शामिल हैं. ये सभी मिलकर भारत के अमेरिका के साथ होने वाले व्‍यापार का एक बड़ा हिस्‍सा हैं, जो इसका सबसे बड़ा एक्‍सपोर्ट मार्केट है. 

नौकरियों और विकास पर क्‍या असर? 
इसका असर बहुत बड़ा हो सकता है. बार्कलेज की भारत की मुख्‍य अर्थशास्‍त्री आस्‍था गुडवानी ने रॉयटर्स को बताया कि हमारा अनुमान है कि अमेरिका को भारत का 70 फीसदी (55 अरब डॉलर) निर्यात अब गंभीर खतरे में है, जिससे विकास के लिए रिस्‍क बढ़ रहा है. एक 'अच्‍छे दोस्‍त' से 'बुरे व्‍यापारिक साझेदार' तक, यह एक लंबा सफर तय कर चुका है. 

आनंद राठी ग्रुप के मुख्‍य अर्थशास्‍ती और कार्यकारी निदेशक सुजान हाजरा ने रॉयटर्स को बताया कि वाशिंगटन का 50 फीसदी टैरिफ एक झटका है, लेकिन कोई झटका नहीं है. उन्‍होंने कहा कि भारत का व्‍यापार घाटा GDP के करीअब 0.5 फीसदी तक बढ़ सकता है. विकास ग्रोथ में आध प्रतिशत की गिरावट आ सकती है और रुपयया मामूली रूप से कमजोर हो सकता है. निकट भविष्य में 20 लाख नौकरियां खतरे में हैं. फिर भी, बड़ी तस्वीर उतनी निराशाजनक नहीं है.

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आर्थिक भावना पर दबाव
इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ. मनोरंजन शर्मा ने कहा कि टैरिफ से जीडीपी की वृद्धि दर में 0.3-0.5 प्रतिशत की कमी आ सकती है. उन्‍होंने कहा कि कारखाने अपनी क्षमता से कम चल रहे हैं, निर्यातक लोन नहीं चुका पा रहे हैं और युवा भारतीयों के लिए रोजगार की संभावनाएं कम हो रही हैं. 

शर्मा ने कहा कि भू-राजनीतिक झटकों के बीच निवेशकों की धारणा पहले से ही अस्थिर है और यह और भी ठंडी पड़ सकती है, क्‍योंकि भारत की आर्थिक स्थिरता अमेरिका के मूड में बदलाव के कारण सतर्क हो गई है. 

इकोनॉमी को लेकर आरबीआई नजरिया 
ग्‍लोबल परिस्थितियों के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने विकास पूर्वानुमान को अपरिवर्तित रखा है. वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वास्‍तविक जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. इसमें पहली तिमाही 6.5%, दूसरी तिमाही 6.7%, तीसरी तिमाही 6.6% और चौथी तिमाही 6.3% रहेगी. वित्त वर्ष 2026-27 की पहली तिमाही के लिए वास्‍तविक GDP ग्रोथ 6.6 फीसदी रहने का अनुमान है. 

इकोनॉमी को लेकर SBI का अनुमान 
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के एक एक्‍सपर्ट्स के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी 6.8% से 7% के बीच रहने की संभावना है, जो भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 6.5% के अनुमान से ज्‍यादा है. SBI के नाउकास्ट मॉडल के अनुसार, इस अवधि के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर साल-दर-साल 6.9% रहने का अनुमान है. 

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इस अनुमान से पता चलता है कि केंद्रीय बैंक को उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था टैरिफ के झटके को बिना किसी तीव्र गिरावट के सहन कर लेगी. हालांकि इसका अभी भी कुछ सेक्‍टर्स और नौकरियों पर असर पड़ सकता है.

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