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वराहगिरी वेंकट गिरि

वराहगिरी वेंकट गिरि

वराहगिरी वेंकट गिरि

वराहगिरी वेंकट गिरि (V V Giri) भारत के एक प्रमुख राजनेता, श्रमिक नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे. वह भारत के चौथे राष्ट्रपति बने और भारतीय राजनीति में अपने योगदान के लिए सदैव स्मरणीय रहेंगे. उनका जीवन सादगी, संघर्ष और सेवा का प्रतीक रहा है.

वराहगिरी वेंकट गिरि का जन्म 10 अगस्त 1894 को तत्कालीन मद्रास प्रेसिडेंसी (अब आंध्र प्रदेश) के ब्रह्मपुर शहर में हुआ था. उनके पिता वेंकट कृष्णैया भी स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय थे, जिससे गिरि जी को देशभक्ति की प्रेरणा बचपन से ही मिली.

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ब्रह्मपुर में प्राप्त की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए डबलिन, आयरलैंड चले गए, जहां उन्होंने कानून की पढ़ाई की. वहीं रहते हुए वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए और 'Home Rule' आंदोलन में सक्रिय भाग लिया.

भारत लौटने के बाद गिरि जी ने न केवल कानून के क्षेत्र में कार्य किया बल्कि मजदूरों और श्रमिकों के अधिकारों के लिए एक प्रभावशाली आवाज भी बने. वे ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) के अध्यक्ष रहे और उन्होंने श्रमिकों की स्थिति सुधारने के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया.

ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया, परंतु उनके साहस और प्रतिबद्धता में कोई कमी नहीं आई. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद गिरि जी का राजनीतिक जीवन नई ऊंचाइयों पर पहुंचा. वे कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. वे मद्रास विधानसभा के सदस्य, भारत सरकार में श्रम मंत्री (1952–54), केरल, उत्तर प्रदेश और मैसूर (अब कर्नाटक) के राज्यपाल, 1957 में वे भारत के उपराष्ट्रपति बनाए गए और 1969 में उन्होंने भारत के राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा.

वी. वी. गिरि 24 अगस्त 1969 को भारत के राष्ट्रपति बनाए गए. वे एकमात्र राष्ट्रपति थे जो स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए थे. उनका कार्यकाल (1969-1974) एक राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण समय था, जब इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी दो भागों में विभाजित हुई थी.

गिरि जी ने हमेशा संविधान की मर्यादा बनाए रखी और राष्ट्रहित को सर्वोपरि माना.

1975 में, भारत सरकार ने उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया. उनका जीवन भारत के लोकतंत्र, श्रमिक हितों और सामाजिक न्याय के लिए समर्पित रहा.

वराहगिरी वेंकट गिरि का निधन 24 जून 1980 को हुआ. उनका योगदान भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है.

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वराहगिरी वेंकट गिरि न्यूज़

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