हमारे देश में सब्जियों का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है. वहीं, कई राज्य सरकार सब्जी यानी बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं. हालांकि, बागवानी के साथ कुछ चुनौतियां भी आती हैं. इसको लेकर राज्य सरकार के कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है. ऐसे में आज हम आपको सब्जी की फसलों में लगने वाले कीट और रोगों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे बचाव करना बेहद जरूरी है वरना पूरी फसल बर्बाद हो सकती है.
तना और फल छेदक रोग
तना और फल छेदक सब्जियों व फलों के अंदर घुसकर पौधे और फसल को बर्बाद कर देते हैं. इससे बचाव के लिए कीट लगी फलियों व सब्जियों को एकत्रित कर जला देना चाहिए. इसके अलावा खेत में लाइट ट्रैप का इस्तेमाल करना चाहिए. लाइट ट्रैप में कीटों को आग या बल्ब की तेज रोशनी की तरफ आकर्षित किया जाता है और उनका निपटान किया जाता है. इसके अलावा फसल में साइपरमेथ्रीन 40 प्रतिशत ई.सी. को प्रति लीटर पानी 1.5 मिली मिलाकर छिड़काव करना चाहिए या इमामेक्टीन बेंजोएट 0.5 प्रतिशत एस.जी. की 1 ग्राम मात्रा 4 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
सफेद मक्खी
सफेद मक्खी फसलों को काफी नुकसान पहुंचाती है. यह शिशु और वयस्क दोनों ही अवस्थाओं में पत्तियों का रस चूसने का काम करती है. इस मक्खी से फसल में वायरस भी फैल सकता है. सफेद मक्खी से फसल के बचाव के लिए सुनिश्चित करें कि खेत में खरपतवार न हो, इसके अलावा प्रति तीन लीटर पानी में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एस. एल. की 1 मिली मात्रा मिलाकर छिड़काव करें. या पाइरिप्रोक्सीफेन 40 प्रतिशत ई.सी. का प्रति लीटर पानी में 1.5 मिली घोल तैयार कर छिड़काव करें.
फल सड़न
फल सड़न रोग होने पर पौधे की पत्तियों में धब्बे बन जाते हैं. यह रोग जमीन से सटे फलों के हिस्सों पर ज्यादा हमला करता है. इसके प्रबंधन के लिए कॉपर आक्सीक्लोराईड 50 प्रतिशत घुलनशील पाउडर का 3 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से या कार्बेन्डाजीम 50 प्रतिशत घुलनशील पाउडर का प्रति लीटर पानी में 1 ग्राम का घोल तैयार कर छिड़काव करना चाहिए.
उखड़ा रोग
उखड़ा रोग में पौधे की निचली पत्तियां पीली पड़ जाती हैं, जिसके बाद पौधा सूखने लग जाता है. इसके प्रबंधन के लिए रोग से प्रभावित फसल पर कार्बेन्डाजीम 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण का प्रति लीटर पानी में 1 ग्राम मिला घोल या कासुगामाइसिन 5 प्रतिशत और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45 प्रतिशत घुलनशील पाउडर का प्रति लीटर पानी में 4.5 ग्राम मिलाकर तैयार किया गया घोल मिट्टी पर छिड़कना चाहिए.
आजतक एग्रीकल्चर डेस्क