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महाराष्ट्र: जब 24 घंटे में सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं तो 48 घंटे में जवाब क्यों नहीं दे सकता शिंदे कैंप- डिप्टी स्पीकर

डिप्टी स्पीकर  को हटाने का नोटिस तभी दिया जा सकता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो. इसलिए नोटिस संविधान के अनुच्छेद 179 (सी) के तहत कभी भी वैध नोटिस नहीं था.

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एकनाथ शिंदे  फाइल फोटो
एकनाथ शिंदे फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हटाने का नोटिस सत्र चलने के दौरान दे सकते हैं
  • नोटिस को रिकॉर्ड में नहीं लिया

महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर ने अयोग्यता कार्यवाही के खिलाफ एकनाथ शिंदे और बागी विधायकों द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मे जवाब दाखिल कर दिया है. डिप्टी स्पीकर नरहरि सीताराम जिरवाल ने जवाब दाखिल कर दिया.  डिप्टी स्पीकर ने कहा है कि यदि एकनाथ कैंप 24 घंटे में सर्वोच्च न्यायालय में जा सकता है, तो वे 48 घंटे में मेरे द्वारा जारी नोटिस का जवाब क्यों नहीं दे सकते. उप अध्यक्ष ने शिंदे खेमे की याचिका का विरोध किया. डिप्टी स्पीकर का कहना है कि असत्यापित ईमेल के जरिये 39 विधायकों के पार्टी छोड़ने का नोटिस मेरे पास आया था, इसलिए मैंने इसे अस्वीकार कर दिया.

कथित नोटिस एक ऐसे व्यक्ति की ईमेल आईडी से भेजा गया था, जो विधानसभा का सदस्य नहीं है और एक ऐसे व्यक्ति द्वारा दिया गया था, जो विधायक नहीं है. इसलिए डिप्टी स्पीकर ने प्रामाणिकता/सत्यता पर संदेह किया.  इसलिए, इसे रिकॉर्ड पर लेने से इनकार कर दिया गया.

नोटिस को रिकॉर्ड में नहीं लिया
डिप्टी स्पीकर ने कहा है कि उन्होंने उक्त मेल का जवाब देते हुए कहा था कि वह प्रस्ताव को अस्वीकार कर रहे हैं. और कथित नोटिस को रिकॉर्ड में लेने से इनकार करने की सूचना उसी ईमेल आईडी पर भेजी गई थी जिससे मुझे यह प्राप्त हुआ था. उन्होंने कहा, मैं यह समझने में विफल हूं कि याचिकाकर्ताओं ने इस तथ्य को सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान मे क्यों नहीं लाया.

हटाने का नोटिस सत्र चलने के दौरान दे सकते हैं
डिप्टी स्पीकर का कहना है कि उन्हें हटाने के लिए नोटिस केवल तभी दिया जा सकता है जब विधानसभा सत्र में हो. संविधान, संसदीय सम्मेलन और विधानसभा नियमों के प्रावधानों के तहत, डिप्टी स्पीकर  को हटाने का नोटिस तभी दिया जा सकता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा हो. इसलिए नोटिस संविधान के अनुच्छेद 179 (सी) के तहत कभी भी वैध नोटिस नहीं था.

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'एकनाथ कैंप ने मेरे नोटिस का जवाब क्यों नहीं दिया'
डिप्टी स्पीकर ने कहा, जब शिंदे गुट के लोगो ने 24 घंटे के भीतर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और मेरे द्वारा जारी नोटिस को चुनौती दी, तो मैं यह समझने में विफल रहा कि पहली बार में जवाब दाखिल करने के लिए 48 घंटे का नोटिस कैसे और क्यों अपने आप में अनुचित और उल्लंघन है.

 

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