इस शहर का सही नाम गोवालपारा (Goalpara) है, लेकिन इसे आमतौर पर गोलपाड़ा भी लिखा और कहा जाता है. यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जिला एवं नगर है, जो ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है. यह गुवाहाटी से लगभग 130 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है और राज्य के महत्वपूर्ण प्रशासनिक व व्यापारिक केंद्रों में गिना जाता है. गोलपाड़ा जिला मेघालय की पहाड़ियों से सटा हुआ है, जिससे इसकी भौगोलिक संरचना में मैदानों के साथ-साथ पहाड़ी क्षेत्र भी शामिल हैं.
गोलपाड़ा का इतिहास प्राचीन कामरूप राज्य से जुड़ा माना जाता है. यह क्षेत्र विभिन्न राजवंशों के शासन में रहा है और यहां की संस्कृति पर बंगाली, असमिया, बोडो और राजबंशी समुदायों का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है. इसी कारण यहां भाषाई और सांस्कृतिक विविधता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है. असमिया और बंगाली यहां की प्रमुख भाषाएं हैं, जबकि बोडो और हिंदी भी बोली जाती हैं.
धार्मिक दृष्टि से गोलपाड़ा काफी महत्वपूर्ण है. यहां स्थित श्री सूर्य पहाड़ (Sri Surya Pahar) एक प्रसिद्ध पुरातात्विक और धार्मिक स्थल है, जहां हिंदू, बौद्ध और जैन परंपराओं के अवशेष एक साथ देखने को मिलते हैं. इसके अलावा पगलेखाटा, उरपद बील और ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे के प्राकृतिक दृश्य पर्यटकों को आकर्षित करते हैं.
गोलपाड़ा की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. धान, जूट, सरसों और सब्जियों की खेती यहां व्यापक रूप से होती है. इसके साथ ही मछली पालन और छोटे व्यापार भी लोगों की आजीविका के प्रमुख साधन हैं. जिला मुख्यालय होने के कारण यहां शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं धीरे-धीरे विकसित हो रही हैं.