अगस्त में महंगाई की मार! 7 फीसदी से ऊपर जा सकती है खुदरा मुद्रास्फीति 

दिसंबर के बाद ही महंगाई में कुछ राहत मिल सकती है. भारतीय स्टेट बैंक इकोरैप की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना संकट की वजह से आपूर्ति चेन के टूटने और सरकार की ओर से की गयी भारी खरीद की वजह से अगस्त में महंगाई बढ़ी है. 

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सब्जियों के बढ़े दाम सब्जियों के बढ़े दाम

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 11 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 1:37 PM IST
  • अगस्त में बढ़ सकता है महंगाई का आंकड़ा
  • एसबीआई इकोरैप की रिपोर्ट में आशंका
  • RBI के लिए ब्याज दर में कटौती मुश्किल

अगस्त में खुदरा महंगाई का आंकड़ा 7 फीसदी या उससे ऊपर जा सकता है और दिसंबर के बाद ही महंगाई में कुछ राहत मिल सकती है. भारतीय स्टेट बैंक इकोरैप की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना संकट की वजह से आपूर्ति चेन के टूटने और सरकार की ओर से की गयी भारी खरीद की वजह से अगस्त में महंगाई बढ़ी है. 

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गौरतलब है कि सरकार द्वारा सोमवार को आधिकारिक आंकड़ा जारी किया जाएगा. जुलाई में खुदरा महंगाई की दर 6.93 प्रतिशत थी, जबकि पिछले साल जुलाई में यह आंकड़ा सिर्फ 3.15 फीसदी था.

क्यों बढ़ रही महंगाई 

खासकर अनाज, दाल-सब्जियों और मांस-मछली के दाम बढ़ने की वजह से मुद्रास्फीति में यह तेजी आ रही है. एसबीआई इकोरैप की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमें लगता है कि मुद्रास्फीति का अगस्त का आंकड़ा सात फीसदी या उससे ऊपर रहेगा और यदि तुलनात्मक बेस इफेक्ट ही इसका प्राथमिक कारण है तो मुद्रास्फीति संभवत: दिसंबर या उसके बाद ही चार फीसदी से नीचे दिखेगी.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 का संक्रमण अब ग्रामीण इलाकों में जिस तरह बढ़ रहा है उससे यह मानना कठिन है कि सप्लाई चेन की कड़ियां जल्दी फिर से सामान्य होंगी. ऐसी हालत में महंगाई बढ़ने का ही खतरा है. 

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अब क्या करेगा रिजर्व बैंक 

रिजर्व बैंक अपनी नीतिगत समीक्षा के लिए खुदरा महंगाई के आंकड़ों का इंतजार करता है. रिजर्व बैंक का मानना है कि खुदरा महंगाई 4 फीसदी से 6 फीसदी के बीच रहे तो उसके लिए सुविधाजनक है और इससे ज्यादा होने पर उसे उचित कदम उठाना पड़ेगा. कोरोना संकट के बीच रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कई बार कटौती कर चुका है. महंगाई का आंकड़ा रिजर्व बैंक के तय दायरे से कब का उपर जा चुका है. इसलिए अब आगे ब्याज दरों में और कमी की उम्मीद कम ही है. 

 

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