दूरबीन
दूरबीन (Telescope) एक ऑप्टिकल इंस्ट्रूमेंट है जिसका प्रयोग दूर स्थित वस्तुओं को देखने के लिये किया जाता है. आमतौर पर दूरबीन से लोग ऑप्टिकल टेलिस्कोप का अर्थ लगाते हैं, लेकिन यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडियेशन को भी रिफ्लेक्ट करने में सक्षम होते हैं.
दूरबीन तीन तरह के होते हैं: पहला प्रकाशीय दूरबीन (Optical Telescope), जिसमें अपवर्ती (Refracting) और परावर्ती (Reflecting) दूरबीन शामिल होते हैं, दूसरा, एक्स-रे दूरबीन (X-Ray Telescope) और तीसरा, रेडियो दूरबीन (Radio Telescope) इसके उदाहरण हैं. आमतौर पर दूरबीन उस ऑप्टिकल सिस्टम (optical system) को कहते हैं जिससे देखने पर दूर की वस्तुएं बड़े आकार की और स्पष्ट दिखाई देती हैं, या जिसकी सहायता से दूर की वस्तुओं के सामान्य और वर्णक्रमचित्र (spectrograms) प्राप्त किए जाते हैं. दूर की वस्तुओं की जानकारी हासिल करने के लिए अब रेडियो तरंगों का भी इस्तेमाल किया जाने लगा है. इस तरह के यंत्र को रेडियो दूरबीन (radio telescope) कहा जाता है (Types of Telescope).
दूरबीन का आविष्कार नीदरलैंड्स के हैंस लिपरहे 1609 में किया था (Hans Lipperhey). बाद में, गैलिलिओ, केपलर, हाइगेंज़, ब्रैडले, ग्रेगरी और न्यूटन आदि ने दूरबीन का विकास एक व्यवस्थित यंत्र के रूप में किया (History of Telescope).
कुछ मशहूर दूरबीनों में हबल अंतरिक्ष दूरबीन और जेम्स वेब दूरबीन खास हैं. इनके अलावा, यरकिज दूरबीन, माउंट विलसन के दूरबीन को भी खगोल विज्ञान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है (Famous Telescopes).
दूरबीन के आविष्कार ने मनुष्य की सीमित दृष्टि को काफी विस्तृत बना दिया है. इसकी सहायता से खगोलविदों ने दुनिया के उन रहस्यमय खगोलिय पिंडों के बारे में जानकारियां जुटाई हैं जिन्हें सर्पिल नीहारिकाएं (spiral nebulae) कहा जाता है. ये नीहारिकाएं पृथ्वी से करोड़ों प्रकाशवर्ष की दूरी पर हैं. आधुनिक खगोलशास्त्र (astronomy) और खगोलभौतिकी (astrophysics) के विकास में दूरबीन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. इसने मनुष्य की दृष्टि को विस्तृत बनाने के साथ उसे उन भौतिक तथ्यों और नियमों को समझने में सहायता भी दी है जो भौतिक विश्व के संतुलन (dynamic equilibirium) के आधार हैं.