असम की राजधानी गुवाहाटी में स्थित कमाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है, जिसे तांत्रिक साधना, आध्यात्मिक ऊर्जा और रहस्यमय शक्तियों का केंद्र माना जाता है. यह मंदिर नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है, जहां से ब्रह्मपुत्र नदी और पूरे शहर का भव्य दृश्य दिखाई देता है. कमाख्या देवी को मातृशक्ति का प्रतीक माना जाता है, और यहां देवी के गर्भगृह में योनि रूप की पूजा की जाती है.
माना जाता है कि देवी सती के शरीर के 51 भागों में विभाजित होने पर उनका योनि अंग यहां गिरा था, जिसके कारण यह स्थान महाशक्तिपीठों में सर्वोपरि माना जाता है. मंदिर की वास्तुकला भी काफी आकर्षक है, जिसमें निलंबित गुंबद, शिखर और पत्थरों पर की गई सुंदर नक्काशी ध्यान खींचती है. वर्तमान संरचना 17वीं शताब्दी में कोच वंश के राजा नरेन्द्र नारायण ने पुनर्निर्मित करवाई थी.
कमाख्या मंदिर विशेष रूप से अपने वार्षिक अंबुबाची मेले के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है. यह मेला उस समय आयोजित होता है जब माना जाता है कि मां भगवती पृथ्वी के रूप में रजस्वला होती हैं. चार दिन चलने वाला यह मेला असम का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों साधक, श्रद्धालु और तांत्रिक शामिल होते हैं. यह तांत्रिक साधना और शक्तिपूजा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण अवसर माना जाता है.
मंदिर परिसर में 10 महाविद्याओं के अलग-अलग मंदिर भी स्थित हैं, जिनमें तारा, भुवनेश्वरी, त्रिपुरसुंदरी, भैरवी और धूमावती जैसे स्वरूपों की पूजा होती है. आसपास की पहाड़ियों और प्राकृतिक सुंदरता के कारण यह स्थान आध्यात्मिकता के साथ-साथ पर्यटन के लिए भी बेहद आकर्षक है.
कमाख्या मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि शक्ति, विश्वास, और रहस्य का ऐसा संगम है, जहां हर श्रद्धालु को एक अद्भुत शांति और ऊर्जा का अनुभव होता है.