नीलम संजीव रेड्डी (Neelam Sanjiva Reddy) भारतीय राजनीति के एक ऐसे शिखर पुरुष थे जिन्होंने अपने सरल जीवन, स्पष्ट सोच और ईमानदारी से राजनीति में एक मिसाल कायम की. वे भारत के छठें राष्ट्रपति (1977-1982) बने और इस पद तक पहुंचने वाले पहले ऐसे व्यक्ति थे जो निर्विरोध चुने गए. उनका संपूर्ण राजनीतिक जीवन जनता की सेवा, लोकतांत्रिक मूल्यों और सादगी का प्रतीक रहा.
नीलम संजीव रेड्डी का जन्म 19 मई 1913 को ब्रिटिश भारत के मद्रास प्रेसीडेंसी (वर्तमान आंध्र प्रदेश) के अनंतपुर जिले में हुआ था. उनका पालन-पोषण एक कृषक परिवार में हुआ, और शिक्षा मद्रास तथा विशाखापट्टनम में प्राप्त की. युवा अवस्था में ही वे स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गए और महात्मा गांधी के विचारों से अत्यधिक प्रभावित हुए.
रेड्डी ने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई. वे कांग्रेस से जुड़े और कई आंदोलनों में भाग लिया. उन्हें अंग्रेजों द्वारा जेल भी भेजा गया. स्वतंत्रता के बाद वे आंध्र प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हुए और 1956 में आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने.
रेड्डी 1956-1960 और फिर 1962-1964 तक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. उनके कार्यकाल में राज्य के विकास और प्रशासन में सुधार के कई प्रयास किए गए.
वे 1967 से 1969 तक लोकसभा के अध्यक्ष भी रहे. इस दौरान उन्होंने सदन की गरिमा और निष्पक्षता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
1977 में जब जनता पार्टी सत्ता में आई, तो नीलम संजीव रेड्डी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया. राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल आपातकाल के बाद की संवेदनशील स्थिति में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा. उन्होंने अत्यंत सादगीपूर्ण जीवन जिया और राष्ट्रपति भवन में भी अत्यधिक औपचारिकता से दूर रहते हुए कार्य किया.
नीलम संजीव रेड्डी का निधन 1 जून 1996 को बेंगलुरु में हुआ.