रबी सीजन में आलू की इन किस्मों की बुवाई करें किसान, कम लागत में पाएं बंपर पैदावार

रबी सीजन में आलू की खेती की जाती है और बड़ी संख्‍या में किसान भी आलू की खेती करना पसंद करते हैं. ऐसें में किसान उन्नत वैरायटी के आलू उगाकर अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं. आइए जानते हैं आलू की उन्नत किस्मों के बारे में.

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आजतक एग्रीकल्चर डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 17 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 2:44 PM IST

रबी का सीजन शुरू हो चुका है. इस मौसम में आलू की खेती भी की जाती है. आलू एक ऐसी सब्जी है, जिसकी डिमांड सालभर रहती है. इसलिए हमारे देश में बड़े पैमाने पर आलू की खेती की जाती है. आलू की खेती से ज्यादा लाभ हासि‍ल करने के लिए इसकी सही वैरायटी का चयन करना बेहद जरूरी है. ऐसे में किसान कम लागत में आलू की खेती करके बंपर मुनाफा कमा सकते हैं. 

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इन किस्मों के आलू उगाएं किसान

कुफरी अशोक या पी जे- 376 आलू की एक अगेती वैरायटी है, जो किसानों के बीच काफी लोकप्र‍िय है. आलू की यह अगेती किस्म गंगा तटीय इलाकों में खेती के लिए उपयुक्‍त है. यह आलू की एक सफेद किस्‍म है. इस आलू के कंद सफेद होते हैं. इसके पौधे की ऊंचाई 60 से 80 सेंटीमीटर होती है. यह किस्‍म काफी कम समय (70 से 80 दिन) में पककर तैयारी हो जाती है.

वहीं, इसके उत्‍पादन क्षमता की बात करें तो एनएचआरडीएफ के अनुसार, यह प्रति हेक्‍टेयर 40 टन की पैदावार देने में सक्षम है. वहीं, इसकी औसतन उपज 280 से 300 क्विंटल प्रति हेक्‍टेयर तक होती है. यूपी बिहार, बंगाल, पंजाब और हरि‍याणा में इसकी खेती की जाती है.

कुफरी सूर्या आलू की किस्‍म अध‍िक तापमान सहने में सक्षम है. इस आलू का उपयोग फ्रेंच फ्राइज और चिप्स के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है. यह आलू अन्य किस्मों की तुलना में आकार में ज्यादा बड़ा होता है. बता दें कि च‍िप्‍स और स्‍नैक्‍स की खपत तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में इसकी खेती फायदेमंद साब‍ित हो सकती है. कुफरी सूर्या आलू के कंद सफेद होते हैं, जो सिंधु-गंगा क्षेत्र के लिए उपयुक्‍त है. इसकी फसल को तैयारी होने में 75 से 80 दिनों का समय लगता है. वहीं, इससे 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार हास‍िल की जा सकती है.

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कुफरी पुखराज देश में सबसे ज्‍यादा उगाया जाने वाला आलू है. देश में आलू के उत्‍पादन में लगभग 33 प्रतिशत योगदान कुफरी पुखराज का होता है. यह भी एक सफेद किस्‍म है, जि‍सकी फसल 70 से 90 दिन के अंदर पककर तैयार हो जाती है. यह किस्‍म कम तापमान वाले इलाकों के लिए भी उपयुक्‍त है. इस वैरायटी की खेती मुख्‍य रूप से यूपी, हरियाणा, पंजाब, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम में की जाती है. आलू की यह किस्‍म प्रति हेक्टेयर 400 क्विंटल पैदावार देने में सक्षम है.

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