इस रक्षाबंधन भाइयों की कलाई पर बंधेगी धान की राखी, किसान पर रखा गया नाम

नंदनी ने बताया कि धान से राखी बनाने की प्रेरणा उन्हें अपने  शिक्षक चूड़ामणि से मिली है. नंदनी ने कहा कि स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है. लोगों को यह पसंद आया तो आगे आने वाले समय में भी उनका काम जारी रहेगा.

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Paddy Rakhi Paddy Rakhi

दुर्गेश यादव

  • जांजगीर चांपा,
  • 26 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 2:43 PM IST

छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है, जांजगीर जिले में सबसे ज्यादा धान की खेती होती है. इसे लेकर नई सोच के साथ धान की बलियों से राखी बनाई जा रही हैं. जिले की बेटी नंदनी बघेल ने कलात्मक विचार से धान से राखी बनाई है, जिसकी लोग खूब सराहना कर रहे हैं. इस रक्षाबंधन के मौके पर भाई की कलाई में धन से बनी राखियां भी देखने को मिलेंगी.

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नंदनी ने कहा कि धान से राखी बनाने के लिए बाजार से केवल रिबन और रंग की खरीदी की है. एक राखी के बनाने में मेहनत और बहुत समय लगता है. इसलिए उन्होंने बाजार में एक राखी की कीमत 50 रुपये रखी है. धान से पहली बार 500 राखी ही बनाई गई हैं. नंदनी ने कहा कि इसमें धान के अलावा चावल, मोती, कौड़ी, स्टोन से खूबसूरत रंग-बिरंगे धागों से सजी राखियों का निर्माण किया गया है. नंदनी ने कहा कि इस वर्ष अच्छी बिक्री होने पर अगले वर्ष अधिक मात्रा में राखियां बनाई जाएंगी.

शिक्षक से मिली प्रेरणा

नंदनी ने बताया कि धान से राखी बनाने की प्रेरणा उन्हें अपने  शिक्षक चूड़ामणि से मिली है. नंदनी ने कहा कि स्थानीय उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है. लोगों को यह पसंद आया तो आगे आने वाले समय में भी उनका काम जारी रहेगा. नंदनी PGDCA की पढ़ाई कर रही है. उनके पिता अनंदराम बघेल और उनकी माता एवं भाई बहन उनको इस कार्य के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते हैं.

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धान से बनी राखी

किसान राखी दिया गया नाम

नंदनी बघेल ने बताया कि धान से राखी बनाने में बहुत मेहनत लगती है. एक राखी बनाने में करीबन आधा घंटा से अधिक समय लगता है जबकि इतने समय में दूसरी राखियां पांच से अधिक बनाई जा सकती है. धान से बनी राखियों को किसान राखी का नाम दिया गया है. जिसे लुभाने वाली पैकिंग के साथ बाजार में बेचने के लिए लाया जाएगा.

 

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