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लोहित

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लोहित (Lohit), अरुणाचल प्रदेश राज्य का एक प्रशासनिक जिला है (District of Arunachal Pradesh). इसका जिला मुख्यालय तेजू (Tezu) में स्थित है. पापुम पारे और चांगलांग के बाद 2011 तक यह अरुणाचल प्रदेश का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला जिला है. इसे पहले मिश्मी हिल्स के नाम से जाना जाता था. जिले का नाम लोहित नदी (Lohit River) के नाम पर रखा गया है और इसमें उत्तर और दक्षिण में नदी घाटी और पहाड़ शामिल हैं.

अरुणाचल प्रदेश के लोहित को विभाजित कर कई नए जिले बनाए गए. जून 1980 में, दिबांग घाटी जिले को लोहित से अलग कर दिया गया था. फिर निचली दिबांग घाटी जिला बनाने के लिए इसे फिर से विभाजित किया गया. 16 फरवरी 2004 को, अंजाव जिले को लोहित जिले के उत्तरी भाग से अलग कर बनाया गया. इसी तरह 2013 में नमसाई को लोहित से अलग कर नया जिला बनाया गया था (Lohit District).

लोहित जिले में चार अरुणाचल प्रदेश विधानसभा क्षेत्र स्थित हैं- तेजू, वाकरो और सुनपुरा. ये सभी अरुणाचल पूर्व लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हैं (Lohit Constituency).

2011 की जनगणना के अनुसार तत्कालीन लोहित जिले की जनसंख्या 145,726 है (Lohit Population). जिले का जनसंख्या घनत्व 28 निवासी प्रति वर्ग किलोमीटर है (Lohit Density) और साक्षरता दर 69.88 फीसदी है (Lohit Literacy). यहां की 28.19 फीसदी आबादी नेपाली बोलती है,  24.02 फीसदी मिश्मी बोलते हैं और 16.4 फीसदी आबादी हिंदी बोलती है (Lohit Languages).

1989 में यहां कमलांग वन्यजीव अभयारण्य बनाया गया, जिसका क्षेत्रफल 783 वर्ग किमी है. यहां कुछ लुप्तप्राय वनस्पतियां और जीव पाए जाते हैं. जेट्रोफा की खेती (Cultivation of Jatropha) के लिए यह जिला एक आदर्श स्थान है, जिसका उपयोग जैव-डीजल (Bio Diesel) बनाने के लिए किया जाता है (Lohit Flora and Fauna).

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