सीमा सड़क संगठन (BRO) भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन एक वैधानिक निकाय है. बीआरओ भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों और मित्र पड़ोसी देशों में सड़क नेटवर्क का विकास और रखरखाव करता है. इसमें 19 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह सहित) और अफगानिस्तान, भूटान, म्यांमार, ताजिकिस्तान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में बुनियादी ढांचे के संचालन शामिल हैं. 2022 तक, बीआरओ ने 55,000 किलोमीटर से अधिक सड़कें, 44,000 मीटर से अधिक की कुल लंबाई वाले 450 से स्थायी पुल और रणनीतिक स्थानों पर 19 हवाई क्षेत्रों कर चुका है. बीआरओ को बर्फ हटाने जैसे कार्यों सहित इस बुनियादी ढांचे को बनाए रखने का भी काम सौंपा गया है. भारत की सीमाओं को सुरक्षित करने और देश के उत्तर और उत्तर-पूर्व राज्यों के दूरदराज के इलाकों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 7 मई 1960 को बीआरओ का गठन किया गया था.
सीमा सड़क इंजीनियरिंग सेवा (बीआरईएस) के अधिकारी और जनरल रिजर्व इंजीनियर फोर्स (जीआरईएफ) के कर्मी बीआरओ के मूल कैडर का निर्माण करते हैं. इसमें भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स, अधिकारी और सैनिक भी शामिल हैं. भारतीय सेना पायनियर कोर बीआरओ टास्क फोर्स से जुड़ी हुई हैं. बीआरओ को सशस्त्र बलों के युद्ध में शामिल होती है.
बीआरओ ने अटल सुरंग, अटल सेतु और कर्नल चेवांग रिनचेन सेतु जैसी कुछ परियोजनाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं. इसकी वजह पार्टी के नेता हैं. राज्य के विधानसभा चुनाव के बाद से अभी तक 6 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं.