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शारदा पीठ

शारदा पीठ

शारदा पीठ

शारदा पीठ (Sharda Peeth) कश्मीर (Kashmir) का एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है, जिसे भारतीय संस्कृति में ज्ञान, बुद्धि और आध्यात्मिक शक्ति के प्रतीक के रूप में माना जाता है. यह मंदिर मां शारदा को समर्पित है, जिन्हें विद्या, कला और साहित्य की देवी के रूप में पूजा जाता है. वर्तमान समय में यह स्थान पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर (POK) के नीलम वैली क्षेत्र में स्थित है. एक समय यह भारत के प्रमुख शिक्षा केंद्रों में से एक था, जहां दूर-दूर से विद्वान अध्ययन के लिए पहुंचते थे.

इतिहासकार बताते हैं कि शारदा पीठ की स्थापना लगभग 6वीं से 8वीं शताब्दी के बीच मानी जाती है. इसे “शारदा विश्वविद्यालय” भी कहा जाता था, क्योंकि यहां वेद, वेदांग, दर्शन, ज्योतिष और व्याकरण का गहन अध्ययन कराया जाता था. कैलाश, काशी और कांचीपुरम के साथ यह भारत के चार प्रमुख शिक्षा केंद्रों में गिना जाता था. कश्मीर की शैव और शाक्त परंपराओं में शारदा पीठ का विशेष महत्व है और इसी के आधार पर कश्मीर को “शारदा देश” भी कहा गया.

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, यहां स्थापित शारदा देवी की मूर्ति स्वर्ण से बनी थी, जिसे बाद में हुए आक्रमणों के दौरान क्षतिग्रस्त कर दिया गया. आज मंदिर का मूल ढांचा खंडहर रूप में मौजूद है, लेकिन इसकी आध्यात्मिक गरिमा और सांस्कृतिक महत्ता आज भी उतनी ही प्रभावशाली है. भारत के कई संत और विद्वान, जैसे आदि शंकराचार्य, यहां दर्शन करने आए थे. माना जाता है कि यहीं उन्हें शारदा देवी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ और उन्होंने शारदा पीठ को ज्ञान का सर्वोच्च केंद्र घोषित किया.

हाल के वर्षों में भारत में शारदा पीठ कॉरिडोर खोलने की मांग भी उठी है, ताकि श्रद्धालु एक बार फिर इस पवित्र स्थान के दर्शन कर सकें. भले ही मंदिर अब सीमा के उस पार है, लेकिन भारतीय सभ्यता और कश्मीरी विरासत में इसकी चमक आज भी अमर है.

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