दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की हार पर मंथन शुरू हो गया है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में दिल्ली प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर, प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी समेत कई नेताओं की बैठक हुई. इस बैठक में तय किया गया कि अगले दो-तीन दिनों में हार की समीक्षा की जाएगी और आखिर क्यों हुई हार? सवाल का जवाब ढूंढेंगे.
नतीजों से पहले बीजेपी ने दिल्ली में सरकार बनाने का दावा किया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 45 सीटों का दावा किया था, जबकि मनोज तिवारी ने एक ट्वीट करके कहा था कि हम 48 सीटें जीत रहे हैं. नतीजों के दिन भी बीजेपी ने दावा किया कि हम 55 सीटें तक जीत रहे हैं, लेकिन नतीजों में बीजेपी महज 8 सीटों पर सिमट गई.
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21 सालों से बीजेपी का वनवास
दिल्ली विधानसभा चुनाव में 21 साल बाद भी बीजेपी की झोली खाली रही. पार्टी के कई दिग्गज नेताओं ने धुआंधार प्रचार किया था, लेकिन वो बेअसर साबित हुआ. बीजेपी दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाई. दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने हार को स्वीकार करते हुए कहा कि वो पार्टी की इस नतीजे का विश्लेषण करेंगे.
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नहीं चला शाहीन बाग मुद्दा
दिल्ली की जनता ने शाहीन बाग के मुद्दे को सिरे से खारिज कर दिया है. अमित शाह ने इस चुनाव को शाहीन बाग बनाम केजरीवाल बनाने की पूरी कोशिश की. उन्होंने ईवीएम का बटन दबाकर शाहीन बाग को करंट लगाने वाला बयान भी दिया, लेकिन जो जनादेश आया वो बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका है.
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फ्री के प्रभाव में बह गए लोग
चुनाव प्रचार के दौरान लगातार शाहीन बाग पर धारदार बयानबाजी करने वाले बीजेपी सांसद परवेश वर्मा ने चुनाव नतीजों के बाद हार स्वीकार करते हुए कहा कि पार्टी नतीजों पर गौर करेंगी. परवेश वर्मा ने कहा कि दिल्ली वाले फ्री के प्रभाव में बह गए लेकिन बीजेपी अगले 5 साल दिल्ली की जनता के मुद्दों को विपक्ष के रूप में उठाते रहेगी.
इन सीटों ने बचाई बीजेपी की लाज
दिल्ली में बीजेपी ने नॉर्थ ईस्ट और पूर्वी दिल्ली में बेहतर प्रदर्शन किया. बीजेपी ने गांधी नगर, घोंडा, विश्वास नगर, लक्ष्मी नगर, रोहतास नगर, करावल नगर और रोहिणी में जीत हासिल करके अपनी लाज बचाई. इसके अलावा बीजेपी बदरपुर सीट भी जीतने में कामयाब रही.