ब्रिटेन के 5G नेटवर्क में चीनी कंपनी हुवेई पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को लेकर चीन ने नाराजगी जाहिर की है. ब्रिटेन की सरकार के बैन के बाद ऑपरेटर्स इस साल के अंत से हुवेई से 5G कंपोनेंट्स की खरीद नहीं कर सकेंगे. इसके अलावा, चीनी कंपनी के जिन उपकरणों का इस्तेमाल 5G इन्फ्रास्ट्रक्चर में हो चुका है, उन्हें भी 2027 तक पूरी तरह से हटाना होगा. यह चीनी कंपनी हुवेई के लिए बहुत बड़ा झटका है.
ब्रिटेन में चीनी राजदूत लिउ श्याओमिंग ने इस फैसले को निराशाजनक और अनुचित करार दिया है. चीनी राजदूत ने कहा कि अब ये सवाल पैदा हो गया है कि क्या ब्रिटेन दूसरे देशों की कंपनियों के लिए उचित, पारदर्शी और बिना भेदभाव वाला माहौल दे सकता है.
वहीं, चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने भी ब्रिटेन को इस फैसले को
लेकर चेतावनी दी है. अखबार ने लिखा, ब्रिटेन का फैसला साफ तौर पर अमेरिका
के दबाव का नतीजा है. चीन के लिए जरूरी है कि वह ब्रिटेन पर पलटवार करे
नहीं तो हर कोई हमें परेशान करने की कोशिश करेगा. चीन को ऐसा कदम उठाना
चाहिए जो ब्रिटेन के लिए दर्दनाक हो. हालांकि, अखबार ने लिखा है कि चीन-यूके के बीच संघर्ष पैदा
करना गैर-जरूरी है. ब्रिटेन ना तो अमेरिका है, ना ऑस्ट्रेलिया और ना ही
कनाडा. ब्रिटेन फाइव आईज की कमजोर कड़ी है. हॉन्ग कॉन्ग विवाद खत्म होने के
बाद ब्रिटेन के पास कोई वजह नहीं रह जाएगी कि वह चीन के खिलाफ खड़ा हो.
चीनी टेलिकॉम कंपनी को लेकर छह महीने पहले ब्रिटेन सरकार का रुख बिल्कुल अलग था. ब्रिटेन का ये फैसला अमेरिका के लिए कूटनीतिक जीत की तरह है. अमेरिका ब्रिटेन को चीनी कंपनी को अपने 5जी नेटवर्क से ब्लॉक करने के लिए काफी पहले से कह रहा है. अमेरिका ने मई महीने में चीनी कंपनी हुवेई पर प्रतिबंध थोपे तो ब्रिटेन को भी अपना रुख बदलना पड़ा. कई और देश भी अब इस राह पर आगे बढ़ सकते हैं.
ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ब्रायन चीन पर यूरोपीय समकक्षों से चर्चा के लिए पैरिस पहुंचे हैं. उन्होंने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ये कदम दिखाता है कि पूरी दुनिया में इस बात को लेकर सहमति बन रही है कि हुवेई समेत कई कंपनियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है क्योंकि उनकी प्रतिबद्धताएं चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए हैं.
हालांकि, ब्रिटेन के इस कदम से चीन के साथ उसके संबंधों को नुकसान पहुंचना तय है. चीन ने चेतावनी दी है कि अगर ब्रिटेन उसके साथ दुश्मन की तरह बर्ताव करता है तो उसे इसके नतीजे भुगतने होंगे. हॉन्ग कॉन्ग मुद्दे पर भी ब्रिटेन ने चीन का विरोध किया है और वहां के तमाम पीड़ित लोगों को अपने यहां की नागरिकता देने का ऐलान किया है. ब्रिटेन के इस कदम को लेकर भी चीन खफा है.
ब्रिटेन की सरकार के मुताबिक, ऑपरेटरों को इस बैन से करीब 2.5 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसके साथ ही 5जी नेटवर्क की योजना में दो से तीन साल की देरी होगी.
2019 में ट्रंप प्रशासन ने हुवेई को बैन करने के लिए काफी लॉबीइंग की. हालांकि, जनवरी में इन कोशिशों पर पानी फिरता दिखा जब ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि वह सिर्फ चीनी कंपनी से तकनीक आपूर्ति की मात्रा को नियंत्रित करेंगे. लेकिन ट्रंप ने मई महीने में हुवेई के अमेरिकी तकनीक इस्तेमाल करने वाली माइक्रोचिप्स बेचने पर बैन लगा दिया. इससे ब्रिटेन के अधिकारी भी अपने फैसले पर विचार करने पर मजबूर हो गए.
ब्रिटेन के इस कदम के बाद अब कनाडा भी अपने 5जी नेटवर्क से चीनी कंपनी को बाहर कर सकता है. सबकी नजरें जर्मनी पर भी हैं जहां चीनी कंपनी के खिलाफ कानून लाने का दबाव बढ़ता जा रहा है.
चीनी कंपनी हुवेई ने ब्लूमबर्ग से कहा है कि वह इस बैन से निराश है और ब्रिटेन से अपने फैसले पर दोबारा विचार करने की अपील की है. कंपनी की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया है, हुवेई के वैश्विक राजस्व में ब्रिटेन की हिस्सेदारी सिर्फ एक फीसदी है लेकिन उसके इस फैसले से उससे जुड़े देशों या उससे भी ज्यादा बड़े दायरे में असर पड़ेगा.