नारदा स्टिंग ऑपरेशन
नारदा समाचार के संस्थापक और तहलका समाचार पत्रिका के पूर्व संपादक मैथ्यू सैमुअल ने पश्चिम बंगाल में नारदा स्टिंग ऑपरेशन चलाया था. यह स्टिंग ऑपरेशन 2014 में शुरू किया गया और 2016 तक चला था. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले निजी समाचार वेबसाइट नारदा न्यूज के माध्यम से मैथ्यू सैमुअल (Mathew Samuel) ने एक टेप जारी किया था.
इस स्टिंग ऑपरेशन के लिए, सैमुअल ने इम्पेक्स कंसल्टेंसी सॉल्यूशंस (Impex Consultancy Solutions) नाम की एक काल्पनिक कंपनी बनाई और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (AITC) यानी TMC के कई राजनेताओं और उच्च पदस्थ अधिकारियों से पैसे के बदले सहायता मांगने के लिए संपर्क किया. स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए 8 लाख रुपये का बजट आवंटित किया गया था. इस 52 घंटे के फुटेज में, मुकुल रॉय (Mukul Roy), सौगत रॉय (Saugata Roy), प्रसून बनर्जी (Prasun Banerjee), सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) सहित कई राजनेता, राज्य के मंत्री और पुलिस अधिकारी काल्पनिक कंपनी को अनौपचारिक लाभ देने के बदले कथित रूप से नकद रिश्वत लेते दिखाए गए (Narada Sting Operation).
नारदा मामले ने तब कानूनी मोड़ ले लिया जब पहली बार 17 जून 2016 को इसे कोलकाता पुलिस को सौंपा गया. बाद में इस मामले को आगे की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) (ED) को दिया गया था. ईडी ने समानांतर जांच की और भ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम के तहत सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का मामला दर्ज किया (Narada Case).
दूसरी ओर, राज्य सरकार ने भी अपनी जांच शुरू की और अंततः सैमुअल पर आईपीसी की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया, साथ ही, उन पर मानहानि, प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए जालसाजी और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया गया (Narada case Conspiracy)
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