हनुमान अष्टमी (Hanuman Ashtami) भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन अंजनि माता और केसरी नंदन हनुमान जी का जन्म हुआ था. उनके जन्म की तिथि को लेकर विभिन्न मान्यताएं हैं. अधिकांश स्थानों पर यह पर्व मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है.
हनुमान जी को असीम शक्ति, बुद्धि, भक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है. वे भगवान राम के अनन्य भक्त थे और रामायण के युद्ध में उनकी भूमिका अतुलनीय है. माना जाता है कि हनुमान अष्टमी पर विशेष पूजा, व्रत और पाठ करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं तथा साहस और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है. इस दिन श्रद्धालु हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंग बाण का पाठ करते हैं. कई भक्त उपवास रखते हैं और हनुमान मंदिरों में जाकर दीप और पूजा-अर्चना करते हैं.
हनुमान अष्टमी का आध्यात्मिक संदेश भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह पर्व हमें निस्वार्थ सेवा, विनम्रता और कर्तव्य-निष्ठा का मार्ग दिखाता है. हनुमान जी की जीवन गाथा यह सिखाती है कि कठिनाइयां चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, दृढ़ इच्छाशक्ति और परम विश्वास के बल पर उनका समाधान संभव है. उनकी भक्ति से यह प्रेरणा मिलती है कि अपने उद्देश्य के प्रति समर्पित रहना ही सच्ची सफलता का मार्ग है.