रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्ट (Robert Prevost), जिन्हें अब पोप लियो XIV के नाम से जाना जाता है, 8 मई 2025 को कैथोलिक चर्च के 267वें पोप के रूप में चुने गए. वे इस पद तक पहुंचने वाले पहले अमेरिकी और ऑर्डर ऑफ सेंट ऑगस्टीन के पहले सदस्य हैं. उनका जीवन एक समर्पित मिशनरी, शिक्षाविद और सुधारक के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने अमेरिका और लैटिन अमेरिका दोनों में गहरी छाप छोड़ी है.
रॉबर्ट प्रीवोस्ट का जन्म 14 सितंबर 1955 को शिकागो, इलिनॉय में हुआ था. उनके पिता, लुईस मारीयस प्रीवोस्ट, फ्रांसीसी और इतालवी मूल के थे, जबकि उनकी मां, मिल्ड्रेड मार्टिनेज, स्पेनिश मूल की थीं. प्रीवोस्ट ने सेंट ऑगस्टीन सेमिनरी हाई स्कूल से शिक्षा प्राप्त की और फिर विलानोवा विश्वविद्यालय से गणित में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद, उन्होंने कैथोलिक थियोलॉजिकल यूनियन से धर्मशास्त्र में मास्टर डिग्री और रोम के पोन्शिफिकल यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट थॉमस एक्विनास से कैनन लॉ में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की.
प्रीवोस्ट ने 1985 में पेरू में ऑगस्टिनियन मिशन में सेवा शुरू की. उन्होंने चुलुकानास के टेरिटोरियल प्रीलेट के चांसलर के रूप में कार्य किया और बाद में ट्रुजिलो में ऑगस्टिनियन सेमिनरी के प्रमुख बने. पेरू में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने गरीब और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के साथ काम किया और पेरू की नागरिकता प्राप्त की. 2015 में, उन्हें चिकलायो के बिशप के रूप में नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने 2023 तक सेवा की.
पोप फ्रांसिस ने 2023 में प्रीवोस्ट को बिशपों की नियुक्ति के लिए जिम्मेदार डिकास्टरी फॉर बिशप्स का प्रमुख नियुक्त किया. इस भूमिका में, उन्होंने वैश्विक स्तर पर बिशपों की नियुक्ति और निगरानी की. वे महिलाओं की भागीदारी, जलवायु परिवर्तन के खिलाफ कार्रवाई, और चर्च में समावेशिता जैसे मुद्दों पर पोप फ्रांसिस के सुधारों के समर्थक रहे हैं.
2025 में पोप फ्रांसिस के उत्तराधिकारी के रूप में, प्रीवोस्ट को पोप लियो XIV के रूप में चुना गया. उनका चुनाव अमेरिकी पोप के रूप में एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि पहले अमेरिकी पोप बनने की संभावना को लंबे समय तक भू-राजनीतिक कारणों से असंभव माना जाता था.