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ऑनलाइन गेमिंग के रेगुलेशन से GST का मुद्दा सुलझ जाएगा?

Impact Feature

सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी या जुआ के अंतर को परिभाषित कर सिर्फ सर्टिफाइड ऑनलाइन गेम को मंजूरी दी तो इंडस्ट्री ने आखिरकार राहत की सांस ली.

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • सरकार की इस पहल से इंडस्ट्री, इन्वेस्टर और ऑनलाइन गेमिंग के कन्ज्यूमर के बीच पॉजिटिव माहौल बनने की उम्मीद है
  • MeitY ने ऑनलाइन गेमिंग पर अहम फैसला लिया है.
  • जीएसटी 18% से बढ़ाकर 28% कर दिया जाए.

अच्छी चीजें वक्त लेती हैं. और ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए 2023 अब तक फायदेमंद साबित हुआ है. इस महीने की शुरुआत में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (MeitY) ने ऑनलाइन गेमिंग पर अहम फैसला लिया है.

लंबे इंतजार के बाद, जब सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग और सट्टेबाजी या जुआ के अंतर को परिभाषित कर सिर्फ सर्टिफाइड ऑनलाइन गेम को मंजूरी दी तो इंडस्ट्री ने आखिरकार राहत की सांस ली

एक और अहम मुद्दा ऑनलाइन गेमिंग से जीते गए पैसे पर TDS का भी था, जिसके लिए वित्त अधिनियम 2023 में संशोधन किए गए हैं. हालांकि, अब तक इसके नियम जारी नहीं हुए हैं.

सरकार की इस पहल से इंडस्ट्री, इन्वेस्टर और ऑनलाइन गेमिंग के कन्ज्यूमर के बीच पॉजिटिव माहौल बनने की उम्मीद है, लेकिन जीएसटी अब भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है, जिसका हल अब तक नहीं हुआ है. इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि जीएसटी का एक बड़ा असर पड़ेगा, जो अब तक की सकारात्मक पहल को बेकार कर देगा.

 

नए नियमों के बावजूद, टैक्सेशन अभी भी एक बड़ी चिंता है. फिलहाल, ऑनलाइन गेम जो सट्टेबाजी या जुआ के दायरे में नहीं आते हैं, वो ग्रॉस गेमिंग रेवेन्यू (GGR) पर 18 फीसदी जीएसटी का भुगतान करते हैं, जिसे प्लेटफॉर्म फैसिलिटेशन फी कहा जाता है.

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हर यूजर जो ऑनलाइन गेम में पैसा लगाता है, उसे ये फी देनी होती है. हालांकि, अगर भविष्य में कोई नियम बदला जाता है तो संभावना है जीएसटी 18% से बढ़ाकर 28% कर दिया जाए

उदाहरण के लिए, अगर किसी गेम का पूल 100 रुपये है तो ऑनलाइन गेमिंग कंपनी उस पर 10 से 15% प्लेटफॉर्म फी वसूलती है, जो 10 से 15 रुपये होता है.

अब कहा जा रहा है कि प्लेटफॉर्म फी की बजाय 28% जीएसटी लगा देना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए जीएसटी स्ट्रक्चर जुआ और लॉटरी पर लगने वाले जीएसटी की तरह ही होगा

जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक में पेश की गई GoM की रिपोर्ट में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर टैक्स लगाने की सिफारिश की गई है.

जीएसटी काउंसिल ने GoM को सिफारिशों पर फिर से विचार करने को कहा है. इसके बाद ऑनलाइन गेमिंग की कानूनी स्थिति भी साफ हो जाएगी और ये भी तय हो जाएगा कि हर ऑनलाइन गेम पर कितना जीएसटी लगाया जाना चाहिए.

केवल वो खेल जिन्हें सेल्फ रेगुलेटरी संस्थान (स्व-नियामक निकाय) की ओर से सर्टिफाइड किया जाएगा, वही रियल मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म होंगे. यानी ऐसे खेल जिनमें दांव या जुआ लगाने के लिए राशि का उपयोग नहीं किया जा रहा, स्पष्ट रूप से उन खेलों से अलग व्यवहार करने की आवश्यकता होगी जो जुआ, सट्टेबाजी की प्रकृति के हैं.

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सरकार की एक बड़ी चिंता प्राइज पूल मनी से होने वाली कमाई पर लगने वाले डायरेक्ट टैक्स से होने वाले रेवेन्यू लीकेज से जुड़ी है. वित्त अधिनियम 2023 में संशोधन में नेट विनिंग्स पर 30% की दर से टैक्स वसूलने का प्रावधान है. इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री पर अतिरिक्त टैक्स बढ़ जाएगा, जिससे इंडस्ट्री के लिए सर्वाइव और ग्रोथ करना मुश्किल हो जाएगा.

 

ऐसे में अब सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत है, खासकर MeitY और वित्त मंत्रालय के बीच. इतना ही नहीं, जीएसटी के दायरे में आने वाली ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां किस तरह के गेम ऑफर कर रहे हैं, इसको लेकर भी आईटी नियमों में क्लासिफिकेशन है, जिससे टैक्स विभाग को मदद मिलेगी.

 

 

 

अस्वीकरण: यह जानकारी केवल सामान्य सूचना उद्देश्यों के लिए प्रदान की जाती है और कानूनी सलाह के रूप में इस पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए | 

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