देशद्रोह
देशद्रोह (Sedition) एक खुला आचरण होता है, जैसे भाषण और संगठन, जो स्थापित आदेश के खिलाफ विद्रोह करता है. देशद्रोह में अक्सर एक संविधान की तोड़फोड़ और स्थापित सत्ता के प्रति असंतोष या विद्रोह को उकसाना शामिल होता है. देशद्रोह में कोई भी हंगामा शामिल हो सकता है, हालांकि इसका उद्देश्य कानूनों के खिलाफ प्रत्यक्ष और खुली हिंसा नहीं है (what is Sedition).
भारत में अब तक कई लोगों के खिलाफ देशद्रोह का आरोप लगाया जा चुका है उनमें 2003 में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के महासचिव, प्रवीण तोगड़िया (Praveen Togadia) पर कथित तौर पर राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में भाग लेने के लिए देशद्रोह का आरोप लगाने की मांग की गई थी. 2010 में, लेखिका अरुंधति रॉय (Arundhati Roy) पर कश्मीर और माओवादियों पर उनकी टिप्पणियों के लिए राजद्रोह का आरोप लगाया गया था. 2007 से दो व्यक्तियों पर... और पढ़ें
बीते साल जून में एक मलयालम समाचार चैनल पर प्रफुल कोड़ा पटेल द्वारा लागू की गई लक्षद्वीप में नीतियों पर चर्चा के दौरान उन्होंने विवादित बयान दिया था. बहस के दौरान उन्होंने कहा था केंद्र ने यहां बायो वीपन तैनात किया है.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद कावारत्ती (Kavaratti) पुलिस अब मॉडल आयशा के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाएगी. आयशा सुल्ताना के खिलाफ बीजेपी के लक्षद्वीप यूनिट के चीफ अब्दुल खादर हाजी के मामला दर्ज कराया था.
हार्दिक पटेल साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हुए और तेजी से सियासत की सीढ़ियां चढ़ते चले गए. पार्टी ने उन्हें 2020 में प्रदेश इकाई का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया. हार्दिक ने बीजेपी के विरोध की बुनियाद पर अपने सियासी सफर का आगाज किया था.
शरजील इमाम पर सीएए के विरोध प्रदर्शन के दौरान दिए गए भाषणों में देशद्रोह की धारा लगाई गई है. सुप्रीम कोर्ट के देशद्रोह मामले में रोक लगाने के बाद शरजील ने दिल्ली हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी.
Sedition Law: 124A के तहत इस वक्त बहुत से मामले हैं जो देश में काफी वक्त से लंबित हैं. इस बीच ये सवाल उठता है कि अगर वाकई कोई बदलाव होता है या कोई विचार होता है या फिर सुप्रेमम कोर्ट कुछ भी बदलाव करने को रतैयार होता है तो जिन लोगों पर पहले से ही कार्रवाई चल रही है उन मामलों का क्या होगा। ये हस्तियों पर चल रहे हैं इनमें ओवैसी का नाम भी शामिल है. बता दें कि राजद्रोह: प्रवीण तोगड़िया से लेकर ओवैसी तक पर केस, SC के फैसले के बाद क्या होगा? जानने के लिए देखें ये वीडियो.
Sedition Laws: भारतीय दण्ड संहिता यानी इंडियन पीनल कोड यानी IPC की धारा 124 ए के तहत Sedition मतलब राजद्रोह का केस दर्ज होता है. सरकारें आती जाती रहती हैं लेकिन जब आरोप प्रत्यारोप की बातें आती है तो कहीं न कहीं ये आरोप भी लगते रहे हैं कि किसके राज में सबसे ज्यादा राजद्रोह कानून का इस्तेमाल हुआ है. 2010 से 2020 के आंकड़ों की बात करें तो इस लिस्ट में सबसे ऊपर बिहार का नाम आता है. देखें ये वीडियो.
Sedition Law Difference: राजद्रोह और देशद्रोह हमेशा से ही एक बड़ा मुद्दा रहा है. लोगों को कभी समझ नहीं आया की इनमें फर्क क्या है. सवाल यही उठता है कि आखिर राजद्रोह या देशद्रोह दोनों एक ही चीज़ हैं, क्या एक ही सिक्के के दो पहलू हैं या इन दोनों ही क़ानून का वजूद और दोनों की हैसियत एक दूसरे से अलग है? इन दोनों क़ानून को लेकर बहस करने वालों में से भी ज़्यादातर को इन दोनों क़ानून का फ़र्क़ ही नहीं मालूम और इसी बात को लेकर बहस और राजनीति दोनों गर्माई हुई रहती है. देखें वीडियो.
अंग्रेजों के जमाने का राजद्रोह कानून कुछ दिनों से चर्चा में है. राजद्रोह को अपराध बनाने वाली आईपीसी की धारा 124A की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. इन याचिकाओं पर सरकार के जवाब से असंतुष्ट सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक कानून की समीक्षा नहीं हो जाती, तब तक इसका इस्तेमाल नहीं हो सकेगा. देशद्रोह क्या है? राजद्रोह की परिभाशा क्या है? इस ही विषय पर श्वेता सिंह के साथ देखें देशद्रोह कानून पर 'श्वेतपत्र'.
तीन ताल के 83वें एपिसोड में कमलेश 'ताऊ', पाणिनि ‘बाबा’ और कुलदीप ‘सरदार' से सुनिए: -जब बाबा को सरदार ने फोन चलाने पर टोका. अस्वस्थता के बावजूद 'ऐतिहासिक' एपिसोड में शामिल हुए बाबा और ताऊ. -शिशु अवतार में भारत की जनता. ताऊ ने क्यों किया भारतीय जनमानस के साहस का सम्मान. -बाबा ने क्यों ताजमहल को गिराने की वक़ालत की. औरंगजेब की जल्दबाजी और ज्ञानवापी पर 'साइनबोर्ड' का आइडिया. -रुपये और लोगों के गिरने में अंतर. ताऊ और बाबा ने कभी गिरा हुआ रुपया क्यों नहीं उठाया? गिरना क्यों आवश्यक है. क्या गिरना हमारे नियंत्रण में है? गिरने और फिसलने का फ़र्क़. -बिज़ार ख़बर में अंडरवियर में घूमते दीवान साहब की बात और उनसे सहानुभूति. क्यों मोबाइल कराएगा अगला पार्टिशन. -और आख़िर में तीन तालियों की चिट्ठियाँ. -पंडित शिव कुमार शर्मा के संगीत और संतूर पर बाबा और सरदार की बातचीत यहां सुनें. (22:47 मिनट से) https://podcasts.aajtak.in/news-current-affairs/din-bhar/why-government-want-sedition-law-discussion-in-parliament-1461261-2022-05-10 प्रड्यूसर - कुमार केशव साउंड मिक्सिंग - अमृत रजी
बीजेपी नेता राम कदम ने कहा, महाराष्ट्र सरकार को लोगों की आवाज दबाने और उन पर देशद्रोह के आरोप लगाने का शौक है. अगर वो इतने साहसी हैं तो उन्हें अकबरुद्दीन ओवैसी पर राजद्रोह का मुकदमा चलाना चाहिए.
राजद्रोह कानून के तहत जेल में बंद शरजील इमाम ने दिल्ली हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की है. शरजील इमाम की ओर से दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट की ओर से राजद्रोह कानून पर रोक लगाए जाने का भी हवाला दिया गया है.
आईपीसी (IPC) की धारा 124ए (Section 124A) का संबंध राजद्रोह (Sedition) से है. ये धारा इसके लिए प्रावधान बताती है. आइए जानते हैं कि आईपीसी की धारा 124ए इस बारे में क्या कहती है?
Sedition Law News: देश में आईटीए एक्ट 66A को खत्म किया गया लेकिन फिर भी एक साल तक इसी कानून के तहत केस दर्ज होते रहे. ये बात पहले इसलिए बतानी पड़ी क्योंकि आज सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह के कानून को होल्ड पर डालने की बात कही. लेकिन क्या अब फिर कहीं कोई राजद्रोह का केस तब तक दर्ज नहीं होगा, जब तक केंद्र सरकार की तरफ से इस कानून पर पुनर्विचार करके अपनी बात पूरी नहीं रखी जाती. क्या आईपीसी की धारा 124 ए को लेकर सुप्रीम कोर्ट से आई लक्ष्मणरेखा का पालन होगा? इस वीडियो में देखें कार्टून बनाने से लेकर ट्रेन लेट करवाने तक पर लग चुके हैं राजद्रोह का केस.
धारा 124 ए हमेशा से ही विवादित रही है. खासतौर से इसके राजनीतिक इस्तेमाल के आरोपों को लेकर लेकिन इस धारा के इस्तेमाल को लेकर समय-समय पर अदालतें और लॉ कमीशन एडवाइजरी जारी करते रहे हैं. लॉ कमीशन ने वर्ष 2018 में ऐसी ही एक एडवाइजरी जारी की थी जिसमें कहा गया था कि धारा 124 ए सिर्फ उन मामलों में लागू होनी चाहिए जहां किसी भी कार्य के पीछे की मंशा हिंसा और अवैध साधनों से सरकार को उखाड़ फेंकने की है. लॉ कमीशन ने कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के हर गैर जिम्मेदाराना इस्तेमाल को राजद्रोह नहीं कहा जा सकता. देखें वीडियो.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को राजद्रोह कानून पर एडवाइजरी जारी की है. केंद्र सरकार ने कहा कि राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट के विनोद दुआ बनाम भारत सरकार के फैसले का पालन होना चाहिए.
कितने लाख रुपए निकालने और जमा करने पर देना होगा पैन और आधार नंबर? रेलवे ने 19 बड़े ऑफिसर को क्यों किया जबरन रिटायर और राष्ट्र के नाम संबोधन में श्रीलंका के राष्ट्रपति ने क्या अपील की? सुनिए 'आज के अख़बार' में खुशबू और अमन गुप्ता के साथ.
राजद्रोह कानून को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं. 2014 में एनडीए की सरकार बनने के बाद यह लगातार चर्चा में रहा. इतना ही नहीं मोदी सरकार पर विपक्ष इसका गलत इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाता रहा है. यहां तक सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में राजद्रोह कानून के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा था, ये एक औपनिवेशिक कानून है. ये स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने के लिए था.
देशद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को फिर सुनवाई की गई. जिसमें सरकार ने कोर्ट को बताया कि जब तक देशद्रोह क़ानून पर पुनर्विचार होगा, तब तक कुछ उपाय किए जा सकते हैं. सरकार ने इस सम्बंध में कुछ उपाय का मसौदा बनाया भी है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हालांकि संज्ञेय अपराध के मामले में FIR दर्ज करने से हम रोक नहीं सकते हैं, लेकिन देशद्रोह कानून दर्ज करने के लिए SP रैंक के अधिकारी की इजाजत लेनी होगी. देशद्रोह के अनगिनत मामले अदालतों के सामने लंबित हैं इसलिए इसमें अदालतों को ही तय करना होगा. इन धाराओं से जुड़े मामलों में जमानत की अर्जी पर शीघ्र सुनवाई का प्रावधान होगा. लेकिन इन सबके बीच सवाल ये है कि राजद्रोह कानून आखिर है क्या? कितनी सजा होती है? जानिए हर डिटेल.
एमएनएस नेता बाला नांदगांवकर ने बुधवार को महाराष्ट्र के गृहमंत्री दिलीप वलसे-पाटिल से मुलाकात की. नांदगावकर इससे पहले मुंबई पुलिस कमिश्नर संजय पांडे से मिले. नांदगांवकर के मुताबिक उन्हें एक धमकी भरी चिठ्ठी मिली है जिसमें मस्जिदों में लाउडस्पीकर का मुद्दा उठाने के लिए उन्हें और एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे को जान से मारने की धमकी दी गई है. नांदगांवकर ने कहा कि अगर राज ठाकरे को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई तो उसके नतीजे बहुत बुरे होंगे. उधर सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह के मामलों पर साफ कर दिया है कि जब तक समीक्षा नहीं हो जाती. राजद्रोह मामले में कोई नया केस दर्ज नहीं होगा. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि रोजद्रोह के केस में जेल में बंद आरोपी अब जमानत याचिका लगा सकते हैं. देखें मुंबई मेट्रो.
देश में 2014 से 2019 के दौरान धारा 124 ए के तहत राजद्रोह के 326 केस दर्ज किए गए थे. इस संबंध में 559 लोग गिरफ्तार किए गए थे वहीं 141 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई थी लेकिन इन 6 सालों में अदालत ने सिर्फ 6 आरोपियों को ही दोषी माना था.
अंग्रेजों के ज़माने का राजद्रोह कानून जो पिछले 75 साल से नहीं बदला, क्या वो अब बदलेगा? सत्ता बदली, कई प्रधानमंत्री बदले लेकिन नहीं बदला तो राजद्रोह का ये कानून. वो कानून जिसे भारत की आज़ादी के आंदोलन को कुचलने के लिए लाया गया था वो धीरे-धीरे सत्ता का हथियार बन गया. अब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि अंग्रेजों के ज़माने के कानून का आज़ाद भारत में क्या काम है. इस पर केंद्र सरकार की अपनी दलील है और विपक्ष के तीखे आरोप सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद अब सरकार भी ये मान रही है कि राजद्रोह के कानून को बदलने का समय आ गया है इसलिए इस कानून में बदलाव पर विचार किया जा रहा है. कानून मंत्री किरन रिजिजू अब राजद्रोह कानून में बदलाव का समर्थन कर रहे हैं हालांकि इससे पहले केंद्र सरकार ने राजद्रोह कानून को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट से इस कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने का अनुरोध किया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट के सख़्त रुख के देखते हुए अब सरकार ने राजद्रोह कानून में बदलाव का मन बना लिया है. देखें पूरी खबर.