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बिंदेश्वर पाठक

बिंदेश्वर पाठक

बिंदेश्वर पाठक

बिंदेश्वर पाठक (Bindeshwar Pathak) टॉयलेट क्रांति के जनक और सुलभ इंटरनेशनल (Sulabh International) के संस्थापक थें. उन्होंने 1970 में सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना की. संस्था का उद्देश्य खुले में शौच और अस्वच्छ सार्वजनिक शौचालयों को खत्म करना था.

15 अगस्त 2023 को कार्डियक अरेस्ट से दिल्ली के एम्स में उनका निधन हो गया. वे 80 साल के थे. पाठक ने स्वतंत्रता दिवस पर सुबह सुलभ इंटरनेशनल कार्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराया और उसके तुरंत बाद बेहोश होकर गिर गए. उन्हें तुरंत एम्स ले जाया गया, जहां डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया (Bindeshwar Pathak Died).

सुलभ इंटरनेशनल एक सामाजिक सेवा संगठन है, जो शिक्षा के जरिए मानव अधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता, वेस्ट मैनेजमेंट और सुधारों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi, PM) समेत अन्य नेताओं ने पाठक के निधन पर शोक जताया. 

बिंदेश्वर पाठक को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनको एनर्जी ग्लोब अवॉर्ड, बेस्ट प्रैक्टिस के लिए दुबई इंटरनेशनल अवॉर्ड, स्टॉकहोम वाटर प्राइज, पेरिस में फ्रांसीसी सीनेट से लीजेंड ऑफ प्लैनेट अवॉर्ड समेत अन्य पुरस्कार भी दिए गए थे. पोप जॉन पॉल द्वितीय ने 1992 में पर्यावरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सेंट फ्रांसिस पुरस्कार से डॉ. पाठक को सम्मानित किया था और कहा था, आप गरीबों की मदद कर रहे हैं (Bindeshwar Pathak Awards). 

बिंदेश्वर पाठक का जन्म बिहार (Bihar) के वैशाली जिले के रामपुर बाघेल गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था (Bindeshwar Pathak Born). उनके परिवार में पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा है (Bindeshwar Pathak Family).

कॉलेज और कुछ छोटी-मोटी नौकरियों के बाद वे 1968 में बिहार के गांधी शताब्दी समारोह समिति के भंगी-मुक्ति (मैला ढोनेवालों की मुक्ति) सेल में शामिल हो गए. उन्होंने देशभर की यात्रा की और अपनी पीएचडी थीसिस के हिस्से के रूप में हाथ से मैला ढोने वालों के पर अपना ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने तकनीकी नवाचार को मानवीय सिद्धांतों के साथ जोड़ते हुए सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की. 
 

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