रविवार को क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स में भारतीय महिलाओं के लिए इतिहास रचने का मौका है. महिला वर्ल्ड कप फाइनल में उसका मुकाबला उसी इंग्लैंड से होगा, जिसे वह अपने पहले ही लीग मुकाबले में हरा चुकी है.
2005 वर्ल्ड की उपविजेता भारतीय टीम की कप्तान मिताली राज एक बार फिर 2017 के फाइनल में जोर आजमाइश के लिए तैयार हैं. टीम इंडिया की स्पीड स्टर झूलन गोस्वामी ने भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2005 का वह फाइनल खेला था. लेकिन उस फाइनल में कई चूक की वजह से भारतीय टीम ट्रॉफी तक नहीं पहुंच पाई
10 अप्रैल 2005 को द. अफ्रीका के सेंचूरियन में खेले गए फाइनल में ऑस्ट्रेलियाई कप्तान बलिंडा क्लार्क ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी का फैसला किया. क्लार्क और लीसा नाइटले के विकेट 31 रन पर ही गिर गए थे. 71 रन पर तीसरा विकेट गिरा.
लेकिन करेन रॉल्टॉन के नाबाद 107 रन की पारी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने सम्माजनक स्कोर पा लिया. लिसा स्टैलकर ने अर्धशतकीय पारी खेली. कंगारू टीम ने 50 ओवर में 215/4 का स्कोर खड़ा किया. लेकिन लक्ष्य का पीछा करने उतरी मिताली ब्रिगेड ने लगातार अंतराल पर विकेट गंवाए. चार ही बल्लेबाज दोहरे अकों में पहुंच पाईं.
विकेट कीपर अंजू जैन ने 29 रन बनाए, जो भारतीय पारी का सर्वाधिक स्कोर रहा. अमिता शर्मा ने 22 रन बनाए. निचले क्रम में झूलन गोस्वामी (18 ) ने कुछ
संघर्ष जरूर किया. ऑस्ट्रेलिया के लिए कैथरिन फिट्जपैट्रिक और शेली
निट्सचेक ने 2-2 विकेट निकाले. जबकि भारत की चार खिलाड़ी रन आउट हो गईं.
117 रन पर पूरी टीम सिमट गई. ऑस्ट्रेलिया ने 98 रनों से वह फाइनल जीत लिया.
-टॉस हारकर गेंदबाजी करते हुए टीम इंडिया ने शुरुआती झटके जरूर दिए, लेकिन इसके बाद भारतीय गेंदबाज लय से भटक गईं.
-बल्लेबाजी बिखर गईं. विकेटों की बीच दौड़ने में कई चुक हुई, जिससे 4 खिलाड़ी रन आउट हुईं.
-ऊपरी क्रम में कोई भी बल्लेबाज टिककर साझेदारी में कामयाब नहीं हो पाईं. लगातार विकेट गिरने का क्रम जारी रहा.