सचिन देव बर्मन (SD Burman), जिन्हें आमतौर पर एसडी बर्मन के नाम से जाना जाता है, भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक प्रतिष्ठित संगीत निर्देशक और गायक थे. उन्होंने न केवल हिंदी बल्कि बांग्ला सिनेमा में भी संगीत की अमिट छाप छोड़ी. उनके संगीत में लोकगीतों की मिठास, शास्त्रीय संगीत की गहराई और आधुनिक ध्वनियों की ताजगी देखने को मिलती है.
एसडी बर्मन का जन्म 1 अक्टूबर 1906 को त्रिपुरा के राजघराने में हुआ था. उनके पिता नबद्वीपचंद्र देवबर्मन त्रिपुरा राज्य के राजकुमार थे. बर्मन जी को संगीत का पहला प्रशिक्षण उनके पिता से ही मिला. बाद में उन्होंने शास्त्रीय संगीत की विधिवत शिक्षा उस्ताद बड़े गुलाम अली खां और विष्णु दिगंबर पलुस्कर जैसे महान उस्तादों से ली.
बर्मन ने अपने करियर की शुरुआत बांग्ला फिल्मों में संगीत निर्देशन से की. हिंदी फिल्मों में उन्होंने 1944 में 'शिकारी' फिल्म से कदम रखा, लेकिन उन्हें असली पहचान 1950 के दशक में मिली. उन्होंने देव आनंद, गुरुदत्त, विजय आनंद, और राजेश खन्ना जैसे दिग्गजों के साथ काम किया और सिनेमा को सदाबहार गीत दिए.
एसडी बर्मन की संगीत शैली बेहद विविध और अनूठी थी. वे अक्सर बंगाल और पूर्वोत्तर भारत के लोकगीतों को आधार बनाकर अपनी धुनें बनाते थे. उनके संगीत में आपको बाउल, भटियाली, भजन, गजल, और कभी-कभी पश्चिमी धुनों का सुंदर मिश्रण भी देखने को मिलता है.
उन्होंने लता मंगेशकर, आशा भोसले, मोहम्मद रफी, और किशोर कुमार जैसे गायकों के साथ अमर गीत रचे. किशोर कुमार को मुख्यधारा में लाने में एसडी बर्मन का बड़ा योगदान था.
एसडी बर्मन को उनके संगीत योगदान के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया, जिनमें फिल्मफेयर अवॉर्ड – सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 1974 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.
31 अक्टूबर 1975 को एसडी बर्मन का निधन हो गया. उनके बेटे आरडी बर्मन भी भारतीय फिल्म संगीत के एक महान संगीतकार बने.
एस डी बर्मन को फुटबॉल, पान और किशोर कुमार की कंपनी से लगाव था और उन्होंने अपने बेटे की प्रतिभा को बचपन से ही पहचान लिया था. यही कारण था कि आर डी को बचपन से ही संगीत की ट्रेनिंग मिली थी.
एसडी बर्मन फिल्म इंडस्ट्री के एक्सपेरिमेंटल म्यूजिक डायरेक्टर के रूप में शुमार थे. उन्होंने अपने हुनर से लोगों के दिल में खास जगह बनाई थी. आज भी लोग उनके गीत-संगीत के दीवाने हैं.