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जलवायु परिवर्तन के अनुरूप ढलने और दुष्प्रभावों को कम करने का मजबूत एजेंडा तैयार कर रहा है आईटीसी नेक्स्ट: संजीव पुरी

Impact Feature

कंपनी की 112वीं सालाना आमसभा को संबोधित करते हुए आईटीसी लिमिटेड के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर श्री संजीव पुरी ने ‘आईटीसी: नेशन फर्स्ट – ट्रांसफॉर्मिंग फॉर अवर शेयर्ड टुमारोज’ पर साझा किए अपने विचार।

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • अप्रत्याशित मौसमी घटनाओं के खतरे से किसानों को बचा रहा है आईटीसी का सीएसए प्रोग्राम 
  • एडैप्टेशन की सही प्रक्रियाओं को समझने के लिए आईटीसी कर रही क्लाइमेट रिस्क मॉडलिंग
  • आईटीसी की ईएसजी रेटिंग्स

क्लाइमेट एक्शन को लेकर भारत की नेतृत्वकारी भूमिका और नेट-जीरो इकोनॉमी की ओर बढ़ते कदमों को देखना सुखद अनुभव है। माननीय प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में राष्ट्रीय लक्ष्यों को तय करते हुए पंचामृत योजना की घोषणा की थी। विभिन्न नीतिगत कदमों के अलावा भारत सरकार की ओर से इंटरनेशनल सोलर अलायंस, नेशनल हाइड्रोजन मिशन समेत कई उल्लेखनीय कदम उठाए गए हैं। नेट-जीरो इकोनॉमी बनने की दिशा में बढ़ने के लिए ग्रीन टेक्नोलॉजी को तेजी से अपनाने की आवश्यकता है, साथ ही व्यावहारिक एवं आसानी से सबकी पहुंच में आने वाले टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन के माध्यम से नई राह विकसित करने के लिए शोध एवं अनुसंधान में निवेश को भी गति देनी होगी। विशेषरूप से कार्बन कैप्चर, यूजेज और स्टोरेज के साथ-साथ कृषि क्षेत्र एवं ऐसे सेक्टर्स में टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस की आवश्यकता है, जिनमें उत्सर्जन को कम करना कठिन है।


नेट जीरो की दिशा में हो रहे प्रयासों के बावजूद आईपीसीसी ने चेतावनी दी है कि निकट भविष्य में औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि का स्तर 1.5 डिग्री सेल्सियस के स्तर को पार कर सकता है, जिससे अप्रत्याशित मौसमी घटनाओं की पुनरावृत्ति कई गुना बढ़ जाएगी। इसलिए एडैप्टेशन यानी बदलती परिस्थितियों के अनुरूप ढलने के प्रयासों को क्लाइमेट एक्शन की प्राथमिकता में रखना जरूरी है। 


ढलने की दिशा में आईटीसी के कदम

आईटीसी नेक्स्ट फ्रेमवर्क में सस्टेनेबिलिटी यानी पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली को कारोबारी रणनीति के केंद्र में रखा गया है, जिसे उभरते अवसरों का लाभ लिया जा सके, लचीलापन एवं प्रतिस्पर्धी क्षमता मजबूत बने। साथ ही एडैप्टेशन (परिस्थिति के अनुरूप ढलना) और मिटिगेशन (दुष्प्रभावों को कम करना) को मुख्य एजेंडा के रूप में रखा गया है। ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने, नवीनकरणीय ऊर्जा को विस्तार देने, संसाधनों की दक्षता बढ़ाने, कार्बन संग्रह एवं प्रकृति आधारित समाधान को बढ़ावा देने और बिजनेस मॉडल में चक्रीय व्यवस्था (सर्कुलैरिटी) को अपनाने की दिशा में उल्लेखनीय निवेश किए गए हैं।

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अप्रत्याशित मौसमी घटनाओं के बढ़ते खतरे के विरुद्ध लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए आईटीसी ने फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुरक्षित रखने और एग्री-वैल्यू चेन के समक्ष आसन्न खतरे को कम करने के लिए एडैप्टेशन के कई उद्देश्यपूर्ण कदम उठाए हैं। आईटीसी के कारोबार का कृषि से गहरा जुड़ाव है। हमने खेती एवं ग्रामीण समुदायों को मजबूत बनाने की दिशा में प्रभाव को देखते हुए इनोवेटिव एवं प्रकृति आधारित सामाधानों के माध्यम से एडैप्टेशन को बढ़ावा देने में पर्याप्त निवेश किया है। इन गतिविधियों में वनीकरण, जैव विविधता, सीएसए और जल संरक्षण के कदम शामिल हैं। वनीकरण की पहल से वर्तमान समय में सालाना करीब 60 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड को सोखने में मदद मिली है। आईटीसी की जैव विविधता संरक्षण की पहल से 12 राज्यों में 2,90,000 एकड़ भूमि को रीस्टोर करना संभव हुआ है और 2030 तक हम 10 लाख एकड़ को कवर करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। वाटर स्टेवार्डशिप (जल संरक्षण) की विभिन्न पहल के तहत, इंटीग्रेटेड वाटरशेड डेवलपमेंट प्रोग्राम ने 28,000 वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स के माध्यम से 14 लाख एकड़ क्षेत्र को कवर किया है। मांग को प्रबंधित करने की पहल (डिमांड साइड मैनेजमेंट प्रोग्राम) में 12 लाख एकड़ क्षेत्र को कवर किया गया है, जहां 15 फसलों में पानी के प्रयोग की दक्षता में 20 से 45 प्रतिशत तक सुधार हुआ है। इससे करीब 78 करोड़ किलोलीटर पानी बचा है। आईटीसी अब रिवर बेसिन लेवल पर वाटर पॉजिटिव स्टेटस पाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य लेकर चल रही है, जिसे स्थानीय पारिस्थितिकी को भी फायदा पहुंचेगा। घोड रिवर बेसिन को 5 साल में वाटर पॉजिटिव बनाने में मिली सफलता ने हमें ऐसी 4 और नदी पुनर्जीवन परियोजनाओं को शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया है। 

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आईटीसी 2035 तक ज्यादा पानी के प्रयोग वाली सभी साइट्स के लिए अलायंस फॉर वाटर स्टेवार्डशिप (एडब्ल्यूएस) सर्टिफिकेट पाने के लिए भी प्रतिबद्ध है। हाल ही में आईटीसी की मालुर इकाई एशिया की पहली ऐसी फूड फैक्टरी बनी है, जिसे एडब्ल्यूएस प्लेटिनम लेवल सर्टिफिकेट मिला है। ऐसी ही उपलब्धि कोवई स्थित हमारी पेपरबोर्ड इकाई ने भी हासिल की है। 


अप्रत्याशित मौसमी घटनाओं के खतरे से किसानों को बचा रहा है आईटीसी का सीएसए प्रोग्राम 
किसानों को अप्रत्याशित मौसमी घटनाओं के खतरों से बचाने के लिए आईटीसी ने क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर (सीएसए) प्रोग्राम शुरू किया है। एग्रोनॉमी प्रैक्टिस, ज्यादा उपज और पर्यावरण की विपरीत परिस्थितियों को सहने में सक्षम प्रजातियों एवं सही तकनीक अपनाने के पैकेज के साथ रीजनरेटिव एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की गई हैं। इस पहल के तहत 23 लाख एकड़ क्षेत्र को कवर किया जा चुका है और 7,40,000 से ज्यादा किसानों को लाभ मिल रहा है। इसके तहत 30 लाख एकड़ को कवर करने का लक्ष्य है। सीएसए डिस्ट्रिक्ट्स के पहले चरण के आकलन से यह उत्साहजनक तथ्य सामने आया है कि कुछ चुनिंदा फसलों का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 13 से 66 प्रतिशत तक कम हुआ है और किसानों को मिलने वाला रिटर्न 46 से 93 प्रतिशत तक बढ़ा है। साथ ही, 70 प्रतिशत गांव हाई-रेजिलियंस और हाई यील्ड कैटेगरी में आ गए हैं। 

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एडैप्टेशन की सही प्रक्रियाओं को समझने के लिए आईटीसी कर रही क्लाइमेट रिस्क मॉडलिंग


ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती से व्यापक स्तर पर निपटने की जरूरत को समझते हुए पूरे आईटीसी के स्तर पर एडवांस्ड एनालिटिक्स का प्रयोग करते हुए एक क्लाइमेट रिस्क मॉडलिंग की गई, जिसके बाद साइट-विशेष को और एग्री-वैल्यू चेन को ध्यान में रखकर आकलन किया गया, ताकि सही तरह से एडैप्टेशन की प्रक्रिया को अपनाया जा सके। इस तरह के अध्ययनों से क्षेत्र विशेष को ध्यान में रखकर कदम उठाना संभव होता है।


डीकार्बनाइजेशन में आईटीसी ने की है उल्लेखनीय प्रगति, नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लिए अग्रणी शोध संस्थानों के साथ कर रही साझेदारी

डीकार्बनाइजेशन के मामले में आईटीसी ने उल्लेखनीय प्रगति की है। लगातार बढ़ते परिचालन के बावजूद आईटीसी की कुल ऊर्जा जरूरत का करीब 43 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से मिलता है। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और बायोफ्यूल में निवेश के दम पर हमने 178 मेगावाट की उत्पादन क्षमता प्राप्त कर ली है। 49 एलईईडी सर्टिफाइड बिल्डिंग के साथ ग्रीन बिल्डिंग निर्माण में भी आईटीसी अग्रणी है। सर्कुलैरिटी में योगदान देते हुए आईटीसी लगातार दूसरे साल प्लास्टिक न्यूट्रल रही है। आईटीसी टेक्नोलॉजी के नए रास्ते विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में व्यावहारिक एनर्जी स्टोरेज सिस्टम विकसित करने, कोल्ड चेन को डीकार्बनाइज करने और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन को लेकर प्रेडिक्शन मॉडलिंग को बेहतर बनाने के लिए अग्रणी शोध संस्थानों के साथ साझेदारी की जा रही है। 

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आईटीसी की ईएसजी रेटिंग्स
आईटीसी को लगातार पांचवें साल एमएससीआई-ईएसजी की तरफ से 'एए' रेटिंग मिली है, जो इसे अपनी समकक्ष कंपनियों से आगे पहुंचा देती है। यह गर्व का विषय है कि अपनी इनोवेटिव पहल के माध्यम से आईटीसी अपने आकार की पहली कंपनी है, जो 18 साल से कार्बन पॉजिटिव, 21 साल से वाटर पॉजिटिव एवं 16 साल से सॉलिड वेस्ट रीसाइकिलिंग पॉजिटिव है और इस मामले में वैश्विक स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है।
 

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