उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली जिले में स्थित ‘फूलों की घाटी’ या Valley of Flowers (वैली ऑफ फ्लावर) भारत के सबसे खूबसूरत प्राकृतिक स्थलों में से एक मानी जाती है. यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल यह घाटी अपने रंग-बिरंगे फूलों, दुर्लभ वनस्पतियों और मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है. समुद्र तल से लगभग 3,600 मीटर की ऊंचाई पर फैली यह घाटी हर साल मानसून के मौसम में एक जीवंत फूलों की चादर ओढ़ लेती है.
घाटी में लगभग 300 से अधिक प्रजातियों के फूल पाए जाते हैं, जिनमें ब्रह्मकमल, ब्लू पॉपी, हिमालयन बेल, पर्पल प्रिमरोज और ओरकिड जैसी दुर्लभ किस्में शामिल हैं. जुलाई से सितंबर के बीच जब यह फूल पूरी तरह खिलते हैं, तब घाटी का दृश्य किसी चित्र की तरह जीवंत नजर आता है. यही वजह है कि दुनिया भर से ट्रेकर्स, प्रकृति प्रेमी और फोटोग्राफर यहां की सुंदरता को देखने के लिए आते हैं.
फूलों की घाटी तक पहुंचने के लिए गोविंदघाट से घांघरिया तक का ट्रेक सबसे अहम माना जाता है. यह ट्रेक करीब 13 किलोमीटर का होता है और घने जंगलों, झरनों और पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरता है. रास्ते भर हिमालय की ऊंची चोटियां जैसे नंदा देवी और घुनसाल पीक यात्रियों का मन मोह लेती हैं. ट्रेकिंग के दौरान साफ हवा और शांत वातावरण एक अनोखा आध्यात्मिक अनुभव कराते हैं.
यह क्षेत्र न केवल फूलों के लिए, बल्कि हिमालयी जीव-जंतुओं के लिए भी जाना जाता है. यहां कस्तूरी मृग, हिमालयन मोनाल, ब्लू शीप और भालू जैसी दुर्लभ प्रजातियां भी देखी जा सकती हैं. घाटी का पूरा क्षेत्र संरक्षित है, इसलिए पर्यटकों से प्रकृति को संजोकर रखने की अपील की जाती है.